भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c) २०००-२०२२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.html , http://www.geocities.com/ggajendra   आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html   (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html   लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha   258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै। इंटरनेटपर मैथिलीक पहिल उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि, जे http://www.videha.co.in/   पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

 

(c)२०००-२०२२. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। सह-सम्पादक: डॉ उमेश मंडल। सहायक सम्पादक: राम वि‍लास साहु, नन्द विलास राय, सन्दीप कुमार साफी आ मुन्नाजी (मनोज कुमार कर्ण)। सम्पादक- नाटक-रंगमंच-चलचित्र- बेचन ठाकुर। सम्पादक- सूचना-सम्पर्क-समाद- पूनम मंडल। सम्पादक -स्त्री कोना- इरा मल्लिक।

रचनाकार अपन मौलिक आ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) editorial.staff.videha@gmail.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकै छथि। एतऽ प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक/संग्रहकर्त्ता लोकनिक लगमे रहतन्हि,'विदेह' प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका मात्र एकर प्रथम प्रकाशनक/ प्रिंट-वेब आर्काइवक/ आर्काइवक अनुवादक आ आर्काइवक ई-प्रकाशन/ प्रिंट-प्रकाशनक अधिकार ऐ ई-पत्रिकाकेँ छै, आ से हानि-लाभ रहित आधारपर छै आ तैँ ऐ लेल कोनो रॊयल्टीक/ पारिश्रमिकक प्रावधान नै छै। तेँ रॉयल्टीक/ पारिश्रमिकक इच्छुक विदेहसँ नै जुड़थि, से आग्रह। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत।  एहि ई पत्रिकाकेँ श्रीमति लक्ष्मी ठाकुर द्वारा मासक ०१ आ १५ तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

स्थायी स्तम्भ जेना मिथिला-रत्न, मिथिलाक खोज, विदेह पेटार आ सूचना-संपर्क-अन्वेषण सभ अंकमे समान अछि, ताहि हेतु ई सभ स्तम्भ सभ अंकमे नइ देल जाइत अछि, ई सभ स्तम्भ देखबा लेल क्लिक करू नीचाँ देल विदेहक 346म आ 347 म अंक, ऐ दुनू अंकमे सम्मिलित रूपेँ ई सभ स्तम्भ देल गेल अछि।

“विदेह” ई-पत्रिका: देवनागरी वर्सन

“विदेह” ई-पत्रिका: मिथिलाक्षर वर्सन

“विदेह” ई-पत्रिका: मैथिली-IPA वर्सन

“विदेह” ई-पत्रिका: मैथिली-ब्रेल वर्सन

 VIDEHA_346

 VIDEHA_346_Tirhuta

 VIDEHA_346_IPA

 VIDEHA_346_Braille

 VIDEHA_347

 VIDEHA_347_Tirhuta

 VIDEHA_347_IPA

 VIDEHA_347_Braille

 

Tuesday, August 17, 2010

अक्षरमुष्टिका


अक्षरमुष्टिका
(आंगुरक संकेतसँ अक्षर-भावक निर्देश)
बा- आब सुति जाऊ। भोरे स्कूल जएबाक अचि।
बुच्ची-बा पहिने एकटा खिस्सा सुनाऊ।
बा- कोन खिस्सा ? राजा बला परीबला आकि..
बुच्ची- परीबला।

विज्ञान कथा, पर्यावरण कथा, पोसुआ पालक कथा

नाटक- भिक्षुक कमला स्नान, पहिने शिवलिंगक निर्माण, फेर गंगा-स्नान
काछु आ खरहाक नव खिस्सा
अब्दुलक टोपी बेचैबला नव खिस्सा
जलोदीप- सरकारे सभटा काज किएक करत
स्निफर डॉग आख्यान- फाड़ि कऽ मौस निकालब
-केक काटिते देरी हम बढ़ि गेलहुँ
-आबै जाए सभ काल ताली/ रैना भाइ- विद्युत- तूँ एखन एतेक पैघ नहि भेल छेँ
-

एक दिन रातिमे बुच्ची आस्था कएक रंगक प्रकाशबला घोड़ापर बैसि कऽ उड़ल। पहिने ओ पहिल रंगपर चढ़ि कऽ सवारी करए चाहलक मुदा चाबुकक संगे नीचाँ खसए लागल। तखन ओ छड़पि कऽ दोसर आ तेसर रंग फेर चारिम रंगपर पहुँचल। चरिम रंग हरिय छल। एतए ओकर संतुलन नीक बनि गेलै। ओअतएसँ ओ देखलक जे..


जहिया कहियो रमणजी स्कूल जाइत छल ओकर स्वागत ओकर कक्षाक विद्यार्थी सभ सकदम भऽ करैत रहए। ओकर कषामे प्रवेशसँ वर्ग शान्त भऽ जाइत छल। से ओ रहबो करए मोट-डाँट आ देखैमे पैघ। छठा वर्गक विद्यार्थी सभक बीच बेछप। लगैत रहैत छल जेना अठमाक विद्यार्थी हुअए। से वर्ग शिक्षक ओकरा कक्षाक विद्यार्थी-संचालक बना देलखिन्ह। ओकर काज छलै अपन वर्गक विद्यार्थी सभपर शासन चलेनाइ। पढ़बा-लिखबामे धरि छल महाभुसकोल। रहबाक तँ चाही छलै ओकरा सतमेमे मुदा अनुत्तीर्ण भऽ गेलाक कारणसँ छ अम वर्गमे छल। मुदा दौगा-धूपीमे खूब तेज। फुटबॉल सेहो बड्ड नीक खेलाइत छल।
मास्टर साहेब ओकरा मिडिल स्कूलक फुटबॉल टीम बनेबाक निर्देश देलखिन्ह। ओ जी-जानसँ एहिमे लागि गेल। मुदा सभ विद्यार्थी क्रिकेट-क्रिकेटक रटना रटि रहल छल। रमणकेँ मुदा क्रिकेट बुझबामे एबे नहि करै।
जीबू, नरेश आ सुमन। तीनू गोटे ओकर पुरनका कक्षाक छात्र, माने आब ओ सभ सतमा वर्गमे चलि गेल अछि। मुदा तीनू गोटे आब क्रिकेटर भऽ गेल छथि। पुरना मास्टर साहेब। सतमा कक्षाक वर्ग-शिक्षक। हिसाब पढ़बै छथि। पथलखरीसँ एक्के निसाँसमे हिसाब बना दैत छथि। बड्ड दिनसँ एहि कोठिया मिडिल स्कूलमे छथि। असली नाम तँ नै कहब मुदा पुरना मास्टर साहेबक नामसँ प्रसिद्ध छथि। एम्हर एकटा नबका मास्टर सैहेब सेहो आएल छथि। ओना दू-तीन बर्ख भऽ गेल छन्हि आ हुनके संगे दोसर मास्टर सैहेब सेहो आएल छथि, जिनका लोक पहिने नबके मास्टर सैहेब कहैत रहए मुदा एक बरिखक बाद आब हुनका बतहा मास्टर सैहेब कहै छन्हि। कारण छथि तँ तेजगर मुदा संगे सुराह सेहो छथि, तेँ।
से छ अम वर्गक वर्ग-शिक्षक नबका मास्टर सैहेब रमणजीकेँ स्कूलक फुटबॉल टीम बनेबाक भार देलन्हि मुदा जीबू, नरेश आ सुमन तीनू गोटे रमणकेँ भराम स्कूलक मैदानपर क्रिकेट देखबाले लऽ गेलखिन्ह। क्रिकेट कतेक नीक होइ छै से जे रमण देखताह तँ बतहा मास्टर सैहेबसँ मिलि कऽ स्कूलक क्रिकेट टीम बनेबाले गप करताह। सुनै छिऐ बतहा मास्टर सैहेब कपिलदेव जेकाँ तेजीसँ गेन्द फेकैत छलाह आ राज्यक टीममे नहि चुनल गेलाह, तेँ सुराह आकि बताह भऽ गेलाह।
से रमण अपन पुरना कक्षाक मित्र लोकनिक संगे भराम स्कूलक मैदानपर पहुँचलाह। रमणकेँ क्रिकेटक निअम बुझल नहि छलन्हि से जीबूकेँ भार देल गेलन्हि जे मैदानपर होएबला सभटा गतिविधिक व्याख्या रमणकेँ सुनाबथु, जाहिसँ ओ एहि विधाक प्रति आकर्षित होथि।





1.दीना-भदरी
नेपालक मिथिलांचलमे अछि जोगियानगर जतए रहै छला दु भाइ- दीना आ भदरी। मुसहर जातिक रहथि आ खेती करैत छलाह।

पाँच-पाँच मोनक कोदारि छलन्हि आ बिगहा भरि जमीन तामि लै छलाह दिन भरिमे।

जोगियानगरक बगलमे जाँजर गाम छल। ओतुक्का जमीन्दार छल कनक सिंह आ ओकर पत्नी रहए बुधनी। बड़ बदमाश दुनू टा। बोनिहार केँ देखए नहि चाहैत छल।

कनक सिंहकेँ पता चललै जे दीना-भदरी लग पाँच-पाँच मोनक कोदारि छै आ ओ सभ बिगहा-बिगहा भरि जमीन तामि लै छथि दिन भरिमे। ओ जोगियानगर गेल आ दीना-भदरीकेँ अपन गाम बजेलकै खेतीक करबा लेल। दीना-भदरीकेँ कनक सिंहक बोनिहारपर कएल जा रहल अत्याचार बुझल रहै। मारि-मारि कऽ छूटलाह ओ दुनू गोटे कनक सिंहपर। भागल कनक सिंह।

बुधनीकेँ पता चललै। ओ सलहेस थान गेल। कठोर तपस्या केलक। सलहेस प्रकट भेलाह। -माँग की चाही!
-दीना-भदरीक प्राण।
-आह।
सलहेस मूर्छित भऽ गेलाह। मुदा वचनक हारल। की करताह?
रातिमे दीना-भदरीकेँ सपना देलन्हि सलहेस।
-कटैया बोन मे आऊ। बड्ड शिकार भेटत।

रातिएमे बिदा भेलाह दीना-भदरी, तीर-धनुष लेने। संगमे मामा बहुरन। रस्तामे नंगड़ागोड़िया गाम, ओतए रहैत छलाह हुनकर सभक दोस जीतन यादव। हुनको शिकारक लेल चलबाक लेल कहलन्हि।
अमावस्याक राति! अन्हार गुज्ज।
मुदा शिकार एक्को टा नहि। बादुर घुमैत। दीना एसगरे जंगलक बीचमे चलि गेलाह। ओतए ठाढ़ि छलि बुधनी, सलहेस सेहो संगमे छलाह।
बुधनी बाजल:
-बोनक जानवरक देवता सलहेस अपन खुनीमा बाघ बजाऊ।

दीना बाण चलेलन्हि मुदा बाण रस्ता बिसरि जाइत छल। मल्ल युद्ध भेल। दीना सलहेसक नाम लए आक्रमण कएलन्हि, बाघकेँ मारि देलन्हि।

बुधनी बजल- भेष बदलैबाली अपघात भेलि बाघिनकेँ बजाऊ।

सलहेस दीनाक वीरतासँ प्रसन्न छलाह मुदा करथि तँ करथि की?

बगराक भेष बना कए बाघिन आयलि आ दीनाकेँ अपन बिखाह चांगुरसँ मारि देलक।

तखने भदरीक मोन बिखिन्न सन भेलैक।
-बहुरन मामा। हम जा रहल छी भैया लग। अहाँ गाछपर बैसि कऽ प्रतीक्षा करू।
लहास लग पहुँचलाह भदरी मुदा ओ बहुरुपिया बगरा हुनको मारि देलकन्हि।
बुधनी घर घुरि गेलि।

दीना आ भदरीक आत्मा दु गोटेक शरीरमे पैस गेल। बहुरन लग पहुँचलाह दुनू गोटे।
-अहाँक दुनू भागिन मारल गेलाह। गाम खबरि करू। लहास लऽ जाऊ। श्राद्ध करबाऊ। तावत जीतन सेहो पहुँचि गेलाह। जीतन गाम लऽ गेलाह दुनू गोटेक लहासकेँ आ स्वयं अग्नि देलन्हि दुनू गोटेकेँ।

दीना-भदरीक माए निरसो। श्राद्ध लेल पाइये नहि। की करतीह?

सपना देलन्हि दीना-भदरी।
-माए। घरमे तूर अछि। बनीमा लग लऽ जाऊ। ओकर बदलामे ओ जे देत ताहिसँ हमर श्राद्ध भए जएत।

बनीमा जोखलक तूरकेँ- हँसैत। एक दिस तूर आ दोसर दिस बताशा। मुदा ई की? भरि दोकानक समान तौला गेल मुदा तूरबला पलड़ा नहि उठल। दीना-भदरी बैसि गेल रहथि ओहिपर।
बनीमा हाथ जोड़ि कऽ ठाढ़ भए गेल, निरसो संग बोनिहार आ समान पठा देलक। जेवार देलन्हि निरसो। दीना-भदरी रूप बदलि बारिक बनलाह। सभकेँ पड़सिकऽ खुअओलन्हि।
तखने दीना असल रूपमे आबि गेलाह। हुनकर कनियाँ हंसा हुनका देखि लेलन्हि। निरसो केँ ओ ई गप कहलन्हि- मुदा ओ गप नहि मानलन्हि।
-अपन छाती सात तह कपड़ासँ बान्हि लिअ आ ओकरा लग चलू जे दीना बनि गेल छल।

निरसो ओतए गेलीह। दूध निकलि कऽ दीना-भदरीक मुँहमे चलि गेल आ ओ दुनू गोटे बिला गेलाह।
फेर दीना-भदरी बिदा भेलाह मोरंग। जोरावरसिंह केँ मारि मुसहरक उत्थान कएलन्हि। फेर ताहिरकेँ मारलन्हि। फेर सुनरियाकेँ मारलन्हि। फेर धारक कातमे मारलन्हि डैनियाही बुधनीकेँ। डेढ़ सए दुष्टक नाश केलन्हि दीना-भदरी।
सलहेस बजलाह:
-जतए-जतए हमर पूजा हएत, ततए-ततए अहाँक पूजा सेहो हएत।
सलहेस आ दीना-भदरीक गहमर संगे रहए लागल तहियासँ।

फेर दीना-भदरीकेँ मुक्ति भेटि गेलन्हि। परलोकमे सलहेस आ दीना-भदरी संगे रहए लगलाह।

2.अमर बाबा
कमला धारक जन्म भेलन्हि। िकसान आ मलाह सभक जीवन आनन्दित भऽ गेल।
कमला पैघ भेलीह। बैदला बदमाशक मोनमे खोट आबि गेलै। ओ चमार जाितक सरदार छल। ओ
बरजोड़ी कमलासँ िबयाह करऽ चाहलक।
मलाह लोकनिकेँ एहि गपक पता चललन्हि तँ ओ सभ भोला बाबाक तपस्या करए लगलाह।
-कमलाक सतीत्व बचाऊ महादेव।
भोला बाबा उपाय केलन्हि। िशवरा गामक मलाह परिवारमे अमरिसंहक जन्म भेल।
अमर िसंह पैघ भेलाह। अखराहामे मािट देलन्हि बैदलाकेँ अमर िसंह। युद्ध भेल आ बैदला मारल
गेल।
मलाह लोकनि बैदलाक खानदान नष्ट करए चाहै छलाह। अमरिसंह बैदलाक गभर्वती कनियाँ केँ मािर
देलन्हि मुदा ओकर बच्चा तखने जनमल छल मुदा छल ओ बड्ड बलवान। कमला िकछु भेद बतेलन्हि आ अमरिसंह बैदलाक बेटाकेँ मारलन्हि।
मलाह लोकनि अमर िसंहक गहमर बना कए आइयो पूजा करै छथि, कमला धारक प्रति श्रद्धानवत
भऽ कऽ।
3.मोतीदाइ
गाम उजैनी। गहिल माताक भगतिन मोतीदाइ। मोतीदाइ जाितक रजक। एक िदनक गप, बाड़ीमे
गोबर पािथ रहल छलीह मोतीदाइ। गुअरटोलीक जनानी सभ हुनका देिख कऽ बाजल।
-अपन माल-जाल भगाऊ नहि तँ सभटा माल-जाल बिसखि जाएत, बाँझ भऽ जाएत; जेना ई मोतीदाइ अछि।
मोतीदाइ दुखसँ भरि गेलीह। गहिल माताक गहमर गेलीह, पीड़ी खोदऽ लगलीह। गहिल माता प्रगट
भेलीह।
-ठीक छै। हम इन्द्रक दरबार जएब आ अहाँ लेल बच्चा माँगब।
इन्द्रक दरबार। गहिल माता अपन भगतिन लेल बच्चा मँगलन्हि।
इन्द्र िहसाब लगेलन्हि।
-पूर्व जन्मक फल छै। ओकरा बच्चा नहि िलखल छै।
गहिल माता घुरलीह। मोतीदाइकेँ ई सभ कहलन्हि।
-आह! तखन हमर जीवन िनरथर्क अछि। एहिसँ तँ मरबे नीक।
मरबाक सूरसार शुरू केलन्हि मोतीदाइ।
गहिल माता फेर इन्द्र लग गेलीह। सभटा गप कहलन्हि।
-ठीक छै। बच्चा तँ होएतन्हि मोतीदाइकेँ मुदा छठिहारी िदन ओ मरि जएतन्हि।
सैह भेल। छठिहारी िदन बच्चा मरि गेल। बाँझ होएबाक दुख मुदा खतम भेलन्हि। गहिल माताक
भगता ओ खेलाए लगलीह।



4.मीरांसाहेब
िडलरीनगर। एकटा सैयद छलाह ओतए। एकटा कनियाँ छलखिन्ह आ कैकटा बेटा
छलन्हि। लड़ाका सभ।
नूनजागढ़क युद्ध। मुदा एहिबेर सैयद आ हुनकर सभटा बेटा मारल गेलाह। मुदा हुनकर िवधवा
गर्भसँ छलीह। िकछु िदनमे बच्चा भेलन्हि। नाम राखल गेल मीरां।
ओहो लड़ाका, मुदा माएकेँ ई पसिन्न नहि। हुनकर िबयाह करबाओल गेल कमे बयसमे, जे मोन
युद्धसँ हँटतैक। मुदा..
माए आ कनियाँ बड्ड बुझेलखिन्ह मुदा मीरां असगरे नूनजागढ़ गेला आ बाप-भाएक बदला लेलन्हि आ
घुिर कऽ िडलरीनगर अएलाह।
हुनकर आत्माक प्रभावसँ िडलरीनगरमे हुनकर मृत्युक बादो बहुत िदन धिर शान्ति रहल।
5.िबहुला
चम्पानगर।
ओतए एकटा पैघ बनिजारा- चाँद सौदागर।
िशवजीक भक्त।
एक बेर िवषहारा मनसा सोचलक जे ओ कैलाश त्यािग मृत्युलोक आबि जाए। लोक ओकर पूजा
करत।
मनसा मृत्युलोक आयलि- चम्पानगर। चाँद सौदागरकेँ कहलक- हमर पूजा कर।
मुदा चाँद सौदागर िशवक भक्त। मना कऽ देलक।
मनसा क्रोिधत! चाँद सौदागरक सात टा बेटा। मनसा सातूकेँ कािट लेलक। सभ मरि गेल।
फेर एक बेर जहाजसँ अबैत रहए सौदागर चाँद। दूर देशसँ। मनसा जहाज डुमा देलक।
कंगाल भऽ गेल चाँद। मुदा तखने ओकरा एकटा बेटा भेलै। लखिन्दर नाम राखल गेलै ओकर।
चाँद सौदागर डरायल रहए से अखण्ड सौभाग्यवती कन्या िबहुलासँ बेटाक िबयाह करेलक
लखिन्दरक। आब की करतीह मनसा?
मनसा सपना देलन्हि चाँद सौदागरकेँ। कोहबरमे डसब तोहर बेटाकेँ।
पातर जालीसँ कोहबर बनबओलक चाँद। आब की करतीह मनसा?
मुदा मनसा पातरो सँ पातर भऽ गेलीह। कािट लेलन्हि आ लखिन्दर खतम।
मिथिलामे साँपक काटलकेँ केराक थम्हमे बान्हि देल जाइत अछि। बहि गेल लखिन्दर गंगामे।
मुदा िबहुला। ओही केराक थम्ह पर बैिस गेलीह पिताक संग।
संगम पहुँचैत गेलाह सभ, त्रिवेणी घाट! एकटा धोिबन कपड़ा खीिच रहल छलीह। बेटा कानए
लगलन्हि तँ ओकरा मािर कऽ कपड़ासँ झाँिप देलन्हि। फेर जाइ काल ओकरा िजया कऽ िबदा
भेलीह। पुछलन्हि िबहुला- तँ पता लागलन्हि जे मनसाक कृपासँ ई सम्भव अछि।
तप, तप तप। िबहुलाक तपसँ प्रसन्न मनसा लखिन्दर आ जेठ सातू भाँएकेँ िजया देलन्हि।
चाँद सौदागर प्रसन्न। चम्पानगरक लोक प्रसन्न। सभ मनसाक आ संगमे िबहुलाक पूजा करए लगलाह
तहियासँ।
6.मोतीसाएरि
मोरंग।
राजा भीमसेन। िनःसन्तान।
यज्ञ। कन्याक प्राप्ति। नाम मोतीसाएरि।
पैघ भेिल मोतीसाएरि।
-कुंडली देखू पंिडत।
पंिडत कुंडली देखलन्हि। एकरासँ जे िबयाह करत से एहि प्रपंचक सभटा सुखपर अधिकार करत।
सोचलन्हि-
-अद्भुत। एकरासँ जे हमहॴ िबयाह कऽ ली।
मुदा कहताह कोना?
-अहाँक बेटीक भाग्यमे अनिष्टे-अनिष्ट। अहाँ आ अहाँक राज्यक समापन भऽ जएत। अविलम्ब एकरा
राज्यसँ बाहर करू।
एकटा पैघ सन्दूकमे खेनाइ-िपनाइक सामग्रीक संग मोतीसएरि बन्द भऽ गेलीह। हुनका बहा देल गेल
धारमे। पंिडत चाहलक जे संदूक ऊपर कऽ ली। मुदा प्रवाह तेज रहै। बहि गेल संदूक। आ एकटा
बोनमे कात लागल।मोरंगक बोन। एकटा सरदार रहए गवल। बोनक सरदार। ओ मोतीसएरिकेँ बेटी
जेकाँ मानए लागल।
पंिडतकेँ एहि गपक पता लािग गेलैक।
राजाकेँ फेर सन्तान प्राप्तिक िललसा भेलैक। पंिडतसँ पुछलक।
-राजन्। मोरंग बोनक गवली सरदारक पुत्रीसँ जे अहाँक िबयाह भऽ जाए तँ पुत्रक प्राप्तिक योग
अछि!
पंिडत सोचलक जे बेटीसँ िबयाह केने ओकरा राज्यसँ च्युत कऽ देल जएतैक। आ फेर पंिडत राजा
बनि सकत।
गवलसँ भयंकर युद्ध। भीमसेन हािर गेल।
भीमसेन पंिडतसँ मंत्रणा कए यादव जाितक सरदार कृष्णारामकेँ बजेलन्हि।
-गवलक बेटीकेँ आनि कऽ िदअ आ अदहा राज्य लऽ जाऊ।
बुझेलक गवलकेँ कृष्णाराम, मुदा गवल नहि मानल। आक्रमण केलन्हि कृष्णाराम मुदा नहि हारल
गवल। मरछौर िछटवा देलन्हि कृष्णाराम। मोतीसाएरिकेँ भीमसेन लग पहुँचा देलन्हि आ आधा मोरंग
भेिट गेलन्हि कृष्णारामकेँ।
मुदा जखने िबयाहक प्रस्ताव देलन्हि भीमसेन मोतीसाएरि शाप देलन्हि आ अपने अन्तर्धान भऽ गेलीह,
मोक्ष भेटलन्हि हुनका। भीमसेनक राज्य खतम भऽ गेल।

७.माधव सिंह आ अमता गाम

मिथिलामे माधव सिंहक राज्य छल तखने भयंकर दुर्भिक्ष आयल।डबरा-चभच्चा धरि सुखा गेल। दरबार बजाओल गेल।
-राजन्। नेपालक दरबारमे रामनवाज, सीताराम, राधाकृष्ण आ करताराम चारि संगीतज्ञ छथि आ चारू भाइ छथि। हुनकर संगीतमे जादू छन्हि। ओ संगीतसँ बरखा करबा सकै छथि।
नेपालसँ आग्रह कएल गेल तँ ओ राधाकृष्ण आ करतारामकेँ मिथिला दरबारमे पठेलन्हि। ई दुनू गोटे ध्रुवपदक प्रसिद्ध गबैय्या छलाह। जखन ई दुनू भाँए पखावजी भीम मल्लिकक संग राग मेघ मल्हारक सुरक नोम-तोम पूर्ण केलन्हि तँ घटा आबि गेल। बन्दिश प्रारम्भ भेल आ भीम मल्लिक पखावजपर थाप देलन्हि तँ बुन्नी पड़ए लागल। फेर बरखाक पानि दरबार आबि गेल। चारू दिस दूत पठाओल गेल जे कतहु रुक्ख तँ नहि अछि। आ जखन ई पता लागि गेल जे कतहु रुक्ख नहि अछि तखन जा कऽ गायन खतम भेल।
राजा हुनका सभक लेल अमता गाममे घर बनबा देलन्हि आ ओहि गाममे खीरीक गाछ लगबा देलन्हि जकर फरमे दूध भरल रहैत छल।
राजा अमता गाम ध्रुवपदक आनन्द लेबाक लेल जाइत रहैत छलाह। मृत्युकालमे राजा ध्रुवपद सुनबाक लेल अमता गाम बिदा भेला मुदा रस्ते मे हुनकर मृत्यु भऽ गेलन्हि।

८.उगना
विद्यापति शिवक भक्त छलाह। हुनकर नचारी सुनि कऽ शिव कैलासमे नाचए लगैत छलाह आ एक बेर ओ निर्णय लेलन्हि जे ओ विद्यापतिक घरमे नोकर बनि रहताह।
विद्यापतिक पत्नीक नाम चन्दन छलन्हि आ शिव जखन नोकरक भेषमे उगना बनि पहुँचलाह तँ विद्यापति पत्नीक सहायता करबाक लेल उगनाकेँ नोकर राखि लेलन्हि।
एक बेर विद्यापति कतौ जाइत छलाह। उगना संगमे छलन्हि। रस्तामे गुमारसँ विद्यापति बेकल छलाह, पियास लागि गेलन्हि। मुदा पानिक कतहु पता नहि। उगना सेहो पानि लेल चारू दिस घुमल आ घुमि कऽ आयल तँ विद्यापतिकेँ मूर्छित देखलक। तखन उगना अपन असली रूपमे आबि कऽ जटाक गंगधारसँ पानि निकालि विद्यापतिकेँ पियेलखिन्ह। विद्यापतिकेँ होश अएलन्हि, मुदा गंगाजलक स्वाद ओ परखि लेलन्हि। उगनाक केश एखनो भीजल छल ओ बुझि गेलाह जे ई साक्षात् शिव छथि। शिव अपन असली रूपक दर्शन विद्यापतिकेँ देलखिन्ह।विद्यापतिकेँ दुख भेलन्हि जे ओ शिवकेँ नोकर राखलन्हि मुदा शिव तँ विद्यापतिक नचारीक भूखल। कहलखिन्ह जे अहाँक गीत सुनबाक लेल हम नोकर बनि कऽ रहब मुदा जहिये अहाँ ई भेद खोलि देब तहिये हम अन्तर्धान भऽ जएब।
एम्हर पार्वती दुखी छलीह। से एक दिन जखन चन्दन विद्यापतिकेँ तेतरि अनबाक लेल पठेलन्हि तँ पार्वती सभटा तेतरि पहिनहिये तोड़बा लेलन्हि। उगनाकेँ एकोटा तेतरि नहि भेटलन्हि आ जखन ओ घुरलाह तँ तामसमे चन्दन बाढ़नि लऽ कऽ छुटलीह। विद्यापतिकेँ ई देखल नहि गेलन्हि आ ओ हा शिव! कहलन्हि आकि शिव अन्तर्धान भऽ गेलाह। तकर बाद कतेक दिन धरि विद्यापति विक्षिप्त रहलाह।

9.चूहड़मल आ ओकर रेशमा
मोकामा घाट।
चूहड़मल गरीब बोनिहार, जातिक दूधबंसी (दुसाध)।बापक नाम राजवंसी, माताक अंजनी आ काकाक नाम बैसीराय । अखरहाक वीर।
रेशमा पाइ बला बाप अजबी सिंहक बेटी, अजय सिंहक बहिन। भुमिहार ब्राह्मण जातिक।
एक दिन भेँट भेलै गंगा धारक कातमे तँ ओकरा देखिते रहि गेलीह रेशमा। प्रेम व्यक्त कऽ देलन्हि। कतबो बुझाबथि चूहड़मल मुदा गप बुझबे नहि करथि। भेँट करबा लेल आबि जाथि।
पहरा पड़ि गेल रेशमापर।
रेशमाक भाइ अजय सिंहक कहलापर गड़ेरिया रामजीत आ मन्ने खाँ बिदा भेलाह चूहड़मलक गरदनि कटबाक लेल। मुदा आहि रे ब्बा। कथी ले से होएत उनटे चूहड़मल तरुआरिसँ गरदनि काटि लेलक गड़ेरिया रामजीत आ मन्ने खाँक।
आक्रमण। दूधबंसी टोलपर।
मुदा रेशमा गेल बाप अजबी सिंहक लग आ रोकबेलक आक्रमण।
गेलि रेशमा सखी-बहिनपा रामसखीक संग फेर चूहड़मलसँ भेँट करबा लेल, गंगाक तटपर। रामसखी जादूसँ दऽ आयल रेशमाकेँ चूहड़मल लग। जादूक असरिसँ क्यो रेशमाकेँ देखि नहि सकल। घोड़ापर दुनू गोटे मोकामा टाल लग काली मन्दिर गेलाह, चूहड़मल अपन शोनितसँ रेशमाकेँ सिन्दूर देलक, , पुरहित आशीष देलक। मुदा घेरि लेल गेलाह। महुक गाछपर बैसा देलक रेशमाकेँ चूहड़मल। भयंकर युद्ध, मुदा चूहड़मल जितय बला रहए तखने कलुआ सिपाही रेश्माकेँ लऽ कऽ भागि गेल। दौगल चूहड़मल, घोड़ापर चढ़ि कऽ, मुदा घोड़ा मारल गेल आ रेशमा-रेशमा करैत चूहड़मल मरि गेल।
बचल अछि स्मृति टा मात्र, रेशमा आ चूहड़मलक, मोकामा टालक रेशमा-चूहड़मल मंदिरमे, जतए सभ बरख लगैए मेला।

१०.मूँगा आ जालिम सिंह

बेतिया राज।
जालिम सिंह, राजपूत, सिपाहीक सरदार । एक दिन इनार पर पानि भरैत देखलक मूँगाकेँ जे रहथि दूधबंसी (दुसाध)। पानि पिएबाक प्रार्थना कएलक जालिम मुदा भागि गेलीह मूँगा।
बेतिया राजाक मुँहलग्गू पृथ्वीपाल सिंह दुष्ट। जालिम सिंहक विरुद्ध कुचक्रमे लागल रहै छल। मुदा मलाह पट्टू जालिमक संगी। एक बेर आक्रमण करबेलक पृथ्वीपाल तँ पट्टू सभ टा आक्रमणकारीक मूड़ी काटि लेलक। पृथ्वीपाल राजाक कान भरए लागल, अनर्गल गप सभ, मूँगाक विषयमे सेहो। राजा खिसिया गेलाह जालिमपर।
गुरु मौनी बाबालग जालिम पट्टूक संग गेल।
-छोड़ि दे मूँगाक संग।
मौनी बाबाक गप सुनि जालिम हतप्रभ।
भवानीक नाम लऽ पट्टू मलाह खून कऽ देलक पृथ्वीपालक। मुदा पृथ्वीपालक लोक सभ घेरलक पट्टूकेँ आ ओकरो मारि देलक।
एम्हर मूँगाकेँ पठा देल गेल बेतियाक बोनमे, कनुआ दुसाध लग। मूँगाक भौजीक भाए छल कनुआ। सवा मोन दूध आ एकटा खस्सी रोजीना खाइ छल। महीसपर सबारी करै छल। आ महीसो तेहन जे बाघक शिकार करै छल। बोनक देवी लग बान्हल छलीह मूँगा आ खाँड़ासँ मूड़ी काटत ओकर कनुआ। तखने आएल जालिम आ भालासँ प्राण लेलक कनुआक महीसक। फेर युद्ध आ कनुआ मारल गेल। ओतहि सिनूर देलक जालिम, पुरहित आशीष देलक। अनलक गामपर, कहलक जे ई क्षत्राणी छी। मुदा जालिमक भाए कुँअरकेँ पाता लागि गेलै जे मूँगा दूधबंसी छी। माए मुदा जालिमक संग देलन्हि। मुदा एक दिन भाइ सभ जालिमपर आक्रमण कए भागि जाइ गेलाह। मूँगा अएलीह तँ वरकेँ जालिमक दोस भैरवक घर बिदा भेलीह। मुदा रस्तेमे मूँगा वरक हालत देखि कऽ वैद्य लग रुकि गेलि। मरहम-पट्टी भेलै जालिमक। फेर कनैत-कनैत माए आ भाए सभ अएलाह आ जालिम आ मूँगाकेँ घर लए गेलाह। सभ हँसी-खुशी रहए लगलाह।

११
ऊँटनीसँ खेत जोतल जाइ छैक हरियाणामे। आरिपर जालक गाछ सेहो रोपल जाइत छैक। एहि जालक गाछमे लू बहलापर पीअर फर सेहो लगैत अछि।
एहने वातवरणमे एक गोट किसान ऊँटनीसँ हर जोइत रहल छल। हर जोतैत-जोतैत ऊँटनी अपन नमगर गरदनि नमराय जालक गाछसँ पात खा लेलक। मुदा संजोग जे पात गोलठिया कऽ ओकर गरदनिमे अँटकि गेलैक।
तखने एक गोटे जे ओहि खेतक आरि देने कतहु जा रहल छल आएल आ पुछलक जे की भेल।
किसान कहलक जे ओकर ऊँटक गरदनिमे किछु अँटकि गेल छैक आ हर जोतब छोड़ि बेचैन अछि।
ओ व्यक्ति पुछलक जे ई हर जोतैत-जोतैत दहिना कात गेल छल की?
-नञि।
-उत्तर।                  
-नञि।
-दक्षिण।
-नञि।
-वाम।
-हँ।
-फेर ओ जालक पातपर मुँह मारने रहए की?
-हँ।
-कोनो गप नहि।
ई बाजि ओ व्यक्ति ऊँटक गरदनिपर एक हाथ मारलक। नुरिआएल जालक पात ऊँटक गरदनिसँ बाहर आबि गेल आ ओ निचेन भऽ गेल।
किसान पुछलक जे अहाँ ई करएमे कोना सक्षम भेलहुँ।
ओ व्यक्ति कहलक जे हम डॉक्टर छी। तेँ।
किसान कहलक- अच्छा। तखन तँ हमहुँ डॉक्टरी कऽ सकैत छी।
ओ गाम गेल। ओतए एकटा बुढ़िया सूतल रहए। ओकर मोन खराप रहए।
ई चिकरैत घूमि रहल छल जे हम डॉक्टर छी। ककरो जे इलाज करेबाक होअए तँ हमरा लग आऊ आ इलाज कराऊ।
बुढ़ियाक परिवारजन एहि डॉक्टरकेँ बजा कऽ अनलक।
डॉक्टर पूछब शुरू कएलक।
- बुढ़ी दहिना कात गेल छलीह की?
-नञि।
-उत्तर।
-नञि।
-दक्षिण।
-नञि।
-वाम।
-नञि।
- एक बेर हँ कहि कऽ तँ देखू।
ओकर परिवार बला सभ हँ कहि देलक।
फेर जालक पात खेलन्हि की? एहि प्रश्नक उत्तरमे सेहो परिवार बला सभ आश्चर्य व्यक्त कएलक जे मनुक्ख जालक पात किएक खाएत?
मुदा एहि डॉक्टरक कहलापर ओ सभ हँ कहि देलक।
आब डॉक्टर बुढ़ीक गरदनिपर मारलक। ओ तँ लटकले छलीह। से हुनकर प्राण निकलि गेलन्हि।
आब घरमे मात्र तीन गोटे रहथि से बूढ़ीकेँ कन्हा देबाक लेल डॉक्टरोकेँ जाए पड़लैक, लहाश उघि कऽ डॉक्टर बेसुध भऽ गेल। बूढ़ीक अन्तिम क्रिया भेल आ तखन जे डॉक्टर फीस मँगलक तँ ओ सभ ओहि डॉक्टरपर मारि-मारि कए छुटल।

डॉक्टर ओतएसँ भागि दोसर गाम पहुँचल आ फेर इलाज कराऊ, इलाज कराऊ, ई कहि चिकरय लागल।
एक गोटे अएलाह।
-चलू। हमर बाबूजीक मोन खराप छन्हि। इलाज कए दियन्हु।
-इलाज तँ हम कए देबन्हि। मुदा लहासकेँ कान्ह हम नहि देब।
अपना दिसुका खिस्सा सन्ह नै अबैए
खूब अबैए। मुदा हमरा भेल जे अहाँकेँ तँ अबिते हएत, से नहि कहलहुँ”



No comments:

Post a Comment

https://store.pothi.com/book/गजेन्द्र-ठाकुर-नित-नवल-सुभाष-चन्द्र-यादव/

 https://store.pothi.com/book/गजेन्द्र-ठाकुर-नित-नवल-सुभाष-चन्द्र-यादव/