भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c) २०००-२०२२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.html , http://www.geocities.com/ggajendra   आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html   (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html   लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha   258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै। इंटरनेटपर मैथिलीक पहिल उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि, जे http://www.videha.co.in/   पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

 

(c)२०००-२०२२. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। सह-सम्पादक: डॉ उमेश मंडल। सहायक सम्पादक: राम वि‍लास साहु, नन्द विलास राय, सन्दीप कुमार साफी आ मुन्नाजी (मनोज कुमार कर्ण)। सम्पादक- नाटक-रंगमंच-चलचित्र- बेचन ठाकुर। सम्पादक- सूचना-सम्पर्क-समाद- पूनम मंडल। सम्पादक -स्त्री कोना- इरा मल्लिक।

रचनाकार अपन मौलिक आ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) editorial.staff.videha@gmail.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकै छथि। एतऽ प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक/संग्रहकर्त्ता लोकनिक लगमे रहतन्हि,'विदेह' प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका मात्र एकर प्रथम प्रकाशनक/ प्रिंट-वेब आर्काइवक/ आर्काइवक अनुवादक आ आर्काइवक ई-प्रकाशन/ प्रिंट-प्रकाशनक अधिकार ऐ ई-पत्रिकाकेँ छै, आ से हानि-लाभ रहित आधारपर छै आ तैँ ऐ लेल कोनो रॊयल्टीक/ पारिश्रमिकक प्रावधान नै छै। तेँ रॉयल्टीक/ पारिश्रमिकक इच्छुक विदेहसँ नै जुड़थि, से आग्रह। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत।  एहि ई पत्रिकाकेँ श्रीमति लक्ष्मी ठाकुर द्वारा मासक ०१ आ १५ तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

स्थायी स्तम्भ जेना मिथिला-रत्न, मिथिलाक खोज, विदेह पेटार आ सूचना-संपर्क-अन्वेषण सभ अंकमे समान अछि, ताहि हेतु ई सभ स्तम्भ सभ अंकमे नइ देल जाइत अछि, ई सभ स्तम्भ देखबा लेल क्लिक करू नीचाँ देल विदेहक 346म आ 347 म अंक, ऐ दुनू अंकमे सम्मिलित रूपेँ ई सभ स्तम्भ देल गेल अछि।

“विदेह” ई-पत्रिका: देवनागरी वर्सन

“विदेह” ई-पत्रिका: मिथिलाक्षर वर्सन

“विदेह” ई-पत्रिका: मैथिली-IPA वर्सन

“विदेह” ई-पत्रिका: मैथिली-ब्रेल वर्सन

 VIDEHA_346

 VIDEHA_346_Tirhuta

 VIDEHA_346_IPA

 VIDEHA_346_Braille

 VIDEHA_347

 VIDEHA_347_Tirhuta

 VIDEHA_347_IPA

 VIDEHA_347_Braille

 

Tuesday, August 17, 2010

नाराशंसी



               नाराशंसी- (गीत-प्रबन्ध- गजेन्द्र ठाकुर)
कोड़वाह ठाढ़ टिक्करक नीचाँमे
हलमहल कऽ कूटि माटि
सिलोहक बनल मुरुत ई मनुक्ख
छोलगढ़ियाक गुलाबीपाक
एहि बेर नहि जानि किएक रहल कचकुआह

आ बीतल कएक दिन, छठिहारी छठम दिन
कविक कविताक छन्दक रससँ उगडुम करैत
आ डराएल विश्वदेव जे पद्यक रस जे झझाएत तँ
पसरि जाएत सगर विश्वमे गायत्री नाराशंसीक संग
से ओ
कविक कविताकेँ छन्दक रसमे राखि दैत छथि
बलि दऽ दैत छथि
कविक कविताक छन्दक रसक बलि
आ गबैत छथि नाराशंसी।

आ आकांक्षाक अग्नि
पृथ्वीसँ द्युलोक दिस जाइत
माता पृथ्वीक हृदएक आगि
द्यौ पिताश्री पृथ्वीक पुत्र वा भाए
आलोकदीप्त ई नीलवर्णक आकास
अरणिमन्थनसँ प्रकाशित ई पृथ्वी

कर्कश बजरी सूगाक स्वर
ओतए धारक पलार लग

आ दूटा धारक हहाइत मोनियारक
भँसिआएल खेबाह कहुना निकलि गेल मुदा
आगाँ बढ़िते जक, बढ़ब आकि धँसब
झाँखीक झझिया करत सुरक्षित हमर गाम
दाह-बोह आएल, किएक ई
एकार्णवा, दह, जलामय, कनबहकेँ झाँपि

खेधा-पौटी नाहक माङीपर बैसि
खसबैत बसेर जाल आ हम दोसर माङीपर बैसि खेबैत छी
ओहि जालकेँ, दिशा निर्दिष्ट भऽ
कन्हेर करैत
जालक चारूकात ठकठकिया करैत
अनैत माँछकेँ जाल दिस

टुस्सा, सारिलबला काठक तँ गाछी विलुप्त
बबुरबन्ना बनल ओहि पारक खेत, कमलाक रेत


बदहा पहिरने लोक, आ ई गाछ बृच्छ
ठाढ़ मुदा हरियरी, जेना दुःखी पीड़ित
टुस्साक निकलब, जेना आगमन कोनो अभागक
चारू कात पसरल कमलाक रेत, आ ताहि बीच टुस्सा निकलब
मुदा संकेत प्रायः कोनो आसक।

आ तखने ध्वनि
मधुर स्वर बला करार सूगाक
कंठ लग लाल दागी बला अमृत भेला सूगाक
स्वर अबैत बनि नाराशंसी।
गायत्री बनि गेल चिड़ै आ बिदा भेल गन्धर्व लोक
अनबा लेल सोमरस
ओहि रसमे उगडुम करत हमर कविता
नहि बुझल अछि व्याकरण छन्द
त्रयोदशीकेँ व्याघ्र केलक हत्या पाणिनिक
त्रयोदशीकेँ के देलक शिक्षा हमरा?
जखन व्याकरणाचार्य बन्न केने छथि,
बन्न अछि त्रयोदशी तिथिकेँ व्याकरणक पठन-पाठन
व्याकरणाचार्य नहि पढ़ैत छथि, नहि पढ़बैत छथि ओहि दिन व्याकरण
आ त्रयोदशी तिथिकेँ अबैत छल गायत्री चिड़ै बनल
त्रयोदशीकेँ के देलक शिक्षा हमरा
चिड़ै बनल गायत्री देलक हमरा शिक्षा गबैत नाराशंसी
......
मड़ियाक सूक्ष्म प्रहार
बनबैत अछि सोनक काञ्चनपुरुष।
आ एतए
पुत्रक उत्पत्तिक पूर्वहि राखब ओकर नाम?
काञ्चनपुरुष!
ने कोनो सूत्र ने कोनो ठाम
आ तकर बादक सभ गप, बात-विचार
ककर के,
आ ककरासँ ककर
के अछि ओ ठाढ़ जे आएत हमर माँझ
पघरियाक प्रहारक काजो नहि
सुखाएल अछि जड़ि
फेर..
फेर कमरसारिक खट-खुटक ध्वनि
सड़ेस कागचक बालु जेना आक रेत
आ हम दसौढ़ी चौकठिक आगाँ भेल छी ठाढ़
दसौढ़ी चौकठिक दोहराएब नहि पसिन्न
नहि पसिन्न सूक्ष्म कलाकृति
जे लेने रहैत अछि, नुकेने रहैत अछि
कएक टा रहस्य
कएक टा बात-विचार संस्कार
....
काञ्चनपुरुष!
आएत हमर माँझ?
त्रयोदशीकेँ के देलक शिक्षा हमरा
चिड़ै बनल गायत्री देलक हमरा शिक्षा गबैत नाराशंसी
नाराशंसी- मनुक्खक स्तुति

आन्हर केलक हाथीक वर्णन
सूढ़ छूबि बुझल एकरा सर्पाकार
पएर छूबि बूझ अछि एकरा कोनो वृक्ष
आ एकर जड़ि, धड़ि आ छीप
सभटा वर्तुल
भालसरिक ई गाछ
अछि ककर ई सड़कऽ कातमे
माटि भरलापर जे एकर जड़िमे घून धऽ लैत छै
छलै धोधरि ठाढ़िमे
नहि जड़िमे, से लगैत छल कखनो हाथी
लगैत छल कोनो पनडुब्बीक झोँट
आकि केश सस्रबाढ़निक
आ ई सेहो आब आबि गेल सड़कपर
आब ई गामक नहि अछि
भऽ गेल अछि सरकारी
छूबि कए कोना करू वर्णन एकर
भेल आन्हर
सरकारी गाछ
चिड़ै सन वेदी
सरकारी हाथी
चिड़ै बनि गायत्री मिज्झर होइत अछि द्यूलोकमे देव संग
चिड़ै अछि बैसि गेल भालसरिक गाछपर

आन्हरक हाथमे संयोगसँ आबि गेल चिड़ै
तेहने हम आन्हर
पकड़ि लेलहुँ चिड़ै
..
भुसना भथबाक दृश्य
दृष्टि
केबाल जेकाँ कठोर
मुदा पानि पड़लापर भथल
रीझम आ अधघैली लेने
सोबरना आकि बधना लऽ घुमैत
पनिभरनीक माथपर राखल सिरहर देखैत

पुरहर सोझाँ बैसल वर-कन्या
वरक हाथमे अबि गेल चिड़ै
कोड़वाह ठाढ़ टिक्करक नीचाँमे
सिलोहक बनल मुरुत
मनुक्ख

आन्हरकेँ देखाएब अएना
गोढ़िआरी, धारक पलार
झाँखीक झझिया करत सुरक्षित हमर गाम
दाह-बोह आएल
किएक ई
एकार्णवा
दह
जलामय
कनबहकेँ झाँपि
पनिझाओ भेल सीमित मुदा तकरा बाद
मधुर स्मृति
आन्हरकेँ देखाएब अएना


आन्हरक पाँछा चल आन्हर सभ पतियानी बान्हि
ई नम्माधग्गी
बिड़इमे होइत मछहर
कच्छाछोप,
काही घुमैत
कौआठुट्ठी गाछक फड़
हेलैत कबइ
कबइजल्लाक

खींचि फिरचइ पकड़ि जाल खिरबैत
टापी छापब, उजाहिमे उपलाइत माँछ
सहदसँ माछक शिकार
इछाइन चारू कात
आ ओतहि खापमे माँछक अंडा
जीरा सेहो
थइरमे छबराक संग माँछ

अमच्छ डबरा, मेहनतिक अपव्यय करबैत
जोह धारक दिशाक
मुदा अबार धारकेँ मारि फेकैत
माँछ
घुट्ठी भरि पानिमे चाँछ
आ ओहिपर चढ़ब धारक विरुद्ध
चालि दैत ई माँछ

खेधा-पौटी नाहक माङीपर बैसि
खसबैत बसेर जाल
आ हम दोसर माङीपर बैसि खेबैत छी
ओहि जालकेँ दिशा निर्दिष्ट भऽ
कन्हेर करैत जालक चारूकात
ठकठकिया करैत
अनैत माँछकेँ जाल दिस
पलइ आ पिठकट

बेच दऽ कीनल माँछ
लावा-दुआ, ठेङी
धोबिया चिड़ै, मछगिद्दी

औकामे गूड़ी सभ उठा
अएलहुँ ऊपर
आन्हरक पाँछा चलैत न्हर सभ
पतियानी बान्हि

अरण्यमे करब रोदन
पानि चारू कात
मखानक बीया खकस्याह
मखान उठबैत छी पेलनीसँ
गूड़ीसँ चोंइटा हटबैत रहैत छी
बाङक बङौरा आ सुखाएल ई बङठी
औंटि कऽ निकालि बङोर तुमब
आ फाहाक पृथक होएत
धुनकीसँ धूनब
लारनिसँ ताँतिपर कऽ आघात
अरण्य-रोदन तात


अरुन्धती देखबाक लेल देखाऊ कोनो दोसर तरेगण चमकैत
कारण अरुन्धती अछि मलिन
दोसरापर आँखि स्थिर कऽ फेर देखि सकब अरुन्धती

१०
रावण किए राखलक सीताकेँ अशोक वाटिकामे?
अशोक वाटिकहिमे?
टकुरी कटैत
मड़िआयब छिन्नाकेँ
पागब सूत
गफ्स कपड़ा
ननगिलाट पहिरने बूढ़ी
सोझाँ नन्हसुतमे मलकिनी

११
तूरसँ कड़गर मुदा पाथरसँ मोलाएम
ई ढेपा
हम महान्
मुदा हमरोसँ अछि क्यो म्लन तँ क्यो तेजोमए
कलबत्तू पइसा कऽ गाँथब आभूषण
किरमिची चानीक पानि चढ़ल
मुदा वैह ताम

१२
साँप मारने कुण्डली
ओकर स्वभाव
हमर स्वभाव बैसल छी भऽ चुक्कीमाली
पाग नहि चाही हमरा मौड़
शंकुक आकारक पैघ,
कोढ़िलायुक्त पागक अग्रभागक पेंच नहि

१३
आकाशकेँ मारब मुक्कासँ
चिरतन, ठिकरी, लहेरिया आ जंगलाती छाप
पटोर, गुलबदना, नीलाम्बरी
सोइरीक नूआ
कलफ लगा कए कड़गर कए
भेलासँ दऽ चेन्हासी
खुटिया मिरजइ ओछ

१४
पितृक तर्पणो होएत आ आमक जड़ि सेहो पटि जाएत
तूरक फाहा, पोखरिया
लहेरिया, बदामी, चानपंखा
बेराएब आ सुइया पैसाएब
सिऐन अधलाह, गुलठिआइत तूर

१५
अशा मोदक खा होएब तृप्त?
लखिया भेड़ जेकाँ आगाँ-आगाँ
बथनिञाक बथनाएब अबैत काल
आ खभाएब जाइत काल
बीसटा भेड़क लेहड़
एक सए भेड़क बाग
चारि-पाँच सए भेड़क गँहेड़
भेड़केँ खउरब

१६
वाण बनबैकाल जाइत राजाकेँ नञि देखब!
एकाग्र!
पुरान लोहझाम
लोहङ्गरकेँ
भाथीमे पैसैत वायु
भाथी सालब आ प्रज्वलित करब अग्नि
कलम छेनी
चकरसानपर पिजबैत सरौता
कबिराहाक कनसीपर उठैत धुन

१७
छोड़ल वाणक गति कम होइत-होइत
शून्य भऽ जाइत अछि।
हमर आकांक्षाक अग्नि
पृथ्वीसँ द्युलोक दिस जाइत
माता पृथ्वीक हृदएक आगि
द्यौ पिताश्री
पृथ्वीक पुत्रा वा भाए
आलोकदीप्त ई नीलवर्णक आकास
अरणिमन्थनसँ प्रकाशित ई पृथ्वी



१८
दाँत उखाड़ि विषहीन करप सर्पकेँ
छिलुआ पहलदार बासन
आघातसँ मठारब पित्तरि
कलगैञा लोटा
निरंजनीक दीप
जलधरी
दीयठिमे राखि दीप

टुमटाम गहना
गोबरियाव सोन
जोकठी आ दसकलम
चाँपकली पहिरने ओ
हलुमानी नातीक लेल
पथरौटी पहिरि
पवित्री जनउमे बान्हल
श्राद्धक काञ्चनपुरुष


१९
ऊँटपर लादि लक्कड़
फेर ओहीमेसँ निकालि एकटा खुभड़ी
पीटब उष्ट्रकेँ

२०
परती खेतमे पानि बरसियो कऽ की करत?
कनसारी भुज्जा
दाबापर उझकुन ओहिपर राखल बासन
चुल्हाक पौरी
कूरामे धिपाओल बालु
भुजनाठीसँ लाड़ैत

२१
एकहि पल्लवमे एकहि ठाढ़िमे दूटा फल
एकहि कार्यसँ दूटा परिणाम!
मकइक मखानी
सोन्हगर आ झूर नीक स्वाद
मुदा आब अतिखाइन होइत
आँचब आ प्रज्वलित राखब
मुदा हम्हरब आगिकेँ
खोरनाठब मुदा
आगिक खसब पातक ढेरीपर
आ पसाही लागब

२२
जेना कदंबक सभटा कोढ़ी एक्केबेर फुला जाइए
तहिना सभगोटे एक्के बेर ठाढ़ भऽ जाइत अछि
अदहन देल पानि आँच दए तारब
उसीनब कूटि कऽ
मुरहीक चाउर बनाएब
नोन-पानिसँ मोअब
कोड़ाइ
दालिक खोंइचा

२३
केहुनीमे गुड़ लगा कहलहुँ चाटए
बनब हास्यक पात्र

बिनु जमल गुड़
छाल्हीक पातर ममुरी
परतपरसँ काछि कऽ निकालल मलीदा

२४
कम्मलमे गर्दा भरल
आ भरल अछि हमर् पएरपर सेहो
झारब कम्मल पएरपर
तेबासि नीक
मुदा बसियानि
मोटगर भैसाठ
आ पातर तुर्री दही

२५
हाथीटा अछि चिंघाड़ैत
चेहै-चेहै सोर करब तँ भान होएत पाराक
ती-ती-ती-ती सँ परबाक
अतू सँ कुकुड़क

कोइयासँ तेल निकालब
मोहब आ दऽ आएब तेलिहानी
तेलीकेँ दऽ बहतौनी
घानी लगाएब आ निकलब धेनुआर घानी
घानी निघरब
तेलहनक अवशेष खरी


उज्जर रंगक रेह
नोनथरा
कोठीसँ निकलल
पनारसँ चुबैत पानि
अवशिष्ट सिट्ठी ढेर नोनफर
काछल फेन खारीसँ खरिआ नोन

२६
तारक फल खसल
तखने बैसल छल ओतए कौआ
मरल अनायास
फेर अवशिष्ट पछाड़ी
दोसर खेपमे काही शोरा
आ पकवा नोन
तेसर खेप तेलहा शोरा
आ नीमक
अवशिष्ट जराठी
जराठी आ सिट्ठीक मिश्रण
बेचुआ
रौदमे सुखा कऽ जरुआ शोरा-आबी शोरा
कच्चा शोरा परिशुद्ध भऽ कलमी शोरा
नोन- रामरस
कम नोनगर- मधनोन

२७
दहीक रक्षा करू घुमैत कौआसँ
तँ कुकुड़ बिलाड़िसँ सेहो करब रक्षा
मानले गप अछि!
कटियामे मधु राखि
चिड़ै मारबा लेल नर-सर
नाल गुआमे पैसल
नरक उपरका सिर आ नीचाँ भारू
सरमे कमची सभ
पकड़बा लेल चिड़ै कम्पा
मन्तुर पढ़ि छत्ता लग जाएब
मधुर स्वरक करार सूगा
कंठ लग लाल दागी अमृत भेला सूगा
कर्कश बजरी सूगा
तुनकारी दऽ बिज्जीक शिकार

२८
कौआक नहि होइछ दाँत
तैयो तकर गवेषणमे छी लागल

२९
कौआक अछि दूटा आँखि
मुदा देखैए ओ एक्के आँखिसँ
एकटा आँखिक पुतली दऽ दोसरमे तँ दोसरक पहिलमे
एकाक्ष
एकदृष्टि
जेम्हर देखब तेम्हरुका आँखिमे चलि जाइत अछि पुतली
तहिना भाव एहि नाराशंसीक
अनेक तरहक

कान रहित घैल- मोइट
इकरी
पानक जड़ि लग गारल खरही
आ ओहिपर ठाढ़ लत्ती
राड़ी घासक टुकड़ी
काइससँ बान्हल
सरपत घासक टुकड़ी
बन्हकासँ बान्हल पानक ढोल
मोरल पानकेँ सीकीसँ
बाँसक पातर शलाकासँ गाँथल
बेल निकलल शाखा कनार
इकरीसँ गछौठौनी
पानक लत्ती- छर्रा
गीरहसँ युक्त छर्राक भाग- बेल
लतीक छीपकेँ काटब
छपटा करब
जड़ि लगक चारि-पाँचटा पानक पात- घासन
ऊपर  चारि-पाँचटा पानक पात- कूट-खूट
ऊपर चारि-पाँचटा पानक पात- कचलेवारि
छीपपरक पात- मुड़वारि
पात तोड़बाकाल कूटक एक-दूटा पात किछु काल लेल छोड़ि देल
जड़िसँ छीप धरि दुपन्ना
सभटा पात लेवार
पानक कठोरता तज्जी
झलमा बीमारी भेने पान कड़ू भेल
फुट्टा बीमारी भेने पात गलल
पात गलि कऽ तुबब तेलगगरा बेमारी
पात सुखाएब झरकब बेमारी
बढ़ती बेमारी पातक अग्रभाग झरकब
पानक पातक फेरफार नहि भेने झरकब बेमारी
बहुती

३०
पटौनी लेल बनाओल बाहा,
शुद्ध पानि
सींचित करैत अछि पेटक पियास सेहो
बीस पात- कोरी
पचास- चौठैय्या
एक सए पात- आधा ढोली
दू सए- एक ढोली
सात ढोली- एक कनमा
अट्ठाइस ढोली- एक पौआ
छप्पन ढोली- आध सेर
एक सए बारह ढोली- एक लेसो
एक ढोलीसँ कम पात- भीड़ा
छोट भीड़ा- भीड़ी
अत्यन्त छोट भीड़ी- भिरौड़ी
पातमे बान्हल भीड़ी- पतौरा
भिरौड़ी-पतौरी
छुट्टा- डंटी सहित बिनु काटल पान
तबक- पानमे साटल पन्नी



३१
कूपमंडूक पालन
नरक विकाससँ अनभिज्ञ

खील एक सालक खजूरक गाछ
नहि भेटत हमरा गाममे खजूरक गाछ
खीलकेँ गर्दनि लग छिललापर खिलकट्टी
पौ- तीन सालक रस चुअयबा योग्य गाछ
एक सालक ताड़क गाछ- खगड़ा तीन सालक जोता
डल्ली डंटी सहित पात ताड़ आ खजूरक
तारक डंटीबला डल्लीक भाग- डमखोरा आ पातबला- छाजा
उपरका भागसँ नव पातक अंकुर फुटैत छैक- बीड़ कलगी
गोभा खोआ बीड़क लगबला मोलाएम भाग
बीएड़ ओ ओकर चारूभाग पातक समूह- मौड़
ताड़-खजूरक गाछी- बगात
खजूरक बोन- खजुरबन्नी
डड़कसपर ओंङठल पासीक शरीर गाछ छिलबा काल
महालीपर कपड़ाक छनान मुँह बान्हने रहैत अछि
माटिक कटियामे ताड़ी पिबैत
सभसँ छोट नपना- गुड़की
दुन्ना गुड़की- अधचौठी
दुन्ना अधचौठी- घचक्का
चारि चौठी- घैली/ बेचाढ़ी
नाम आकृतिक घैली- दोकानी बम्मा
छेबब गहींर कटोरी जेकाँ छेबब गरदनिपर
फेर तेसरा दिनपर पातर-पातर परत पृथक करब- पहटब
छीलल भागक निचला भागमे जीहक आकृतिक बनाबटि- जिभिया
पसीखाना
३२
कूपयंत्रक घट सन
निचुलका पानिसँ भरल
उपरका रिक्त
सूड़ी आ कलवार
माटिक पैघ तौला- माट
बाँसक दंडक अग्रभागमे ठोकल चाकर औजार- खड़ुआ
देग- तामक पैघ तौला
देगक ऊपर पेनीविहीन कोहा- डिमनी
डिमनीक ऊपर औन्हि कऽ राखल बासन औन्ह- तमिया औन्ह
औन्ह- चोंगर
डिंगरी- तामक तौला- एहिपर चोंगर औन्हल रहैत छैक।
कसौंझी- गुड़ आ महुआक मिश्रण
खूब पातर दोकानी दारू
दोकानीसँ कम पातर दारू
दोबारा- दुधियासँ मोट दारू
दोबारासँ मोट दारू- सौंफी/ सेबारा
कसमौर- सौंफीसँ कड़ा दारू
तारी आ दारू फेंटि कऽ झक्का
भट्ठी चलओनिहार भटबाह
भटबाहक मजदूर- गद्दीवान

३३
क्षीरनीर जेकाँ मिलि जाएब
एकाकार
लहेरीक लहकम
पेमर-चपड़ामे पीयर रंगक पाउडर फेंटल
डर- चूड़ीक आरम्भिक स्वरूप
डरकेँ गोल करबा लेल काठक बेलनाकार औजार-कुन्द
चउँकी- चौखूट नग
फुकाठीसँ फूकब आगि
चूड़ी सभ सटि ने जाए से चिड़नीक प्रयोग होइत अछि
कटैया- तैयो सटि गेलापर खोलनीसँ पृथक् करब
पलसब- डऽरकेँ लोहाक खूरासँ चापट कएल जाइत अछि।
गोबब- गोबनासँ चूड़ीपर फूल बनाओल जाइत अछि।
नीलवर्णक चूड़ी- तीसीफूल
गूआमाला- लाहक डमरू आकृतिक वर-कनियाँकेँ पहिरएबाबला गहना
लट्टोपट्टो- लाहक धियापुता लेल खेलौना
तोरा- चूड़ी सभकेँ बान्हि बनाओल समूह
फूटल लहठीक टुकड़ी- कटैल

३४
नीलाकाश दिस ताकि चरब घास!
जोमक काठक धोबिया पाटपर पटकैत
खिरहरीक स्पर्शसँ कपड़ा
ठाढ़ गोरारीपर

ठेकपर लोहाकेँ राखि

कान्हमे बकुच्चा
गदहापर लादल लादी नमगर

गौँछा मुट्ठी भरि कपड़ा

लपेसब दग्गीयुक्त भागकेँ
गाड़ल ऐंठि कऽ आ जमा कएल अगोट

करघासँ उतरल कोरा
गोबरझार दऽ चमकाएब


३५
भेड़ाक झुण्डक एकटा भेड़ा खसल धारमे अनायास
तँ धर्रोहि लागि गेल सभ फाँगए लागल सायास
झलझल सालू
खासासँ पातर अद्धी मलमल
तीसीक डाँटक तिसिऔटा वस्त्र
पातर सूत- डेम्सी
भौजीक गोझनौट
दरजीक अनामिकाक अंगुरताना
पाञ्जरसँ कन्हा सेस्त
दुनू कन्हाक बीचक दूरी पुट
पएरक नीचाँक घेरा मोहरा
सरल रेखाक सिलाइ सुरेबी
टेढ़का रेखा- उरेबी
दरजीक बखिआयब
आ कोरपर देब चाँपा बखिआ
फाटल कपड़ा तानी-भरनी बुनाइ रफ्फू
फाटल कपड़ामे चिप्पी- चेफड़ी
नाम कपड़ाकेँ कोचिया कऽ चुनिआयब

-पहिरि साठा पाग

३६
कड़ू दवाइक असरि कम होएत
बाल जीहपर धऽ दियौ कनेक गुड़


३७
बनिजारसँ घुरैत वणिक
झटकारि चलैत जे भोर होएबासँ पूर्व पार करब नगर
मुदा भऽ जाइत अछि भोर आ
नहि बाँचि सकल ओकर नगर-कर
सभ मेहनति बेकार

वाद्य यंत्रकेँ चामसँ छारब
मृतप्राय आ मुइल माल- डाङर
मालक मुइल छोट बच्चा- गैना
अधेर भऽ मुइल माल- लाइट
मुइल मालक चाम- मुरदारी
मुइल गाइक चाम- गोइटा
मुइल महींसक चाम- भेंसोटा
उज्जर कएल चाम- चरकी
पीअर कएल चाम- साम्बर
मुइल मालसँ चाम खलब-स्थल- चमखल्ला
चमखल्ला धरि पशुकेँ लऽ जएबाक दंड- सङरैठा
छूरीसँ चामकेँ उपयुक्त स्थलपर काटब-बनछोलब
गाइक नाभि लग उज्जर दानायुक्त पदार्थ- गोरोचन
रोआँ उखाड़ि सीबि धोकरी बना आम महु बबूर बाँझीक छालकेँ कूटि पानिमे घोरि भरि देल
साधारण तारकाँटी
चाकर माथबला बोमा काँटी
गोल माथबला गुलमेख काँटी
छोट आकारक काँटी धन्नी
अर्धच्अन्द्राकार लमनचुसिया काँटी
जूताकेँ चमचम वा मोलाएम बनएबा लेल अंडी तेलक प्रयोग
बबूर शीशोक सारिल भागक टुकड़ा चाम
कटबाक ठेहाक रूपमे प्रयुक्त –पहटा
चाकर धारबला सीबाक औजार-तिजकरनी कटरनी
पातर कटरनी- कलौसिया
मोट तागक लेल कटरनी- वाल्टी
दू तरहक सिलाइ- साधारण एकहरा
-जंजीरा सिलाइ सूतक श्रृंखला
मोम रखबाक लेल प्रयुक्त बकरीक सिंघ- तिजमन
पएकर- जूतामे सुगमतासँ पएर पैसेबाक औजार
पिजएबाक लेल प्रयुक्त पाथर- लगौना
पिजएबाक लेल प्रयुक्त चामक टुकड़ी- चमौटी
ढोलक दुनू कातक मुँह- पूरा
चामक परितः बाँसक कमची- चपनी/ पत्ती
एक भाग खाली चाम- सुर
दोसर कातक चाम भीतरसँ गोल मसाला- गद्द/ बम
मृदंगमे सूतक डोरीक बदला चामक डोरी प्रयुक्त होइत अछि- बद्धी
बद्धीक नीचाँक काठक छोट-छोट गोल टुकड़ी- गुल्ली

छोट पूराबला मृदंग- मानरि
मानरिये सन दोसर- पखाउज
मानरिये सन दोसर- नाल
चाकर गोल कठरा दुनू दिस समान ब्यासक चामसँ छारल- डाङर
चारि आङुरक चाकर वृत्ताकार कठरापर चामसँ छारल- डफ
पैघ डफ- ढक्का
सनगोहिक चामसँ छारल डफ- खजुरी
डोरीक कम्पनसँ ध्वनि- गुमकी
अधगोला छोट माटिक खोलापर चामसँ छारल- डिगरी
डिगरीसँ पैघ वाद्य- जिल
जिलसँ पैघ- भठिया
भठियासँ पैघ- मादल
मादलसँ पैघ- ढाक
ताहूसँ पैघ- नगारा
ताहूसँ पैघ-डंका
छाँछक आकृतिक माटिक खोलापर छारल- तासा
पिपही आ ढोलक समूह- खुरदक
शहनाइ संग प्रयुक्त छोट नगारा- नौबति
छोट पूरासँ युक्त ढोलकक कठरा आकृतिक माटिक खोलपर छारल वाद्य- चानखोल
लोहारक भाथीपर चाम चढ़ाओल जाइत अछि- भाथी सालब

घी रखबा लेल चामक पात्र-कुप्पा

३८
घुण लागल पोथीक आकृति
आभास दैत कताक अक्षर
संयोग!
मालि
फूलक बाड़ी- फुलहर
खेतकेँ जोति-कोड़ि सरंजाम करब- चउकिआएब
कोदारि द्वारा कचिमाटिकेँ पातर करब- थलिआयब
लोटैत गाछ- भुइयाँलोटान
गाछक पात सभक ऐंठि जएबाक क्रिया- कुकुरियाएब
फूलक रंग मलिन होएब- सुर्खी उतरब
मौलल फूलक स्वतः खसबाक क्रिया- तुअब
खुरचनिञा फूल- जेठसँ अगहन
कमलक धड़बला डंटी- मृणाल
कमलक धड़बला पात- पुरैनि
फऽड़- कमलगट्टा
कन्द- बिसाँढ़
रक्ताभ लाल रंगक प्रभेद- कोका
करबीर- लाल-बारहोमास
कामिनी- चैतसँ अषाढ़- सूक्ष्म थौका उज्जर एकहरा
कुमुदिनी- भेंटक प्रभेद
गुलाब- काँटयुक्त गछुली
थलकमल- स्थायी पैघ गछुली- आसिनसँ अगहन भोरमे, फुटबाक समए रंग उज्जर, प्रकाशमे लाल।
भेंट/ मलकोका- उज्जर- आसिन कातिकक रात्रि
बकायन-स्थायी विशाल गाछ, एकहरा उज्जर, कातिकसँ पूस
मधुरी- आलरंग, एकहरा,छोट गछुली, उनटल कटोरी सन, आलरंग, धनखेतीमे, कातिक-अगहनक रात्रिकाल
मालती- स्थायी लत्ती, छोट एकहरा, हल्का उज्जर फागुन चैत
लवङलता- पातरपातबला अस्थायी, लौंगसदृश लाल रंगक फूल, फागुन-चैत
संझा- अस्थायी, एकहरा, लाल पीयर,उज्जर, चैतसँ आसिन
फुलबारीक घेरा- जैंत, नागफेनी,बगेयाक काँट, पसीझ (दुधिया आ मुठिया), फरहद, सिनुआरि, बालछड़ी
औषढिबला- गनि, गेठबन, गेठिया, धीकुमारि, पथलचूड़, पुदीना, मन्तरा
मएनापात- सिन्दूर पिठार दागबला
दग्गीविहीन- ढाककेराक छोट गाछ- पौंछ
थम्हक परतदार अनेक छाल सभकेँ – बखोड़/ बखोड़ा/ बखोड़ैया
प्रत्येक बखोड़ा- डपोर
डपोर सुखलापर छीलि कऽ ओकर उपरका भागसँ बनल ताग सदृश वस्तु- पटेर
मालि क देवस्थानमे चढ़एबाक वस्तु विशेष- कोढ़िला (घास)
रोगाह कोढ़िलाक भीतरी भागक ललौन दग्गी- रकसी
फूलक गाछक अतिरिक्त भागकेँ कटबाक छोट कैंची- गुलकैंची
लोहक बाल्टी जकर अग्रभागमे छिद्रयुक्त टोंटी पानि पटएबाक लेल- झाँझ
कपड़ा मोड़ि बनाओल फूल रखबाक धोकरी- फुलझोड़ा
माला गँथबाक लेल खढ़क पातर भागकेँ मोड़ि बनाओल औजार- सीकी
कोढ़िलाकेँ पानिसँ कटबाक लेल मालीक लोहक दाँतयुक्त औजार- कचिया हाँसू
फूल-मालाकेँ बैजन्त्री, केरा वा अंडीपातमे लपेटि पटेरसँ बान्हब- पतौड़ा
ताग- पटेरमे फूलसँ निर्मित माला- ठर्रा माला
ठर्रा मालाक मध्यवर्ती भागमे कएल मोट गँथाइ- कंठा
कंठा लग लटकैत फूल समूह- फुदना
पटेरमे दूर-दूरपर बान्हल फूलक माला- हथफनुआँ
हथफनुआँक दूटा फूलक बीचक दूरी- फानी
फूलक डंटीकेँ गँथलासँ – गिरौआ माला
चारि फूल गिरौआ आ एकटा फूल ठर्रा गँथलापर- पचफुल्ली माला
पचफुल्लीक पाँच फूलक समूह- छल्ला
घन कऽ गाँथल माला- गजरा
हाथमे पहिरबाक गजरा- कग्गन
सिउंथ परक गजरा- मङटीका
गरदनिमे पहिरबाक हेतु प्रयुक्त गजरा- हँसुली, कानमे पहिरबाक छोट सन माला- कननडोला
मुसलमान लोकनिक माला- कुर्सी
मुसलमान लोकनिक बिआहमे प्रयुक्त माला- सेहला
सेहलामे माथपर तीनटा, मूहक आगू चारि-पाँचटा लड़ आ दुनू हाथ ओ पीठकेँ संबद्ध करैत एकटा माला। आगू दिस लटकैत लड़- घुंघरु
कोढ़िला- कातिकसँ माघ धरि काटि धड़क मोट भागकेँ सुखा कऽ एकत्र- सुखलाक बाद उपरका भाग केश सदृश वस्तु रोआंकेँ साफ कएल जाइत अछि। धड़केँ अनेक खण्ड- टोनी/ गुल्ली गुल्लीकेँ परितः खण्डित कएलासँ बनल मलिछौन परत- खोइया/ आकठ
गद्दाबला पातर परत- बीड़
कतरलाक बाद गुल्लीक पातर अवशेष- हट्ठी/ हरैया

कोढ़िलाक कागचकेँ बेलनाकार मोड़ि अनेक खण्ड कएलासँ अत्यन्त कम चाकर टुकड़ीक समूहसँ बनल गोलाकार वस्तु- थोपा/ गेन
कोढ़िलाक कागचसँ बनल देवस्थानमे चढ़एबाक छतरीक आकृतिक वस्तु- मौड़
छोट मौड़- गेरुली
मौड़मे लगएबाक कोढ़िलाक कागचक दू आङुर चाकर ओ छओ आङुर नाम युगल खण्डकेँ परस्पर मध्यभागमे सम्बद्ध कएलापर बनल वस्तु- कचनारी
तमुरिया- ताम्बूल
पान पतैली बेल पबड़ा गहूम खाइके मोन होअए तँ जाउ झखड़ा
पतैली गामक पान
कोढ़िलाक पागमे
कोकटीक तौनी
सालमसाही पनही
पटमासी सिन्दूर
रिट्ठा-रिट्ठी पहिरा कऽ पोताकेँ देखथु
डराडोरि
डँड़कस
तमघैल
कोढ़िलाक पाग
अत्यन्त मोट सूतसँ निर्मित कपड़ा- ननगिलाट
तीसीक छालसँ निर्मित वस्त्र- तिसिऔटा
रेशमी वस्त्रक प्रभेद- अद्धी, तसर, बनात, बाफदा
वस्त्र बिनबा काल उचित संख्यामे तानी वा भरनी नहि देलासँ रिक्त स्थान- उचिला
आरा काटक अनुरूप वस्त्रक सिलाइ- सुरेबी
खड़ा काटक अनुरूप वस्त्रक सिलाइ- उरेबी


३९
चन्दनलेपक प्रभाव
एक ठाम लगाओल मुदा
शीतल कएलक सम्पूर्ण शरीर
४०
ऋषि माण्डव्य तपमे लीन
चोर आबि नुकाएल हुनक आश्रममे
राजाक सिपाही हुनको पकड़ि लऽ
मुदा सूलीपर चढ़ेबा काल भेद खुजल
मुदा सूलीक अणी रहि गेलन्हि हुनकर शरीर मध्य
बाँचि तँ गेलाह मुदा भेलाह अणीमाण्डव्य
अहाँक पापक भोग भोगि रहल छी हम
४१
छत्ता तानि चल मारिते रास लोक
बीस गोटेमे पन्द्रहक हाथमे छत्ता
मुदा सभकेँ कहब हम छत्ताबला
४२
विक्रमादित्यक पुत्रीक शिक्षक वररुचि
राजपुत्री कएलन्हि कोनो उदंडता से आनि देलन्हि मूर्ख पति
मौन धारण कएने ओ रहैत छल
राजपुत्री देलन्हि कोनो पोथी शोधन कार्य लेल दोहरएबाक लेल
बिन्दु, बिकारी आ मात्रा ओ नखछेदकसँ देलक मेटाए
अछि ई चरबाह
४३
तिल आ चाउरक मेल
दूध पानि सन नहि होइत अछि
होइत अछि ई स्पष्ट

एखनो डोमासीमे
जिबैत वर्तमानक संग भविष्यक ताकिमे
स्थिर ओहिठाम ठाढ़,
भाए तँ गाम अबिते अछि
ओढ़ना पहिरना नीक मुदा काज वएह
हमरे नहि फुराइए करू की?
भविष्य तँ वैह बुझाइत अछि।
जे वर्णाश्रम नहि रहितैक तँ
बँसकरम करितै के?

सेप्टिक टैंक तँ गामो घरमे आबि गेल
से ओहूमे पाइ भेटैत अछि

४४
जुनि घबड़ाउ
तराजूक एकटा पलड़ाकेँ उठाएब तँ
दोसर अपने खसि पड़त
४५
समर्पण
कए देलहुँ हम समर्पण
देखू ने
तृण मुँहमे देने ठाढ़ छी
कएलहुँ आत्मसमर्पण
४६
आगि छी
घीकेँ सुड्डाह करैत
जारनिकेँ अपन सभ खद्य बौस्तुकेँ जड़बैत
अपनो भऽ गेल जेना सुड्डाह
४७
लाठी आ लाठी लग पूआ
बच्चाक संग सूतल
बौआ उठल खाएब पूआ
लाठी लग राखल अछि पूआ
लाठीकेँ कुर्कुट कऽ रहल मूस
तखन तँ पूआ सेहो मूसे खएने होएत-उठल केने मोन हूस
४८
ओसारपर राखल दीप कए रहल प्रकाशित घर आ बाहर
घरक दीप मात्र कए रहल प्रकाशित घरकेँ
४९
भुस्साकेँ छोड़ि अन्नकेँ बहार करब
५०
दू टा पथिक- रथी
रातिमे गाममे ठहरि गेलाह
मुदा आगि लागल
एक गोटेक रथ जड़ि गेल आ दोसरक घोड़ा
दुनू पथिक एकटा बाँच घोड़ाकेँ रथमे जोड़ि
अपन यात्रा करैत रहलाह
५१
नाकक अग्रसँ कानक अधोभागकेँ सुरकबाक निरर्थक प्रयास!
५२
नृप हजामकेँ कहलन्हि राज्यक सभसँ सुन्दर बच्चाकेँ आनए लेल
आनलक ओ अपन पुत्र
५३
थाल लगा कऽ धोलासँ नीक
थाल लागैए नञि दियौ
५४
पथिक एकटा पंगु आ दोसर आन्हर
पंगु बैसि आन्हरक कान्ह कए रहल यात्रा
५५
पीसल आटाकेँ पीसब
मूर्खता
५६
मोट लाठी फेंकब भुकैत कुक्कुड़ दिस,
करत शान्त दोसराकेँ सेहो
५७
प्रधान शत्रुकेँ मेटाएब तँ छोट मोट ओहिना हँटि जाएत
५८
कएक द्रव्यसँ मिश्रित शरबतक स्वाद फराक
कोनो एक जेकाँ नहि
५९
आमक गाछ नहि दैत अछि फल मात्र
दैत अछि सुगन्धि दैत अछि छाह
६०
अनेक राजा द्वाराशासित
दुखित आपसमे विरोधी राजाज्ञासँ
६१
बीयासँ आँकुड़
आ फेर आँकुड़सँ बीया
कार्य-कारण प्रहेलिका
६२
बेंगक छरपान
बीचमे छोड़ैत बहुत रास स्थान
बहुत रास संभावना
बहुत रास छूटल काज
६३
बड़का माँछक खाएब छोट माँछकेँ
६४
रथ बनबएबला करथु बरखा ऋतुमे अग्निक स्थापन
रथकार- व्यवसायी वा कियो जे रथ बनबैत होअए!
से चलनिमे जे शब्द अछि से अछि बलगर।
६५
राजाक नगरीमे प्रवेश पंक्तिबद्ध भऽ
नहि तँ करत सिपाही पुष्ट पिटान
६६
नूनक खानिमे जे जाएत से बनत लवण
६७
लौह तिराएल जाएब चुम्मक दिस
६८
बगुलाकेँ पकड़बा लेल उपाए
ओकरा माथपर मक्खन धऽ दियौ
आ ओ जे पघलि कऽ खसत तँ
आन्हर भऽ जाएत बगुला आ पकड़ि लिअ ओकरा
से मक्खन रखिते काल किए ने पकड़ि लेब!
६९
बोनमे सिंह नहि रहत तँ लोक बोन खतम कऽ देत
आ बोन नहि रहत तँ सिंहकेँ खतम कऽ देत
७०
जतए धुँआ अछि ओतए आगि रहबे करत
७१
विषकृमि विषमे जीबैए
नञि तँ सामान्य तँ विषमे मरि जाइए
७२
अपन लगाओल विषवृक्ष हुअए तँ तकरो नहि काटू
नहि उखाड़ू
७३
एक दोसराकेँ ठेलैत तरंग सभ
पहुँचिए जाइत अछि तट
७४
वृद्धकुमारि इन्द्रसँ माँगलक वर
हमर पुत्र स्वर्ण बासनमे दूध-घी-भात खाथि
माँगि लेलक वर, पुत्र, गाए, आ सुवर्ण एक्के बेर
७५
साँप आ बिज्जेक दुश्मनी
देखिते देरी खौँझाएब एक दोसरापर
७६
कमल दलक सए पातकेँ सुइयासँ छिद्रित करब
एक्के बेरमे मुदा छिद्रित होइत होएत एका-एकी
७७
आगिपर प्राणोत्सर्ग करैत फतिंगा
मूर्ख सेहो
देशभक्त सेहो
७८
आकाशमे बड्ड दूर अछि चन्द्रमा
मुदा कहै छी देखू ओहि गाछक ऊपर अछि चन्द्रमा
७९
माथक पाछाँ हाथ आनि नाक छूब
सोझ ढंगसँ काज नहि करब
८०
कुकुड़क पुच्छी सोझ केनाइ
८१
मुइलकेँ सुगन्धित उबटन लगाएब
८२
सिंह जेकाँ बीच-बीचमे पाछू देखि लेब
कोनो शिकार तँ ओम्हरो नञि अछि
८३
बालुसँ तेल निकालब
८४
सुन्द-उपसुन्द असुरकेँ नष्ट करबा लेल ब्रह्माक निर्देशपर
विश्वकर्मा बनेलन्हि तिलोत्तमा पठेलन्हि कैलासोद्यान
दुनू ओकरा प्राप्तिमे लड़ि कऽ मरि गेलाह
८५
लोहार लग सुइया आ कड़ाही बनबाबए लेल दू गोटे गेलाह
ओ पहिने सुइया बनेलन्हि फेर कड़ाही
८६
डोरी बान्हल पक्षी सन पराधीन
८७
सीढ़ीपर एकाएकी चढ़ैत छतपर पहुँचब
तहिना ज्ञान सेहो क्रमशः
८८
भात रन्हबामे सभ भातकेँ नहि एकाध टा भातकेँ देखै छी जे सिद्ध भेल
८९
दुर्योधन द्वारा भीमकेँ देल स्थावर, गाछ आ खनिजक विष
धारक साँपक जंगम विषसँ भेल कटित
९०
खुट्टा ठोकै काल हिला कऽ ठोकल जाइत अछि
तहिना अनेक दृष्टान्त पक्षमे देब उचित
९१
स्वामी आ सेवक
पोषक आ पोषित
९२
पसेनासँ भीजल कीड़ायुक्त वस्त्रकेँ फेंकब
९३
उड़ीसक डरे सुजनी नहि फेकब
९४
झील नहि रहत तँ मगरमच्छ नहि रहत
मगरमच्छ नहि रहत तँ झील सभ धकिया लेत
९५
शुनःशेप आदि

गरजैत मेघ रौद्र
मेघमे विद्युत
वृत्रहन्ता इन्द्र चीरैत छथि मेघ
कवष ऐलूषक ऋक्
शूद्र कवि हमर
विद्युत् प्रकाशसँ प्रकाशित मेघक शक्तिपात्
शरीरक मध्य हजारक-हजार धार
रक्तक प्रवाहक साँपसन टेढ़-मेढ़ चालि
हमर मोन दौगि रहल
एहि अन्तर्मनक धारक बीच
ओहि बहिर्जगतक विद्युतसँ तीव्र
चतुष्पात् पुरुष वा ब्रह्म
मुदा एकपाद ई जगत्
अन्तर्मनक प्रचोदयिता
आसुरी वृत्र
आ राक्षसी पणि
शारीरिक धार
संचार तन्त्र
चलू समुद्र दिस
हमर नाड़ीतंत्र आ एकर
लहरिमे डूमैत-उगैत
अपन भोगल यथार्थसँ
बहार कएलहुँ मधु 
आहुति देबा लेल ओहि समुद्रमे
आ तखने शरीरक नदी-धार
लहरिमे डुमैत करैत अछि आनन्दित
जागरित मोनसँ निकसैत वाणी
पीपड़क पातक नाड़ीतंत्र सन
इला-सरस्वती आ भारती छथि
विद्युत् बाल लेल भोजनक इन्तजाम करैत
ज्योतिक हम साधक
सन्दीपनकूट हुअए लावण्यमय
सहस्रशाख विद्युत्
हिरण्यमयी
सहस्रजित्
अजस्र
अन्तर्मुखी
ऋतं बृहत्

२८
नाराशंसी

आ बीतल कैक दिन
छठिहारी छठम दिन
कविक कविताक छन्दक रससँ उगडुम करैत

आ डराएल विश्वदेव जे
पद्यक रस जे झझाएत तँ
पसरि जाएत सगर विश्वमे
गायत्री नाराशंसीक संग
से ओ
कविक कविताकेँ छन्दक रसमे राखि दैत छथि
बलि दऽ दैत छथि
कविक कविताक छन्दक रसक
आ गबैत छथि नाराशंसी।


आकाश मध्य लिखल हमर लेख
कागजपर लिखल क्यो पढ़त
क्यो नहि
मुदा ओतए जे उठाओत आँखि देखत
अंगैठी-मोड़ करैत उठैत भुजाक स्पर्शसँ
करत अनुभव

जे विश्वक समाप्ति होएत
किछु लोक बचत
तखन करब कोन काज
कार्यालयक तँ कोनो काज बचत नहि
ने कंप्युटर ने अन्तर्जाल
सुन्न चारू कात
ने लूरि खेती करबाक हमरा
कागत रंगबाक लेल रोशनाइ नहि
वादक सम्बल अर्थहीन
विकराल राति सोझाँ ठाढ़
आकाश मध्य लिखल हमर लेख
कागजपर लिखल क्यो पढ़त
क्यो नहि
मुदा ओतए जे उठाओत आँखि
देखत अंगैठी-मोड़ करैत
उठैत भुजाक स्पर्शसँ करत अनुभव
जे विश्वक समाप्ति होएत
किछु लोक बचत
तखन करब कोन काज
कार्यालयक तँ कोनो काज बाँचत नहि
ने कंप्युटर ने अन्तर्जाल
सुन्न चारू कात
ने लूरि खेती करबाक हमरा
कागत रंगबाक लेल रोशनाइ नहि
वादक सम्बल अर्थहीन
विकराल राति सोझाँ ठाढ़
गरजैत मेघ रौद्र
मेघमे विद्युत
वृत्रहन्ता इन्द्र चीरैत छथि मेघ
कवष ऐलूषक ऋक्
शूद्र कवि हमर
विद्युत् प्रकाशसँ प्रकाशित मेघक शक्तिपात्
शरीरक मध्य हजारक-हजार धार
रक्तक प्रवाहक साँपसन टेढ़-मेढ़ चालि
हमर मोन दौगि रहल
एहि अन्तर्मनक धारक बीच
ओहि बहिर्जगतक विद्युतसँ तीव्र
चतुष्पात् पुरुष वा ब्रह्म
मुदा एकपाद ई जगत्
अन्तर्मनक प्रचोदयिता
आसुरी वृत्र आ राक्षसी पणि
शारीरिक धार संचार तन्त्र
चलू समुद्र दिस हमर नाड़ीतंत्र आ एकर
लहरिमे डूमैत-उगैत
अपन भोगल यथार्थसँ बहार कएलहुँ मधु 
आहुति देबा लेल ओहि समुद्रमे
आ तखने शरीरक नदी-धार
लहरिमे डुमैत करैत अछि आनन्दित
जागरित मोनसँ निकसैत वाणी
पीपड़क पातक नाड़ीतंत्र सन
इला-सरस्वती आ भारती छथि
विद्युत् बाल लेल भोजनक इन्तजाम करैत
ज्योतिक हम साधक
सन्दीपनकूट हुअए लावण्यमय
सहस्रशाख विद्युत् हिरण्यमयी
सहस्रजित् अजस्र अन्तर्मुखी
ऋतं बृहत्
एहि बँसकरमक विश्वकर्मा
भीखूक फारब आ
ओदारि कऽ निकालब
उजरा औषधि वंशलोचन
कोनिञा सूप हकरा पथिया
मुदा खजुरिया बान्हमे बान्हल
हमर आ ओकर वर्तमान आ भविष्य
वरेण्यम् छन्द पूर्त्यर्थ
वरेणियम्
स्वः सुवः
सूवेऽग्ने सूनवे अग्ने
त्रयम्बकं यजामहे- त्रियम्बकम्
वैदिक स्वच्छन्द, मुक्त आ अपवाद प्रवृत्ति बेशी
लौकिक बेशी सुव्यवस्थित आ नियमित
विष्णु वृहत् शरीरी युवा कुमारक तीन पगमे विश्व नापब
विष्णु आख्यान
विष्णु यज्ञक चारू दिस
पूब अग्नि
दक्षिण गायत्री
पच्छिम त्रिष्टुप्
उत्तर जगती
तीन आंगुर नीचाँ औषधिक जड़िमे
....
सहस्रात् यूपात्
हजारक हजार प्राप्त-अप्राप्त बंधनसँ मुक्ति
...
इक्षवाकु वंशक वेधस राजाक पुत्र हरिश्चन्द्रक सए पत्नी
घरमे पर्वत आ नारद दूटा ऋषि रहैत छलन्हि
नारदक निर्देशपर वरुणसँ कहलन्हि- सन्तान दिअ,
जाहिसँ हम अहाँक यज्ञ कऽ सकी
रोहित नाम्ना पुत्र
वरुणसँ पशुक १० दिन फेर दाँत हेबा धरि,
फेर दुद्धा दाँत खसबा धरि
फेर नव दाँत हेबा धरि
फेर ओकर शस्त्रधारी होएबा धरि।
तखन रोहितकेँ कहलन्हि।
मुदा ओ तीर-धनुष लऽ बोन दिश चलि गेलाह,
मना कऽ देलन्हि।
आ तकर एक बरख बाद वरुण हरिश्चन्द्रकेँ पकड़ि लेलन्हि
आ फूलि गेलन्हि पेट हरिश्चन्द्रक
घुरल इन्द्र पुरुषक रूपमे कहल
जे मनुष्यक बीचमे रहैए नीक सेहो अधलाह भऽ जाइए
विचर एक साल
विचरलासँ पएर फूलयुक्त
आत्मासँ फल होइए आ ओ ओकरा काटैए
एक साल
ठाढ़क भाग्य ठाढ़
बैसलक बैसल
आ सूतलक सूतल
से विचर एक साल
कलि सूतल-पड़ल
द्वापर उड़ैत
आ त्रेता ठाढ़
से तोँ सत्य जेकाँ विचर एक साल
सूर्य विचरैत नहि थाकैए
तोरा मधु आ उदुम्बरक मिठगर फल भेटतौ
विचर एक साल
सुयवश ऋषिक पुत्र अजीगर्तक परिवार
भूखल पत्नी
तीन पुत्र शुनःपुच्छ, शुनःशेप, शुनोलांगूल
बापक प्रिय शुनः पुच्छ आ माएक प्रिय शुनोलांगूल
से सए गाए दऽ
शुनःशेपकेँ कीनल
राजसूय यज्ञ
होता विश्वामित्र
अध्वर्यु जमदग्नि
उद्गाता अयास्य
आ ब्रह्मा वशिष्ठ
से बलि बान्हत के
एक सए गाए आर माँगलक अजीगर्त
अग्निक आवाहन आ परिक्रमा
आब वध के करत
एक सए गाए आर दिअ
पिजबैत तरुआरि
शुनःशेप
प्रजापतिक आवाहन
जो अग्नि लग
अग्निक आवाहन
जो सविता लग
जो वरुण लग
जो फेर अग्नि लग
जो जो विश्वदेव लग
विश्वदेवक आवाहन
जो इन्द्र लग
इन्द्रदेवक आवाहन
जो आश्विनौ लग
अश्विनक आवाहन
जो उषा लग
उषाक आवाहन
मंत्र पढ़ैत-पढ़ैत बन्धन खुजैत गेल
इक्ष्वाकुक पेट ठीक भऽ गेल
फेर ओ ऋत्विज् भऽ यज्ञमे सम्मिलित भेल
विशेष विधि
“अंज सव” विधिसँ निकाललक सोमरस
आ राखलक ओकरा द्रोणकलशमे
फेर स्वाहा
फेर अन्तिम कृत्य
फेर ओ विश्वामित्रक कोरामे बैसि गेल
अजीगीर्त दिअ हमर पुत्र
विश्वामित्र नहि ई अछि आब देवरात विश्वामित्र
अजीगीर्त पुत्रक आह्वान
आउ
शुनःशेप- तीन सए गाए हमरासँ पैघ?
विश्वामित्र हे पुत्र मधुच्छन्दा
ऋषभ,
रेणु
अष्टक
शुनःशेप भेल अहाँ ज्येष्ठ
मधुच्छन्दाक पचासटा पैघ भाएकेँ ई नहि पड़लन्हि पसिन्न
विश्वामित्र ओकरा सभकेँ देलन्हि त्यागि
पुरुषक दान
विक्रय
त्याग




दासीपुत्रकेँ सोमसँ कएलन्हि वञ्चित तँ गेलाह ओ बोनमे
आ अपोनपप् सूक्तक द्रष्टा बनि घुरलाहत्र
अपोनप्त्र देवताबला सूक्त कवि ऐलूषक
शुनःशेप आजीगर्तिक ऋचाक द्रष्टा सुवचक छथि पुत्र
आजीगीर्त भेल दुर्भिक्ष
जमदग्नि अछि आँखि
अङ्गिरा प्राण
कण्व मेधावी
भारद्वाज मोन छथि भरण-पोषण करएबला
विश्वामित्र छथि सर्वमित्र छथि कान
नामानेदिष्ठ- गुरुकुलमे पढ़ए लेल गेलाह
तँ भाए सभ सभटा सम्पति लेलन्हि बाँटि
फेर भेलाह मन्त्रक द्रष्टा
प्रवचन
आ दक्षिणा
अतीन्द्रियार्थद्रष्टा मंत्रक स्वरूपक अर्थक द्रष्टा ऋषि
च्यवन सुकन्या
च्यवनकेँ छोड़ि अङ्गिरावंशी स्वर्ग गेलाह
मनुवंशी शर्यातक कुमार लोकनि
दधीचपुत्रपर फेकल ढेपा
च्यवन क्रोधित भेलाह
भाइ-भाइमे युद्ध भेल प्रारम्भ
रथ जोतलन्हि सुकन्याकेँ बैसेलन्हि आ चललाह शर्यात विवाह कराओल च्यवनक संग
आश्विनौ
प्रेमक स्वीकृति लेल सुकन्याक आह्वान
पिता हमरा जकरा संगे ब्याहलनि
सुकन्या की कहलक ओ च्यवन
कहबै तूँ अपूर्ण! पूछत कोना
तँ कहबै पहिने पतिकेँ युवा कर
पोखरिसँ बाहर आबि युवा
कुरुक्षेत्रक देवयज्ञमे तोँ बाहर तेँ अपूर्ण
आश्विन यज्ञमे गेलाह आ
ओतए हुनकर यज्ञमे प्रवेश भेल
आश्विन
सूर्याक रथमे बैसब
वंदन ऋषिकेँ इनारसँ निकालब
रेभ ऋषि ९ दिन १० राति इनारमे
निकालिब
आ तुग्रपुत्र भुज्युकेँ समुद्रपार कराएब
इन्द्र दधीची
दधीची द्वारा आश्विनौकेँ मधुविद्याक उपदेश
इन्द्रकेँ नहि
अश्वशिरसँ अश्विनौकेँ उपदेश
ओकर काटब
अश्वशिरसँ इन्द्र द्वारा प्राप्त गुह्य प्रवर्ग्य विद्याक उपदेश
अथर्वा पुत्र दध्यङ तेजस्वी
असुर धराशायी- स्वर्ग
इन्द्र कमजोर
मुदा हुनकर अवशिष्ट
कुरुक्षेत्र लग पोखरिसँ शर्यणवत्, अश्वशिर
८१० असुरक एहि अश्वशिरसँ मारलक
पुरुरवा उर्वशी
उर्वशी- आगू चलएवाली उषा जेकाँ हम छोड़लहुँ अहाँकेँ
अहाँक पुत्रकेँ हम अहाँ लग पठा देब
इलापुत्र पुरुरवा
अंतरिक्षकेँ पूर्ण करएवाली आ जल बनबैवाली उर्वशी
गन्धर्वक पत्नी अप्सरा
अप्सरा- मेघ विद्युत् आ तरेगण
पुरुरवा सूर्य
अप्सरा विद्युत्
पुरुरवा पत्नी अप्सरा
घुरि गेलि देव लग
माँगलन्हि पुरुरवा देवसँ अपन पत्नी
देलन्हि “आयु” पुत्र पुरुरवाकेँ
वृक्षशाखासँ अरणि निर्माण
मथल- भेलीह अग्नि उत्पन्न
सरमा-पणि
पणि, वृत्र बल द्वारा गाए चोरा कऽ गोपनीय स्थानपर बन्न
सरमा इन्द्र द्वारा पठाओल गेलापर स्थानक खोज
पणिसँ सम्वाद
इन्द्रक आक्रमण
सरमाकेँ दुग्धक दान
वृत्र, बलसँ गाएक बृहस्पति द्वारा मुक्ति
सरमा- गर्जन- विद्युत् आश्रय
अगस्त्य-लोपामुद्रा
अगस्त्यक पत्नी लोपामुद्रा
प्रेमप्रलाप शिष्य द्वारा
सुनब आ पश्चाताप करब
अगस्त्य, लोपामुद्रा द्वारा ओकर आलिंगन
आ चुम्बन आ निष्पाप घोषित करब
यम-यमी
यमी यमकेँ रम्य द्वीपपर लऽ जा कऽ
कामक याचना करैत अछि
नपुंसक पति
यमक वचन
बलवान पुरुषसँ पुत्रोत्पत्तिक आह्वान
पिता विवस्वान्- आदित्य
माता सरण्यु- उषा ज्योति
१०
इन्द्र अहल्या
देवासुर संग्राममे गौतम थाकि गेलाह
तँ इन्द्र कहलन्हि हम अहाँक रूपमे विचरण करब
गौतम स्वीकृति देल
अहल्या मैत्रेयीसँ जार
११
मनु मत्स्य
मनुक हाथमे माँछ
हमरा पोसू हम रक्षा करब
माछक कहब
अनुकूल नाह बनेलक
बिहारि
नाहमे बैसि गेल
जलमे अर्पणसँ आशी
ओकरासँ प्रजा
इडा यज्ञ
१२
चन्द्र सूर्य राहु केतु
स्वर्भानु रोकि लैत अछि
सूर्य प्रकाशकेँ

No comments:

Post a Comment

https://store.pothi.com/book/गजेन्द्र-ठाकुर-नित-नवल-सुभाष-चन्द्र-यादव/

 https://store.pothi.com/book/गजेन्द्र-ठाकुर-नित-नवल-सुभाष-चन्द्र-यादव/