भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c) २०००-२०२२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.html , http://www.geocities.com/ggajendra   आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html   (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html   लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha   258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै। इंटरनेटपर मैथिलीक पहिल उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि, जे http://www.videha.co.in/   पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

 

(c)२०००-२०२२. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। सह-सम्पादक: डॉ उमेश मंडल। सहायक सम्पादक: राम वि‍लास साहु, नन्द विलास राय, सन्दीप कुमार साफी आ मुन्नाजी (मनोज कुमार कर्ण)। सम्पादक- नाटक-रंगमंच-चलचित्र- बेचन ठाकुर। सम्पादक- सूचना-सम्पर्क-समाद- पूनम मंडल। सम्पादक -स्त्री कोना- इरा मल्लिक।

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Tuesday, August 17, 2010

सहस्रशीर्षा



उपन्यास
स॒हस्र॑ शीर्षा॒
हजार माथ, हजार मुँह, हजार तरहक गप-खिस्सा, सत्य आ …|
(सहस्रशीर्षा पुरुष: सहस्राक्ष:सहस्रपात्। सभूमिग्वंसर्वतस्पृत्वात्यतिष्ठद्दशांगुलम्॥...)
पद्भ्यांशूद्रो अजायत|| ..पद्भ्यां भूमिर्दिशः ...||

पहिल कल्लोल
गढ़ नारिकेल- महिसबाड़ ब्राह्मणक गाम
चारू कात गाछ-बृच्छ, पोखरि। गाममे एक..दू..तीन आ एकटा आर, चारि टा पोखरि।
ओना तँ तीन टा आर पोखरि अछि। एकटा उत्तरबरिया पोखरिक उत्तरभर बड़का डकही पोखरि। लोक बजै छथि जे कोनो डकैत एक्के रातिमे खुनने रहए ई पोखरि। मुदा तकर प्रमाण पुछने यैह पता लागत जे आन तँ कोनो प्रमाण नहि मुदा खुनैत-खुनैत भोर भऽ गेल रहए आ ताहि कारणसँ ओ डकैत पोखरिमे जाठि नहि गारि सकल रहए। हड़बड़ीमे ओहि डकैतक, डकैत की राक्षस कहू, एक पएरक पनही सेहो छुटि गेलै पोखरिक कातमे। बड्ड दिन धरि पोखरिक कातेमे रहए मुदा फेर बाढ़िमे ओहो बहि गेल। से जे एकटा प्रमाण रहए सेहो नहि बचल। गामसँ दूर अछि से छठिक पाबनिसँ कोनो सम्बन्ध आइ धरि एहि पोखरिक नहि स्थापित भऽ सकल अछि। हँ उपनयन बिध-बाधमे धरि एकर उपयोग होइतहि अछि। किसिम-किसिमक माँछ रहै छै एहि पोखरिमे। माँछक कोनो कमी नहि। कहियो डकही पोखरिमे जीरा देबाक खगताक अनुभव नहि कएल गेल। सालना मछहरि होइत अछि आ सभ टोलक लोककेँ-दछिनबाइ टोलकेँ छोड़ि कऽ– सभ दिन अपन-अपन टोलक माँछक हिस्सा देल जाइत छै।
दछिनबरिया पोखरिक दक्षिणमे अछि बुचिया पोखरि। गामसँ दुरगर अछि मुदा जाठि छै बीचोबीच। काठक एहि जाठिकेँ गारबा काल पीअर बच्चाक, आइक जमीन्दार, अति वृद्ध प्रपितामह एकटा बड्ड पैघ आयोजन कएने छलाह। बस्तीसँ दुरगर आ खेतक बीचमे रहबाक कारणसँ एतहु लोक सभ स्नानक लेल कम्मे-सम अबैत छथि। मछहरि सेहो होइत अछि मुदा से मात्र एहि दछिनबरिया टोलक लेल। एहि पोखरिक एकटा आर विशेषता अछि। जखन दुर्गापूजाक दिनमे दुर्गाजी फेरसँ नैहरसँ सासुर दसम दिन जकरा जतरा सेहो कहल जाइत अछि, बिदा होइत छथि तँ हुनकर मूर्तिक भसान अही पोखरिमे होइत अछि। पुरुखपात्र तँ नहि, हँ महिला लोकनि दुर्गाजीक भसानपर हबोढ़कार भऽ कनैत छथि। दुर्गाजी एहि टोलकेँ के पूछए, एहि गामेमे नहि बनै छथि। ओ बनै छथि पड़ोसक गढ़ टोलीमे। एहि गामक लोक तँ अगत्ती सभ। खष्ठी दिन धरि दुर्गाजीकेँ झाँपि कऽ राखल जाइत अछि, मात्र मूर्तिकार हुनका उघारि कऽ देखि सकैए, कारण ओ नहि देखत तँ फेर दुर्गाजी बनतीह कोना। आन कियो देखत तँ आन्हर भऽ जएत। हँ, खष्ठी दिन बेलनोतीक बाद मूर्तिक अनावरण बाद हुनकर दर्शन लोक कऽ सकैए। आ ओही दिनसँ मेला सेहो लगैत अछि। एहि गाममे दुर्गा बनतीह तँ कतेक लोक खष्ठीक पहिनहिये आन्हर भऽ जएत। आ पड़ोसक गाम कम अगत्ती अछि। मुदा पूजाक नामपर देखू सभ सञ्च-मञ्च भऽ जाइत अछि। नाममे टोल लागल छैक- गढ़ टोल मुदा अछि गाम। अही गाम जेकाँ महीसबार ब्राह्मणक गाम। अगतपनामे हम आगू आकि हम- एकर तँ बुझु प्रतियोगिता होइत रहैत छैक दुनू गामक मध्य। गढ़ टोलाक गाम दऽ कऽ जाऊ तँ ओहि गामक बान्हक क्लातक दलानपर बैसल छौड़ा सभ किछु ने किछु सुनेबे टा करत। मुदा एहि गामक फसादी प्रकृतिक छौड़ा सभ अरबधि कऽ ओहि गाम बाटे जएबे टा करत। हँ, सध-बध सभ अही बुचिया पोखरिक बाटे गेनाइ श्रेयस्कर बुझैत अछि, भने कनी हटि कऽ रस्ता छै। तेँ की।
गाममे एकटा आर पोखरि होइत छल। मुदा गामक पूबमे कमला आ बलान एहि दुनू धारकेँ नियन्त्रित करबा लेल दू टा बान्ह बान्हल गेल। गामसँ सटल पूब दिस उत्तर-दक्षिण दिशामे एकटा छहर, फेर छथि कमला महरानी, फेर कमला महारानीक भाइ बलान धार आ तखन जा कऽ फेर ओहिसँ पूब उत्तर-दक्षिण दिशामे दोसर छहर। अही दुनू बान्हक बीचमे दोसर छहर अछि बल्ली पोखरि। एहि विशाल पोखरिक सटले रहए एकटा फुटबॉल क्रीडाक्षेत्र- विशाल रमना। किछु तँ बालू जमा भेने आ किछु जमीन्दारक करतब सँ ई पोखरि आ रमना पीअर बाबूक चकबन्दी बला खेतमे चलि गेल। सरकार सेहो ओहि बीचमे नहि जानि कोन कारणसँ चकबन्दीपर जोर देने रहए। सुरुजू भाइक गोबरसँ सीटल खेत सेहो चकबन्दीमे पीअर बच्चाक खेतमे मिलि गेल छल। दुनू छहरक बीच महिसबार सभक मालक लेल बौआचौड़ी अछि। महिसबार एतए अबैत छथि, खेलाइत छथि आ कमलामे हेलैत छथि। कखनो अपना-अपनीकेँ कमलाक धारमे बिना प्रतिरोधक ओ सभ बहए दैत छथि तँ कखनो धारक प्रवाहक उनटा हेलैत छथि। दुनू बान्हक बीच गुअरटोली। पहिने ई गामक टोल छल मुदा आब एतुक्का मतदाता सूची झंझारपुर बजारमे चलि गेल छै। गामक स्कूलपर वोटक बूथ रहने पहिने, बहुत पहिने, एकरा सभकेँ वोट नहि देमए दैत रहए। आब तकर उल्टा छै।
बौआ चौरीक ई स्नातक सभ- आब कियो दिल्ली-बम्मै मे तँ कियो सउदियामे छथि। कियो सेक्युरिटी गार्ड छथि तँ कियो सेक्युरिटी गार्डक कम्पनी खोलि लेने छथि।

गामक आमक गाछी सभ, कैक टा। बड़का कलम। खढ़ोरिक नवगछली। भोरहा कातक कलम। पोखरिक महार सभपर गाछी। खढ़ोरिमे खेत रहए। मुदा एक गोटे जे नवगछली लगेलन्हि से छाह भेने दोसर खेतमे धानक खेती दबि गेल। से ओहो कने चौक-चौराहापर अनट-बनट बजैत आमक गाछी लगा देलन्हि।
एक टा जमबोनी सेहो अछि। नमगर-नमगर गाछ सभ। पीपरक गाछ सभ डिहबारक स्थानसँ लऽ कऽ स्कूलक प्रांगण धरि एत्तऽ ओत्तऽ पसरल अछि। पीपर गाछक जड़ि एत्तऽ आ शिरा सभ दहोदिस।
बान्ह सभक कातमे बोनसुपारीक गाछ, साहर दातमनिक झोँझ, बँसबिट्टी आ मारिते रास फूल आ काँट सभ। लजबिज्जी तँ सभ कलममे। चाकर आमक गाछपर रखबार सभ ओछैन कऽ सुति रहैत छथि। वरक गाछ मुदा एक्केटा, पीचक कातमे मीआँटोली लग।

खेत पथार सेहो कैक तरहक। दुनू बान्हक बीचक खेतकेँ आब सभ ओइ पार बला खेत कहए जाइत छथि। बलुआही खेत। परोर, तारबूज, फुइट, अल्हुआक खेती, सभसँ सस्त खेत जे किनबाक हुअए तँ एतए आऊ। मुदा बाढ़िक बाद खेतक आरिक मूह-कान बदलल भेटत। कोनो साल बाढ़िक बाद खेतक रकबा घटि जाए तँ अराड़ि नहि ठाढ़ कऽ लेब। अगिला बाढ़िमे भऽ सकैए कमला महारानी ओकर रखबा बढ़ा सकै छथि। खेती ओना तँ धानोक होइत छै। मुदा से सुतारपर छै। कोनो बर्ख तीन बेर रोपलोपर बेर-बेर बाढ़िमे दहा जएत तँ कोनो साल कमला महारानी खेतमे ततेक पाँक भरि देतीह जे जतेक मोनक कट्ठा मोनमे सोचब ताहिसँ बेशी उपजत।
कनेक महग खेत किनबाक हुअए तँ मोड़ बला आ गम्हारिक गाछ लग बला खेत कीनू। एतए लोक खेतीसँ बेशी बसोबास लेल जमीन कीनि रहल छथि।
डकही पोखरि बला खेतकेँ बढ़मोतर कहल जाइत अछि। पहिने ब्रह्मोत्तर रूपमे किनको मँगनीमे राजा द्वारा भेटल होएतन्हि। पहिने सुनैए छियै नीक खेती रहए मुदा आइ काल्हि पानि भरल रहै छै। इलाकामे जे छिटुआ धानक खेती होइत अछि से अही बाधमे।
बड़का कोला, धूरपर, भोरहा आ पुर्णाहा बाधक अतिरिक्त आइ काल्हि किछु गोटे छहरक ढलानपर सेहो खेती-बारी शुरु कऽ देने छथि, सीढ़ी बना कऽ खेती केनिहारक संख्या भूगोलक पोथीमे भने पहाड़पर मात्र देखौने होथि। महीसक मरलापर कन्नारोहटक स्वर आ जादूटोना, ककरो दरबज्जापर पूजल फूल रातिमे फेकब। आब लोको मुदा बूझि गेल अछि जे ई कोनो छौड़ाक किरदानी अछि।
कृषि-मत्स्य-पशुपालन आधारित महिसबार ब्राह्मण बहुल एहि गामक चारूकात पढ़ल लिखल (मुदा एकटा चोरक टोल सेहो अछि ओतए), ततेक नहि पढ़ल लिखल आ मुहदुब्बर गाम सभ अछि। पड़ोसक चोर सभक हिम्मत नहि छन्हि जे एहि गाममे कोनो जातिक घरमे चोरि कऽ लेथि। एहि गाममे जे बियाह भऽ गेल तँ सभटा फसादी जमीनक निपटार भऽ जाइत अछि, लोक समंगर भऽ जाइत अछि। एतएसँ हसेरी दूर-दूर धरि जाइत अछि। कुटुमक जमीनक झगड़ाक निपटारासँ लऽ कऽ वोट लुटबा धरि हसेरी बहराइत अछि।  जमीन एहि गाममे पचीस हजारक कट्ठा अछि, वैह जमीन पड़ोसक गाममे दस हजार रुपैये कट्ठा। उँचगर जमीन गाममे सस्त कारण बर्खाक पानिसँ पटौनी नहि भऽ सकैए उत्थर जमीनक। मुदा बान्ह बनलाक बाद बनराहा गाम सभक जमीन सभ सेहो महग भऽ गेल अछि। पहिने घटक अबैत रहए तँ एहि गामक लड़कापर जे दस कट्ठा आ बनराहा गमक लड़कापर एक बीघा हिस्सा देखै छल तैयो अही गाममे कुटमैती करैत छल। कारण बनराहा गाममे दसो बीघा खेत हिस्सा रहने गुजर कठिन छलै। मुदा आब ओकर सभक भाग्य खुजि गेल छै। जखन बाढ़ि अबै छै तँ ओकर सभक खेतक पटौनी भऽ जाइ छै। बनराहा.. बुझलहुँ नहि, ओहि गाम सभक गाछीमे बानर सभ भरल छै आ लोको सभ बानरे सन पीअर कपीश। कपीश ! आ मास्टरी पहिने कियो करै नहि से सभटा बनराहा सभ मास्टर भऽ गेलै। आ आब मास्टरक दरमाहा देखू। सभटा बनराहा धोआ धोती पहिरि जे निकलैए तँ देहे जरि जाइ छै एहि गौँआक।
धरि दुर्गापूजा एहि गाममे नहि शुरू भेल। मुहदुबरा गाममे सेहो शुरू भऽ गेल मुदा एत्तऽ। चाहबै तँ किएक नहि होयत। रामलीला एक महिना केलहुँ हम सभ आकि नहि। धू, बान्ह लगहीसँ घिना गेल। भने नहि होइए दुर्गा पूजा। एक तँ धी बेटीकेँ लियाउन करेबाक झमेला रहत आ जे मेलपेँचसँ रहै जाइ छी सेहो पार्टी-पोलिटिक्स खतम कऽ देत।
गाम अछि महिसबार ब्राह्मणक गाम।
ब्राह्मणमे इन्द्रकान्त मिश्र, रमण किशोर झा आ अरुण झा। सुखराती दिन जे हूड़ा-हूड़ीक खेल जे एहि महिसबाड़ ब्राह्मण सभक देखब तँ पोलोक खेलमे कोनो रुचि नहि रहत। समियाक डोमसँ कीनल सुग्गरकेँ भाँग पीबि मातल महीस द्वारा हूड़ा लेब। चरबाह जे महीसक पहुलाठ पकड़ि कलाकारीसँ बैसल रहैत छथि सेहो अद्भुते। गाममे आनो जाति अछि।
दुनू बान्हक बीचमे उचका भीरपर गुअरटोली तँ अछिये। बाढ़ियो मे ओ टोल नहि डुमैत अछि। नाहसँ आबाजाही होइए। कमलाक नाह खेबाह मलाह नहि राउतजी छथि। गामक लोकसँ तकर बदलामे अन्न लैत छथि। अनगौँआसँ हँ धार पार करेबाक बदला पाइ लैत छथि।
कुञ्जड़ा टोलीमे मोहम्मद शमशूल। पीचपरक मिआँटोली बगलक गामक वोटर लिस्टमे अपन नाम अंकित करा लेने अछि। ओतहि डोमक चारिटा घर सेहो अछि। बगलक गामक वोटर लिस्टमे नाम अंकित करा लेबाक कारण कारण वैह जाहि कारणसँ गुअरटोली आब एहि गामक वोटरलिस्टमे नहि अछि। मुदा वोटरलिस्ट सँ गाम थोड़बेक बनै छै। ईहो दुनू टोल अही गामक सीमानमे अबैत अछि। डोमक काज पाबनि-तिहारमे तँ होइते अछि। पेटार बनेबासँ सूप, बीअनि सभ किछु बनेबामे डोमक काज आ पाहुन परख लेल आ बरियाती लेल जे खस्सी काटल जएत ताहि लेल मिआँटोलीक काज। खस्सीक मूड़ा दुर्गापूजाक बलिमे कमिटी लऽ लैत अछि। मिआँ जे खस्सी काटैत अछि से हलाल कऽ कऽ। गरदनि अदहा लटकले रहैत छै, मुदा बना सोना कऽ गरदनि लऽ जाइये आ खलरा सेहो। तखन महिसबार ब्राह्मणमे सँ जे हनुमानजी मन्दिरपर भजन आ अष्टजाम करैत छथि से ओही खलरासँ बनल ढोलक किनैत छथि।
फेर धनुख टोली। भगवानदत्त मंडल आ अधिकलाल मंडल-धानुक। पहिने यैह लोकनि भार उघैत रहथि मुदा पछाति दुसधटोलीक लोक सेहो भार उघए लागल छथि। खेती करब धनुकटोली आ दुसधटोलीक पुरान पेशा अछि। हँ पहिने ई सभ मात्र बोनिपर काज करैत रहथि आब बटाइपर करैत छथि। कोनो झगड़ा-झाँटी भेलापर महिसबार ब्राह्मणक चानि कारी खापड़िसँ तोड़ैत एहि दुनु टोलक महिलाकेँ अहाँ सालक कोनो एहन मास नहि अछि जाहिमे नहि देखि सकै छी। बकरी पोसब आ दुर्गापूजामे छागर बलिक लेल बेचब एहि दुनू टोलक पशुपालनमे अहाँ गानि सकै छी। एक-एकटा बरद सेहो कियो राखए लागल छथि आ पार लगा कऽ तकर उपयोग जोड़ा बरदसँ खेती करबामे करैत छथि।
तीन टा घरक रहलोपर धोबियाटोली एकटा टोल बनि गेल अछि। झंझारपुर धरिक मारवाड़ीक कपड़ा एतए साफ कएल जाइत अछि। महिसबार ब्राह्मण सभ जे बरियातीमे बेलबटम झाड़ि कऽ सीटि-साटिकऽ निकलैत छथि से कोनो अपन कपड़ा पहिरि कऽ। वैह मँगनिया कपड़ा, महगौआ मारवाड़ी सभक। मारवाड़ी सभक ई कपड़ा रजक भाइ दू दिन लेल भाड़ापर हिनका सभकेँ दैत छथिन्ह। कोरैल, बुधन आ डोमी साफी, धोबि। डोमी साफी आब डोमी दास छथि, कारण कबीरपंथी जोतै छथि।

नौआटोली सेहो तीन घरक। जयराम ठाकुर, लक्ष्मी ठाकुर आ माले ठाकुर, हजाम। बड़ बजन्ता सभ। कमाइलक लिस्ट लऽ कऽ तगेदा करैत छथि। दुर्गापूजामे जे बाहरी लोक अबैत छथि से कमाइल बिना देने घुरि नहि पबैत छथि। पहिने हप्तामे एक बेर दलाने-दलाने केश कटबा लऽ जाइत रहथि मुदा आब जिनका केश कटेबाक छन्हि से आबथु हमर दुअरा। हँ बर-बरियाती जएबाक होएत तँ से सालमे अकाध बेर टोल सभक दलानपर चलि जेताह। मुदा सेहो एके ठाम। जिनका कटेबाक हेतन्हि पंक्तिबद्ध भऽ बैसथु। ई नहि जे क्यो अखन आबि रहल छी तँ क्यो तखन आबि रहल छी। आब सभ घरसँ एक-एक गोटे झंझारपुरमे सेहो सैलून खोलि लेने छथि। सैलून कोन एकटा प्लास्टिक पटरी कातमे ठाढ़ कऽ देने जाइ छै? नहरनीक प्रयोग तँ बन्ने भऽ गेल अछि। नह अपना-अपनीकऽ काटै जाऊ। छुतकामे बौआसीनक आँगुर कनियाँ आबि कऽ काटि देत, बस। आ पिजेलहा अस्तूरासँ दाढ़ी काटब। खून खसि रहल अछि से कोनो हम छह मारि देने छी। फोँसरी रहए। नञि बाबू, टोपाजबला अस्तूरा झंझारपुरक सैलून लेल छै।
फेर एकटा आर टोल अछि। चर्मकार, मुखदेव राम आ दयाराम राम। पहिने गामसँ बाहर रहए, बसबिट्टीक बाद। मुदा आब तँ सभ बाँस काटि कऽ खतम कऽ देने अछि आ लोकक बसोबास बढ़ैत-बढ़ैत एहि चर्मकारक टोल धरि आबि गेल अछि घरहट आ ईँटा पजेबा सभ अगल-बगलमे खसिते रहैत अछि। ढोलहो देबासँ लऽ कऽ धोल-पिपही बजेबा धरिमे हिनकर सभक सहयोग अपेक्षित। माल मरलाक बाद जाधरि ई सभ उठाकऽ नहि लऽ जाइत छथि लोकक घरमे छुतका लागले रहैत अछि।

जोगिन्दर ठाकुर गढ़ नारिकेल गामक कमारसारिक बड़ही कमारमे सभसँ प्रतिष्ठित परिवार। माइनजन मुदा जखन अबै छथि तखन लगैए जे जोगिन्दर बाबूक सरस्वती मन्द पड़ि जाइ छन्हि आ नीक आ अनर्गल दुनू गपपर खाली हँ निकलै छन्हि। जोगिन्दरकेँ तीनटा सन्तान- बिहारी, अर्जुन आ शिवनाराएण। काठक व्यावसायमे लागल छथि सभ गोटे मुदा बिहारी संगमे लोहाक काज सेहो करि छथि आ अर्जुन साइकिल मिस्त्री सेहो बनि गेल छथि आ रिक्शा साइकिलक छोट-मोट भङठीसँ लऽ कऽ पेन्चर साटब धरि सभ काज करै छथि। बच्चा सभक लेल क्रिकेटक ओधिक गेन्दसँ लऽ कऽ लोहाक तारकेँ नीचाँमे मोड़ि लकड़ीक पहियाकेँ गुड़काबए बला खेल आ कतेक आर खेलाक इजाद केने छथि शिवनाराएण। से लोक कहितो अछि- देखियौ, पढ़ला लिखलासँ नोकरीये टा भेटै छै से धारणा बदलू। देखियौ शिवनाराएणकेँ। की-की फुराइत रहै छै, कुकाठसँ की-की बना लैए । मुदा बिहारीक हाथक ईलम ककरोमे नै, आराकाट , सोझकटाइ , खड़ाकाट , फेँटकटाइ सभमे शिव नाराएणसँ आगाँ। शिवनाराएण आविष्कार करैए आ तकर बाद ओकर देखा-देखी वएह बौस्तु बिहारी ओकरासँ नीक बना लैए। आब गाममे कोनो बौस्तुक कॉपीराइट आविष्कारककेँ थोड़बेक भेटतैक। पथरौटी लकड़ीपर शिवनाराएणक आरी, बसुला मुरुछि जाइ छै मुदा बिहारी नै जानि कोना सम्हारि लैत अछि। टोनाह लकड़ीसँ सेहो किछु ने किछु बाना कऽ मेला ठेलामे बेचि अबैत छथि। तकथा चिरबाक लेल नम्हर आरी सोझाँमे नहि रहने छोटको आरिसँ चीरि दैत छथि। लकड़ीक कामिल भागकेँ असरासँ अलग करबामे बिहारीक जोड़ नहि।
पटवा-मोट सूतक बनल अँचरी भगवतीकेँ खोइँछ देबाक लेल जगदीश माइलकेँ ताकल जाइत छन्हि, पटमीनी बड्ड काजुल।


भोला पंडित कुम्हार, माटिक कोहा सभसँ लऽ कऽ बच्चा सभक लेल चिड़ै चुनमुनी सभ धरि बनेबाक इन्तजाम छन्हि। मटिकममे कोनो जोड़ नहि।
सत्यनारायण यादव, राउतजी आ गुआरसँ आब यादव। दुग्धक व्यापारसँ खेतीबारी आ गामक सड़कक माँटि भराई, सभ काज हाथमे छन्हि।
बासू चौपाल, खतबे, भार उघैत रहथि, माँछ सेहो उघै छथि आ बेचैयो लागल छथि।
चलित्तर साहु आ लड्डूलाल साहु हलुआइ, दुर्गापूजामे दोकान लगबै छथि। काज उद्यममे सब्जी-तरकारी बनेबाक ठीका-पट्टा सेहो लेमए लागल छथि।
शिवनारायण महतो, सूरी।
लछमी दास, ततमा।
लाल कुमार राय, कुर्मी।
भोला पासवान आ मुकेश पासवान- दुसाध।
सत्यनारायण कामत; किओट, दरभंगा महाराजक कामतपर रहैत छलाह।
रामदेव भंडारी। किओटक प्रकार भंडारी जे दरभंगा महाराजक भनसाघर सम्हारैत छलाह।
कपिलेश्वर राउत आ रामावतार राउत, बरइ पानक खानदानी पेशा।
डोममे बौधा मल्लिक।
कोइर, दुखन महतो।
भुमिहार, राधामोहन राय।
सोनार, अशोक ठाकुर।
तेली, रामचन्द्र साव, बौकू साव आ कारी साव।
मलाह जीबछ मुखिया। डकही पोखरिमे सालमे एक बेर मछहरि-पन्द्रह दिनसँ मास दिन धरि मलाह एहिमे महाजाल खसबैत छथि। मलाहक टोल जुमि अबैए।
पोखरिक कातमे मास दिन लेल मलाहक गाम बसि जाइत अछि। पहिने तँ मास भरिसँ ऊपर ई सालाना मछहरि चलैत रहए मुदा आब घीच तीर कऽ बीस दिन। फेर मलाहक सरदार घोषणा करैत छथि- जे आब माँछ शेष भऽ गेल। आब जे मारब तँ महाजालमे तँ एको टा बड़का माँछ नहि आओत। भौरी जालसँ मारब तँ सभटा छोटका माँछ मरि जएत आ अगिला साल तखन जीरा देमए पड़त। ओहि पन्द्रह-बीस दिनमे गाममे उत्सवक वातावरण रहैत अछि। अही बहन्ने पोखरिक साफ-सफाई सेहो भऽ जाइत अछि। भोरे चारि बजे सँ दुपहरिया धरि माँछ मारल जाइत अछि । आ फेर बेरू पहर धरि सभ टोलक लोककेँ-दछिनबाइ टोलकेँ छोड़ि कऽ- अपन-अपन टोलक हिस्सा दऽ देल जाइत छै। सभ अपन-अपन हिस्सा लऽ गामपर अबैत छथि। ओतए टोलक सभ परिवार अपन-अपन हिस्सा बाँटि लैत छथि। टोलक माँछक कतेक कूड़ी लागत, एहि विषयपर कहियो काल विवाद सेहो भऽ जाइत अछि। जिबैत भने मसोमात काकीसँ टोका-बज्जी नहि होइन्हि। मरबा काल बेटीकेँ हिस्सामे सँ किछु देबाक मसोमातक इच्छाकेँ कंठ मचोड़ि देने होथि। आ बेचारी मसोमातक मुइल शरीरक औँठा स्टाम्प पेपरपर लगबेने होथि। हुनकर स्मरण आन काल भने नहि अबैत होइन्हि मुदा डकही पोखरिक हिस्सा लेबा काल सभकेँ अपन-अपन मसोमात काकी मोन पड़िये जाइत छन्हि। एहिपर विरोध व्यक्त सेहो होइत अछि आ पहलमान जिनका सभ प्रेमसँ खलिफ्फा सेहो कहैत छन्हि, केँ छोड़ि किनको एहि प्रकारक हिस्सा नहि भेटैत छन्हि- भने खलिफ्फाक अँगनाक ओ मसोमात बीस बर्ख पहिनहिये मरि गेल होथि। डकही पोखरिक एकटा आर विशेषता अछि। एहिमे माँछ, काछु सभ स्वयम बढ़ैत अछि। पोखरिक कातमे मलकोका सभ अनेरुआ, मारते रास लीढ़ केचुलीलीक प्रकार। कातमे भेंट-कन्द महिसबार बच्चा सभक भोजन।
मुसहर बिचकुन सदाय। डकही पोखरिक सटल गड़खै सभ, थलथल करैत दलदली भूमि सेहो। ओहिमे बिसाँढ़ कोरि-कोरि कऽ मुसहर सभ खाइत छथि। १९६७ ई.क अकालमे जखन सभटा पोखरि, गड़खै सुखा गेल ई डकही पोखरि मुदा नहि सुखाएल। प्रधानमंत्री आएल रहथि तँ हुनका देखेने रहन्हि सभ जे कोना एतएसँ बिसाँढ़ कोड़ि कऽ मुसहर सभ खाइत छथि।

गढ़ नारिकेल गामक एहि सभटा जातिक ई मुँहपुरुख सभ।






दोसर कल्लोल
किशनगढ़मे बसि गेल गढ़ नारिकेल
किशनगढ़ गाम। दिल्लीक पौश एरिया वसन्तकुँजक बगलमे। पाइबला सभ सेक्टरमे रहै छथि आ गरीब सभ किशनगढ़ आ मसूदपुरमे। सेक्टरमे ओतुक्का लोक सभ कम्युनिटी हॉलमे खैराती हॉस्पीटल खोलने छथि। सेक्टरक पता देलापर फीस देमए पड़ैत अछि। गामक पतापर फीस तँ नहिए देमए पड़ै छै, दबाइयो मँगनीमे भेटै छै।
बगलमे मॉल अछि। दू तरहक। एकटा सामान्य लोक लेल। आ दोसर डी.एल.एफ.क इम्पोरिया, वसन्तकुँजक नेल्सन मंडेला मार्गपर। असमानताक आ अपार्थेइडक विरुद्ध संघर्ष करएबला नेल्सन मंडेला। मुदा हुनकर नामपर बनल एहि मार्गपर बनल एहि इम्पोरिया मॉलमे लाख रुपैयासँ कममे कोनो समान भेटब असंभव। सभसँ सस्त अछि लाख रुपैयाक लेडीज पर्स। बंगलोरक कस्तूरबा गाँधी मार्गपर शराबक फैक्ट्री आ महात्मा गाँधी मार्गपर बीयर बार सभ। गाइड लोक सभकेँ कहैत अछि- वर शराब बनबैत अछि आ कनिया बेचैत अछि कारण महात्मा गाँधी मर्ग स्थित ओहि बीयर बार सभमे शराबक बिक्री होइत अछि। तेहने सन कथा अछि नेल्सन मंडेला रोडक। मुदा समाजवाद अछि एतए। से पाइ अछि तँ सेक्टरमे रहू आ नहि अछि तँ गाममे, दुनु सटले-सटल। जमीनक दलाल एतुक्का सभसँ पाइबला लोक अछि। अपन बिजनेस कार्ड छपबैए ई सभ- रिअल एस्टेट एजेन्ट कऽ कऽ। बगलमे मेहरौली गाम सेहो अछि। माछ मुदा किशनगढ़ आ मेहरौली दुनू ठाम भेटत। दिल्लीक लोक माँछ कम खाइत अछि। अपने दिसुका लोक एकरा सभकेँ माँछ खेनाइ सिखेने छै।
आ अही बसन्तकुंज, मेहरौली आ किशनगढ़मे गढ़ नारिकेलक बहुत रास परिवार आबि गेल अछि।
ब्राह्मणमे इन्द्रकान्त मिश्रक बेटा उपेन्द्र बसन्तकुञ्जमे रहै छथि।
कुञ्जड़ा टोलीक मोहम्मद शमशूलक बेटा इकबाल मेहरौलीमे अछि।
धनुख टोलीक भगवानदत्त मंडलक बेटा राजा किशनगढ़मे अछि। धानुक अधिकलाल मंडलक बेटा सुखीलाल डॉक्टर छथिन्ह, रहै छथि बसन्तकुञ्जमे, काज करै छथि दू-तीनटा हॉस्पीटलमे, जेना बत्रा हॉस्पीटल, फोर्टिस, रॉकलैण्ड आ अपोलोमे। मुदा सप्ताहमे एक दिन सोसाइटीक खैराती हॉस्पीटलमे मुफ्त इलाज करै छथि।

धोबियाटोलीक डोमी साफीक बेटा ललन बसन्तकुँजमे ठेलापर कपड़ामे लोहा दैत अछि। ओकर कनियाँ बुधनी सेहो घरे-घर कपड़ा बटोरि आनैत अछि आ तकरा लोहा कऽ घरे घर दऽ अबैत अछि। ई सभ मुदा रहै जाइए बसन्तकुँजेमे। ककरो दूटा गैराज किरायापर लऽ लेने अछि, एकटा मे काज करै जाइए आ दोसरामे रहै जाइए।
नौआटोलीक  जयराम ठाकुरक माझिल बेटा बसन्त बसन्तकुञ्जक एकटा सेक्टरक सोझाँ गाछक तरमे सैलून खोलि लेने अछि। एकटा कुर्सी लगा देने अछि आ एकटा अएना लटका देने अछि। सोझाँक बजारमे केश कटाइ पचास टका लेत तँ मुक्ताकाशक ई सैलून पन्द्रह टाकामे केश काटि देत। रहैए मुदा किशनगढ़मे। बीचमे पुलिस तंग केने रहै तँ तीन मास गामसँ घुरि आएल छल। आब मुदा पुलिससँ सेटिंग कऽ लेने अछि।
चर्मकार मुखदेव रामक बेटा उमेश सेहो ओही मुक्ताकाश सैलूनक बगलमे अपन असला-खसला खसा लेने अछि, रहैए मुदा किशनगढ़मे। । चप्पल, जुत्ताक मरोम्मतिक अलाबे तालाक डुप्लीकेट चाभी बनेबाक हुनर सेहो सीखि लेने अछि। कुञ्जी अछि तँ ओकर डुप्लीकेट पन्द्रह टाकामे। कुञ्जी हेरा गेल अछि तँ तकर डुप्लीकेट सए टाकामे। आ जे घर लऽ जएबन्हि तँ तकर फीस दू सए टाका अतिरिक्त।
बड़ही कमार टोलक जोगिन्दर ठाकुरक बेटा नमोनारायण अंसल बिल्डर्समे नोकरी करै छथि। किशनगढ़मे मकान कीनि लेने छथि। मुदा ओतुक्का वातावरण देखि दुखी रहै छथि कारण ओतुक्का वातावरण गामोसँ बत्तर छै। जोगारमे छथि जे कतहु अपार्टमेन्टमे जगह भेटि जाए। आ से कनेक दुरगरो जेना गाजियाबाद धरि जएबाक लेल तैयार छथि।
पटवाटोलीक जगदीश माइलक बेटा महेश गामेमे रहै छन्हि।  
भोला पंडित कुम्हारक बेटा नवीन मेहरौलीमे जैन मन्दिरक सोझाँ अपन कलाकृतिक प्रदर्शन केने छथि। बगले रहै छथि, मेहरौलीक दूधवाली गलीमे।
सत्यनारायण यादवक बेटा बिपिन बसन्तकुञ्जक फ्लैटमे रहै छथि। रेलबीक ठिकेदारीमे खूब कमेने छथि।
बासू चौपालक बेटा सुरेन्द्र गामेमे छथि।
चलित्तर साहक बेटा सुरेश कुतुब मीनारक सोझाँ चलित हलुआइ दोकान खोलने छथि आ मेहरौलीमे रहै छथि।
सूरी शिवनारायण महतोक बेटा प्रशान्त डी.एल.फ. इम्पोरियामे काज करै छथि आ अपन दोकान खोलबाक मन्सूबा रखने छथि। रहै छथि किशनगढ़मे।
लछमी दास, ततमाक बेटा रामप्रवेश गामेमे छन्हि।
कुर्मी लाल कुमार रायक बेटा सुमन अफसर छथिन्ह आ बसन्तकुञ्जक क्वार्टरमे रहै छथि।
मुकेश पासवानक बेटी मालती आ जमाए मथुरानन्द बसन्तकुञ्ज लग फार्म हाउस लेने छथि आ ओतहि रहै जाइ छथि। मथुरानन्द मैथिलीक नीक लेखक छथि आ बसन्तकुञ्जक डी.पी.एस.स्कूलक प्रिंसिपल छथि। मालती बैंक अधिकारी छथि।
सत्यनारायण कामतक बेटा मदन किशनगढ़मे रहै छथि आ बसन्तकुञ्जक बिगबजार मॉलमे सेक्युरिटी गार्ड छथि।
रामदेव भंडारीक बेटा श्यामानन्द बिगबजार मॉलक के.एफ.सी.क चिकन एक्सपर्ट छथि। रहै छथि किशनगढ़मे ।
बरइ कपिलेश्वर राउतक बेटा पालन पानक गुमटी खोलि लेने छथि, मुक्ताकाश सैलूनक बगलमे। बिहारक लोकक पान खेबाक आवश्यकताक पूर्तिक लेल। रहै छथि किशनगढ़मे ।
डोमटोलीक बौधा मल्लिकक बेटा श्रीमन्त सेक्टरक मेन्टेनेन्सक ठेका लेने छथि। हुनका लग दू सए गोटे छन्हि जे सभ क्वार्टरक कूड़ा सभ दिन भोरमे उठेबाक संग रोड आ पार्किगक भोरे-भोर सफाइ करै छथि। एहिमेसँ किछु गोटे, विशेष कऽ नेपालक, भोरे-भोर लोकक कारक शीसा महिनबारी दू सए टाका पोछै छथि आ अखबारक हॉकर बनल छथि। रहै छथि किशनगढ़मे मुदा अपन मकानमे।
कोइर दुखन महतोक बेटा लखन ठेलापर तरकारी बेचै छथि आ रहै छथि किशनगढ़मे।
भुमिहार, राधामोहन रायक बेटा बसन्तकुञ्जमे रहै छथि। कन्सल्टेन्ट छथि, डोनेशन बला मेडिकल-इन्जीनियरिंग कॉलेज सभक।
सोनार, अशोक ठाकुरक बेटा महानन्द सोनाचानीक दोकानमे कारीगर छथि आ रहै छथि किशनगढ़मे ।
तेली, रामचन्द्र सावक बेटा मोहन फैक्ट्रीमे काज करै छथि, गुड़गाँवमे आ रहै छथि किशनगढ़मे ।
मलाह जीबछ मुखियाक बेटा रवीन्द्र किशनगढ़मे माँछ बेचै छथि आ रहितो छथि किशनगढ़मे ।
मुसहर बिचकुन सदायक बेटा रघुवीर ड्राइवरी सीखि लेने अछि। बसन्तकुञ्जक एकटा व्यवसायीक ओहिठाम ड्राइवरी करैए आ रहैत अछि किशनगढ़मे ।
बसन्तकुंज, मेहरौली आ किशनगढ़ आब गढ़ नारिकेल गामक एकटा छोट-छीन रूप बुझना जाइत अछि।







तेसर कल्लोल
गढ़ नारिकेलसँ किशनगढ़ आएल दूटा चिट्ठी
मुकेश पासवानक समधि बिन्देश्वर पासवानक ददा गढ़ नारिकेलक पुरान बसिन्दा रहथि। मुदा फेर ओतएसँ रोसड़ाक लेल पलायन कऽ गेल रहथि। हुनकर पत्नी बेटाक दिल्ली बसलासँ बड़ दुखी छथिन्ह। आ तकर दोष अपन समधिकेँ सेहो दै छथिन्ह। बिन्देश्वरजी अपन पत्नीक पुत्रक नाम लिखल चिट्ठी मुकेशजीकेँ दै छथिन्ह। डाक सेवापर हुनका भरोस नहि छन्हि। गढ़ नारिकेलक ढेर रास लोक दिल्लीमे रहै छथि से हथौटी ई चिट्ठी बेटा लग पहुँचि जेतन्हि, ताहि द्वारे। दोसर चिट्ठी सत्यनारायण यादवक पत्नी अपन बेटा बिपिनक नामे लिखने छथिन्ह। बरइ कपिलेश्वर राउतक बेटा पालन दुनू चिट्ठी गढ़ नारिकेलसँ किशनगढ़ अनलन्हि अछि।
पहिल चिट्ठी

शुभाशीष।
हम एतए कुशल छी। अहाँ सबहक कुशलक हेतु सतत् भगवानसँ प्रार्थी रहैत छी। आगाँ समाचार ई जे अहाँ सभ हमर खोज खबरि लेनाइ बिल्कुले बिसरि गेल छी। फोन तँ छोड़ू, चिट्ठीयो सँ गप्प केना महिनो बीति जाइत अछि। कमसँ कम सप्ताहमे नहि तँ महिनोमे एको बेर तँ माएक लेल गप्प करबाक समए निकालू। एतेक मोटका-मोटका किताब अहाँ लिखैत छी किन्तु माएसँ गप्प करबाक फुर्सत नहि अछि। अहाँक किताबक खिस्सा आ कविता सभ दीदी सुनेलक अछि। बहुत मार्मिक लगैत अछि। परन्तु अपन माँक प्रति कोनो जिज्ञासा नहि होइत अछि, जे कतए रहैत अछि आ कोना अछि। भाएसँ अहाँ अपने समए-समएपर गप्प करू जे हम कतऽ कतेक दिन रहब। गाममे आब हमरा नहि रहल होएत कारण एतए कोनो व्यवस्था नहि अछि आ कियो पुरुख नहि रहैत छथिन्ह। अहाँ सभ भाए-बहिनमे छोट छी किन्तु घरमे अहींकेँ घरक व्यवस्था आ इन्तजामक भार शुरुहेसँ अछि। किन्तु एम्हर अहाँ ध्यान नहि दैत छिऐक। फोनपर अहाँसँ गप्प करबाक बड्ड मोन होइत रहैत अछि। बच्चा सभसँ सेहो गप करबाक मोन होइत रहैत अछि। बच्चा सभकेँ दू-तीन दिनपर बासँ गप करबा लेल कहबै। जमाएकेँ देखैत रहै छियन्हि जे सभ दू-तीन दिनपर अपन माँसँ गप करैत रहैत छथिन्ह, से हमरो सौख लगैत रहैत अछि जे हमर बेटा सभ केहन अछि जे कहियो माँसँ गप्प करबाक मोन नहि होइत छैक। सभ कहैत अछि जे अहाँकेँ कोन चीजक कमी अछि, से हमरो चीजक कमी तँ नहि अछि मुदा धिया- पुताक हम प्रेमक भूखल छी।
पुतोहु अहाँकेँ एखन घरक सभटा काज करए पड़ैत होएत। बड्ड मेहनति होइय होएत, मुदा तैयो हमरोपर ध्यान राखब। हम बड्ड घबराएल रहै छी तेँ जे फुराएल से हम चिट्ठीमे लिखा देलहुँ। अहाँ सभक प्रेमक भूखल- अहींक माँ।
दोसर चिट्ठी
बेटा,
-महींस दूध दऽ रहल अछि, मुदा टोलबैय्या सभ जड़ि रहल अछि।
बिपिन चिट्ठी पढ़िते रहै छथि आकि कपिलेश्वर राउतक बेटा पालन बीचेमे बाजि उठै छथि- “अएँ यौ , अहाँक दूध होइये तँ टोलबैय्या सभ किएक जड़त? आ से ओ कोना बुझै छथि से पुछियन्हु”।
मुदा बेटाकेँ देखू- बिपिन बजै छथि- “अएँ यौ, सएह ने हमहूँ पुछै छी। हमरा दूध होइये तँ लोक सभ किएक जड़ैए”?
माएपर बेटाकेँ कतेक विश्वास छै?
बिपिन फेर बजै छथि- “से जे ओ सभ मोने-मोने जड़ैए, से हम सभटा बुझै छिऐ”।
चिट्ठीमे आर बहुत रास गप छै।
-हमर नैहराक हालति बड्ड खराप। बड़का भएक बच्चा सभ तँ तैयो ठीके छै छोटकेक हालत बड्ड दब। मिदनापुरमे क्रेन चलबै छलै। मोन खराप भेलै तँ छह मास गामेमे रहि गेलै। फेर घुरि कऽ गेलै तँ क्रेनपर हाथ थरथराए लगै। हियाउ नै होइ छै। बच्चा सभ टुग्गर जेकाँ करै छै। जे कोनो जोगार हुअए तँ देखबै। नै भाए ले नै। ओकर तँ आब बएस भेलै गामेमे रहथि सएह नीक होएत। ओकर दूमे सँ एक्को टा बेटाक जे जोगार लागि जाइ तँ। बड़का भाउज पहिने माएकेँ देखए नहि चाहै आ आब छोटकाक सिरपर लागल छै। साझ-सझियामे चौठारी फसिल दैत रहै से तँ बुझलिऐ मुदा आमक मासमे तँ छोटकोक बच्चा सभ कलम ओगरै छै। मुदा आमो चौठारी दै छै। छोटकी भाउज तामसे सेहो नै लेलकै। हम नै किछु बजलिऐ, हमरा तँ सभ कहिते अछि जे छोटकाक पक्ष लै छिऐ, तेँ।
-सभ दिल्लीसँ गाम अबैए तँ अहाँक घरक शानक चर्चा करैए, से नीक तँ लगैए, मुदा डरो लगैए जे नजरि ने लागि जाए।
-आर सभ ठीके अछि।
अहाँक माँ

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चारिम कल्लोल
पटवा जगदीश माइलक बेटा महेश गामेमे रहै छन्हि। भरि दिन कपड़ा बुनबाक लेल खद्धामे पैसैत आ तानी आ भरनी मिला कऽ कपड़ा बूनि पेटलरदीपर लपेटैत जगदीश माइल अपनामे भेर रहै छथि। औंटि कऽ निकालल बाङक बङौरा जगदीश माइलक घरक चारूकात एत्तऽ–ओत्तऽ पसरल रहैत अछि। भदैया कोकटीक बूनल वस्त्र क लेल जगदीश माइल नामी छथि। एक बेर भदैया कोकटीक जगदीश माइल द्वारा बूनल वस्त्र कीनू आ भरि जनम पहिरू। जगदीश आ महेश फिटलूम, किसान चरखा आ अमर चरखा सेहो चलबैत छथि। मुदा जगदीशक सूत घुरिआइत नहि अछि, एकदम गफ्स। मुदा महेशक सूतक जोड़मे घुरछी खूबे भेटत। अढ़ाइ हाथ चाकर धोती-साड़ी धनिक आ गरीबक हिसाबे छोट-पैघ भेटैत अछि। से पाइबला लेल दसहत्थी धोती मुदा गरिबहा लेल सतहत्थी धोती। तहिना साड़ी सेहो धनिक गरीबक हिसाबे बनबै छथि जगदीश माइल। बहुआसीन लेल बिसहत्थी तँ गरिबनी लेल नओ हत्थी। हँ, मुदा नओहत्थीसँ छोट साड़ी आ सतहत्थीसँ छोट धोती कहियो नञि बनेलन्हि जगदीश माइल। मुदा ई खादी-भण्डारबला सभ आब पहिने जेकाँ हृदएसँ सेवा नञि कऽ रहल अछि। मारते रास दलाल सभ राखि लेने वछि आ जगदीश माइलक बेटाकेँ कोनो ठाम नोकरी करबा लेल पोल्हा रहल अछि।
भोला पंडित कुम्हारक बेटा नवीन दिल्लीमे मेहरौलीमे रहैए। बगलेमे जैन मन्दिरक सोझाँ अपन माटिक मुरुत, फूलक आधुनिक गमला इत्यादि बेचैत अछि। भोला पंडित गामेमे रहै छथि। एक बेर मास भरि दिल्ली रहि नवीनक चाक सभ सुढ़िया आएल छथि। इहलोकक ब्रह्माक चाक बहैत अछि चक्र सिद्धान्तपर आ झोकुआ आबामे पका कऽ निर्माण करै छथि माटिक मुरुत। हँ परलोकक ब्रह्मा माटिक मुरुतमे प्राण भरि दै छथि मुदा से ने भोला पंडित कऽ सकै छथि आ ने नवीन। मटकूड़, कौरना, छाँछ, कसतरा बनबै छथि। अथरा, मसल्लाक लेल लगजोड़ी, लबनी, रीझम, सोबरना, भरुका, फुच्ची, तेलहण्डा, खोला, सिरहर, पुरहर, लगहर, अहिबातक पातिल, दीयठि, बौरकी सभटा छिड़ियाएल रहै छन्हि घरमे। मुदा एकोटा एम्हर-ओम्हर भेने भोला पंडित घरवालीकेँ टोकि दै छथि। मुदा नवीनक प्रति भोला पंडित कनेक सशंकित रहै छथि। ओ एतेक सतर्क रहै छै मुदा तैयो मुरुत टुनकाह भऽ जाइ छै। बासन सभ नोनिआय लगै छै, झरऽ लगै छै।
सत्यनारायण यादवक बेटा बिपिन बसन्तकुंज, दिल्लीमे रहै छथि। रेलवे ठिकेदारीमे नीक जत्था बना लेने छथि। सत्यनारायण यादव सालमे एक बेर दिल्ली भऽ आबै छथि। बिपिन कताक बेर पिताकेँ एतहि रहबा लेल कहनहियो छथिन्ह, माएकेँ सेहो असगरमे कष्ट होइत होएतैक। मुदा ने माइये आ ने सत्यनारायणे एक माससँ बेशी दिल्लीमे टिकि सकल छथि। बेटा कहितो छन्हि जे माए की बाबू कटिया, कुढ़िया, फुच्ची आ तिनपइमे लागल छथि।

बासू चौपाल खतबे। भार-माँछ उघै छथि। बेटा सुरेन्द्र गामेमे रहै छथिन्ह। बासू चौपालक डील-डौल बेस भरिगर। तेहने जबरदस्त मोंछ। से आसपासक सभ रामलीला मंडली रावणक पात्र लेल हुनका लेबा लेल उपरौंझ करैत अछि।
चलित्तर साहू आ लड्डूलाल साहू हलुआइ।
चलित्तर साहूक बेटा सुरेश कुतुबमीनारक सोझाँ पर्यटक सभकेँ किसिम-किसिमक मिठाइ, सिरनी आ गुलाब रेउड़ी बेचै छथि। सुरेश अपन डेरा मेहरौलीमे रखने छथि। भोरे तरौनीपर खोंइचा राखि मिठाइ बेचऽ लगै छथि।
चलित्तर साहू आ लड्डूलाल साहू लेटनामे मैदानी भरि डालडामे खसा जिलेबी बनबैत दुर्गापूजाक मेलामे देखा पड़ि जएताह। हँ, डालडामे गाएक चर्बीक हल्ला १९८३-८४  साल भेल, ओहि बेर घीमे जिलेबी छानि सभकेँ देलन्हि। ककरो ओहिठाम बियाह-दान, उपनयन, एकादशी उद्यापन आदि जखन होइत अछि तखन चलित्तर साहू आ लड्डूलाल साहू राखल जाइत छथि, भमकौला चूल्हि जमीनपर कोड़ि हप्ता दिन काज करै छथि। कोइयासँ जिलेबी छानैत, झाँझसँ बुनिया आ सचबासँ मारते रास पकमान छानैत।
शिवनारायण महतो, सूरीक बेटा प्रशान्त बसन्तकुंज दिल्लीक डी.एल.एफ. इम्पोरियामे काज करै छथि आ बगलेमे किशनगढ़मे रहै छथि। ओना राति-दिन अपन दोकानक जोगारमे लागल छथि। शिवनारायण गामेमे कनियाँ संगे रहै छथि। घरक दलानबला कोठलीमे दोकान खोलने छथि, गौआँकेँ छोट-मोट दैनिक आवश्यकताक पूर्ति करै छथि।

लाल कुमार राय, कुर्मी। हिनकर बेटा सुमन आइ.ए.एस. परीक्षासँ एलाइड सर्विस उत्तीर्ण छथि आ बसन्तकुंजमे सरकारी क्वार्टर भेटल छन्हि। लाल कुमार गामेमे रहै छथि, नीक चास-बास छन्हि।
भोला पासवान आ मुकेश पासवान, दुसाध। गेना हजारीक निचुलका खाढ़ीक संबंधी। वएह गेना हजारी जे कुशेश्वरस्थानमे एकटा कुशपर एकटा गाए द्वारा आबि कऽ दूध दैत देखने रहथि तँ ओहि स्थानकेँ कोड़ए लगलाह, महादेव नीचाँ होइत गेलाह, फेर ताकि लेलन्हि। सीताक बेटा कुश (लवक भाए) द्वारा स्थापित ई महादेव गेना हजारीक ताकल।
मुकेश पासवानक बेटी मालती बैंक अधिकारी छथिन्ह आ जमाए मथुरानन्द डी.पी.एस. स्कूलक प्राचार्य छथि, बसन्तकुंज लग फार्म हाउसमे रहै जाइ छथि। भोला पासवान आ मुकेश पासवान गामेमे रहै जाइ छथि।
सत्यनारायण कामत, किओट। बेटा मदन बसन्तकुंजक मॉलमे गार्ड छथि आ किशनगढ़मे रहै छथि। सत्यनारायण जीक पुरखा दरभंगा महाराजक एहिठाम रक्षक छलाह।
१०
रामदेव भंडारीक बेटा श्यामानन्द बिगबजार मॉल, बसन्तकुंजक के.एफ.सी. (केनटकी फ्राइड चिकन) दोकानमे काज करै छथि। रामदेवजीक पुरखा दरभंगा महराजक समएमे ओतए भनसियामे काज करै छलाह।
११
कपिलेश्वर राउत आ रामावतार राउत, बरइ। कपिलेश्वर राउतक बेटा पालन पानक गुमटी बसन्तकुंजमे मुक्ताकाशमे लगेने छथि, रहै छथि किशनगढ़मे।
कपिलेश्वर आ रामावतार राउत बरेबमे अक्सरहाँ भेटि जएताह। सपुराक बगलमे टहलैत। खरहीक इकड़ीपर पानक गछौठौन करैत। मटोरिमे माँटि राखि सपुरामे पानक जड़ि लग माँटि दैत।

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