भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c) २०००-२०२२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.html , http://www.geocities.com/ggajendra   आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html   (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html   लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha   258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै। इंटरनेटपर मैथिलीक पहिल उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि, जे http://www.videha.co.in/   पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

 

(c)२०००-२०२२. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। सह-सम्पादक: डॉ उमेश मंडल। सहायक सम्पादक: राम वि‍लास साहु, नन्द विलास राय, सन्दीप कुमार साफी आ मुन्नाजी (मनोज कुमार कर्ण)। सम्पादक- नाटक-रंगमंच-चलचित्र- बेचन ठाकुर। सम्पादक- सूचना-सम्पर्क-समाद- पूनम मंडल। सम्पादक -स्त्री कोना- इरा मल्लिक।

रचनाकार अपन मौलिक आ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) editorial.staff.videha@gmail.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकै छथि। एतऽ प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक/संग्रहकर्त्ता लोकनिक लगमे रहतन्हि,'विदेह' प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका मात्र एकर प्रथम प्रकाशनक/ प्रिंट-वेब आर्काइवक/ आर्काइवक अनुवादक आ आर्काइवक ई-प्रकाशन/ प्रिंट-प्रकाशनक अधिकार ऐ ई-पत्रिकाकेँ छै, आ से हानि-लाभ रहित आधारपर छै आ तैँ ऐ लेल कोनो रॊयल्टीक/ पारिश्रमिकक प्रावधान नै छै। तेँ रॉयल्टीक/ पारिश्रमिकक इच्छुक विदेहसँ नै जुड़थि, से आग्रह। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत।  एहि ई पत्रिकाकेँ श्रीमति लक्ष्मी ठाकुर द्वारा मासक ०१ आ १५ तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

स्थायी स्तम्भ जेना मिथिला-रत्न, मिथिलाक खोज, विदेह पेटार आ सूचना-संपर्क-अन्वेषण सभ अंकमे समान अछि, ताहि हेतु ई सभ स्तम्भ सभ अंकमे नइ देल जाइत अछि, ई सभ स्तम्भ देखबा लेल क्लिक करू नीचाँ देल विदेहक 346म आ 347 म अंक, ऐ दुनू अंकमे सम्मिलित रूपेँ ई सभ स्तम्भ देल गेल अछि।

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Sunday, July 5, 2009

कुरुक्षेत्रम् अन्तर्मनक - कण्ड 1 सँ 7 - गजेन्द्र ठाकुर

कुरुक्षेत्रम् अन्तर्मनक


कुरुक्षेत्रम् अन्तर्मनक



गजेन्द्र ठाकुर





श्रुति प्रकाशन दिल्ली



Ist edition 2009 of Gajendra Thakur’s KuruKshetram-Antarmanak (Vol. I to VII)- essay-paper-criticism, novel, poems, story, play, epics and Children-grown-ups literature in single binding-published by Shruti Publication, 8/21, Ground Floor, New Rajendra Nagar, New Delhi -110008 Tel.: 25889656, 25889658 Fax: 011-25889657
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श्रुति प्रकाशन
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समर्पण
पिताक सत्यकेँ लिबैत देखने रही स्थितप्रज्ञतामे
तहिये बुझने रही जे
त्याग नहि कएल होएत
रस्ता ई अछि जे जिदियाहवला।

-पिताक प्रिय-अप्रिय सभटा स्मृतिकेँ समर्पित


आमुख
गजेन्द्र ठाकुरक सात खण्डमे विभाजित कुरुक्षेत्रम् अन्तर्मनक मे एकहि संग कठिनसँ कठिन विषयपर सुचिन्तित विश्लेषण भेटत आ उपन्यासक जटिल कथा केर गुत्थी सेहो भेटत सुलझाएल आ संगहि प्रेमक कविता आ प्रकृतिक गीत सेहो। सात खण्ड एहि प्रकार छन्हि-

खण्ड-१ प्रबन्ध-निबन्ध-समालोचना
खण्ड-२ उपन्यास-(सहस्रबाढ़नि)
खण्ड-३ पद्य-संग्रह-(सहस्त्राब्दीक चौपड़पर)
खण्ड-४ कथा-गल्प संग्रह (गल्प गुच्छ)
खण्ड-५ नाटक-(संकर्षण)
खण्ड-६ महाकाव्य- (१. त्वञ्चाहञ्च आ २. असञ्जाति मन )
खण्ड-७ बालमंडली किशोर-जगत

सभसँ महत्वपूर्ण बात ई जे सभ विषयक पाठकक आ पाठिकाक लेल एतए किछु ने किछु भेटबे करत । पुछलियन्हि जे एहन संरचना किएक तँ जे किछु कहलन्हि ताहिसँ लागल जे ई हिन्दी केर तार-सप्तक आ तमिलक कुरुक्षेत्रम् केर बीच मे कतहु अपन जगह बनेबाक प्रयास कऽ रहल छथि । फराक एतबे जे हिन्दी आ तमिल मे कएक गोटे मिलि कए संकलित भेल छथि एकटा जिल्दमे, आ एतए कएक लेखकक द्वारा विभिन्न विधा केर रचना नहि रहि हिनके अपन रचना पोथीमे उपलब्ध कराओल गेल अछि ।


कतेको पंक्ति भरिसक पाठकक मोनमे ग्रंथित-मुद्रित भऽ जएतन्हि, जेना कि


“ढहैत भावनाक देबाल
खाम्ह अदृढ़ताक ठाढ़

आकांक्षाक बखारी अछि भरल
प्रतीक बनि ठाढ़
घरमे राखल हिमाल-लकड़ीक मन्दिर आकि
ओसारापर राखल तुलसीक गाछ
प्रतीक सहृदयताक मात्र”
अथवा , निम्नोक्त पंक्ति-येकेँ लऽ लिअ :

“सुनैत शून्यक दृश्य
प्रकृतिक कैनवासक
हहाइत समुद्रक चित्र

अन्हार खोहक चित्रकलाक पात्रक शब्द
क्यो देखत नहि हमर ई चित्र अन्हार मे
तँ सुनबो तँ करत पात्रक आकांक्षाक स्वर”

मिथिलेक नहि अपितु भारतक कतेको संस्कृतिक प्रभाव देखल जा सकैछ हिनक कथा-कवितामे। एहिसँ मैथिली क्रियाशील रचनाक परिदृश्य आर बढ़ि जाइछ, आ नव-नव चित्र, ध्वनि आ कथानक सामने आबि जाइत अछि ।

कवि कोन मन्दाकिनी केर खोजमे छथि जे कहैत छथि-

“मन्दाकिनी जे आकाश मध्य
देखल आइ पृथ्वीक ऊपर...”


अपन विशाल भ्रमणक छाप लगैछ रचनामे नीक जकाँ प्रतीत होइत अछि । आ आर एकटा बात स्पष्ट अछि कोषकार गजेन्द्र ठाकुर आ रचनाकार गजेन्द्र ठाकुर भिन्न व्यक्ति छथि, व्यक्तित्वमे सेहो फराक... जतए कोशकारितामे सम्पादकत्व तथा टेक्नोलोजी –सँ सम्बन्धित व्यक्तिक छाया भेटिते अछि, मुदा सृजनक मुहुर्तमे से सभटा हेरा जाइत छथि ।

एहिमे सँ कतेको टेक्स्ट ओ रखने छथि इन्टरनेटमे मैथिलीक बढ़ैत
पाठककेँ ध्यानमे राखि, जेना कि विदेह-सदेह अछि http://videha123.wordpress.com/ मे, आ देवनागरी आ तिरहुता दुन्नु लिपिमे । जे क्यो मिथिलाक्षरक प्रेमी छथि तनिका सब लेखेँ तँ ई विरल उपहारे रहत ।
अनेको रचनामे मात्र गोल-मटोल कथे नहि, राजनीतिक भाष्य सेहो लखा दैत अछि। ताहिमे हिनका कोनो हिचकिचाहटि नहि छन्हि। ओना देखल जाए तँ कुरुक्षेत्र क कतेको महारथी छलाह = प्रत्येक वीर-योद्धा अपन-अपन क्षेत्र आ विधाक प्रसिद्ध पारंगद व्यक्ति छलाह,–क्यो कतेको अक्षौहिणी सेनाक संचालनमे, तँ क्यो तीरन्दाजीमे, आदि आदि । सभ जनैत छलाह जे धर्म आ अधर्मक भेद की होइछ मुदा तैयो सभ क्यो जेना आसन्न विपर्यायक सामने निरुपाय भऽ गेल छलाह। आजुक सन्दर्भमे सेहो कथा मे तथा व्याख्यामे एहन परिस्थितिक झलक देखल जाइत अछि । सैह एहि महा-पाठ –क (मेटाटेक्सट) खूबी कहब। नहि तँ ओ कियेक लिखताह- –

“देखैत देशवासीकेँ पछाड़ैत
मंत्र-तंत्रयुक्त दुपहरियामे जागल
गुनधुनी बला स्वप्न
बनैत अछि सभसँ तीव्र धावक
अखरहाक सभसँ फुर्तिगर पहलमान
दमसाइत मालिकक स्वर तोड़ैत छैक ओकर एकान्त

कारिख चित्रित रातिक निन्न
टुटैत-अबैत-टुटैत निन्न आ स्वप्नक तारतम्य
...”


एहि महापाठकेँ एकटा एक्सपेरीमेन्ट केर रूपमे देखी तँ सेहो ठीक , आ सप्तर्षि-मंडलक निचोड़ अथवा सप्त-काण्डमे विभाजित आधुनिक महा काव्य रूपमे देखी तँ सेहो ठीक हएत। जेना पढ़ी , सामग्री एहिमे भरपूर अछि, भरिसक किछु अत्युच्च मानक लागत , आ किछु किनको तत्तेक नहि पसिन्न पड़तन्हि । मुदा एहि ग्रन्थ निचयकेँ पाठक अवश्य स्वागत करताह , आ नवीन लेखक वर्गकेँ एकटा नव दिशा सेहो भेटतन्हि।



मैसूर, ९ जून २००९ उदय नारायण सिंह “नचिकेता”
निदेशक,
भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर

अनुक्रम
खण्ड-१
प्रबन्ध-निबन्ध-समालोचना
१. फील्ड-वर्कपर आधारित खिस्सा सीत-बसंत
२. मायानन्द मिश्रक इतिहास बोध-प्रथमं शैल पुत्री च/ मंत्रपुत्र/
पुरोहित आ स्त्री-धन केर संदर्भमे
३. केदारनाथ चौधरीक उपन्यास “चमेली रानी” आ "माहुर"
४. नचिकेताक नाटक नो एण्ट्री: मा प्रविश
५. रचना लिखबासँ पहिने...............
६. कृषि-मत्स्य शब्दावली (फील्ड-वर्कपर आधारित)
७. मैथिली हाइकू/ हैकू/ क्षणिका
८. मिथिलाक बाढ़ि
९. विस्मृत कवि- पं. रामजी चौधरी (१८७८-१९५२)
१०. विद्यापतिक बिदेसिया- पिआ देसाँतर
११. बनैत-बिगड़ैत-सुभाषचन्द्र यादवक कथा संग्रहक समीक्षा
१२. भाषा आ प्रौद्योगिकी (संगणक, छायांकन, कुँजी पटल/टंकणक तकनीक),
अन्तर्जालपर मैथिली आ विश्वव्यापी अन्तर्जालपर लेखन आ ई-प्रकाशन
१३. लोरिक गाथामे समाज ओ संस्कृति
१४. मिथिलाक खोज

खण्ड-२ उपन्यास
सहस्रबाढ़नि

खण्ड-३ पद्य-संग्रह
सहस्त्राब्दीक चौपड़पर
१. शामिल बाजाक दुन्दभी वादक
२. मोनक रंगक अदृश्य देबाल
३. मन्दाकिनी जे आकाश मध्य देखल आइ पृथ्वीक ऊपर
४. पक्काक जाठि
५. निन्नक जीवन विचित्र
६. बंशी पाथि पकड़बाक प्रयास
७. अगिलही
८. अभिनव भातखण्डे
९. शिल्पी
१०. मोनक तटपर
११. सूर्य-चन्द्र गबाह
१२. वस्सावस
१३. स्थितप्रज्ञतामे लिबैत सत्यक प्रति
१४. पुरान भेल गप
१५. यौ शतानन्द पुरहित
१६. निगदति कुसुमपुरेऽभ्यर्चितं ज्ञानम्
१७. हमर बारह टा हैकू
१८. पुरहित
१९. इच्छा-मृत्यु
२०. वार्ड नं २९ बेड नं. ३२ सँ
२१. ट्रेन छल लेट
२२. सूर्य-नमस्कारक बहन्ने
२३. सन सत्तासीक बाढ़िक बहन्ने
२४. महाबलीपुरम समुद्र तटपर
२५. स्मृति-भय
२६. गाय
२७. श्राद्ध ने मरा जाय
२८. जाति
२९. पुत्रप्राप्ति
३०. गुड-वेरी गुड
३१. हर आ बड़द
३२. गंगा ब्रिज
३३. मुँह चोकटल नाम हँसमुख भाइ
३४. सपना
३५. चित्रपतङ्ग
३६. बिसरलहुँ फेर कर्णक मृत्युक छोट- छीन रूप
३७. शलातुर गाम
३८. काल्हि
३९. मोन पाड़ैत
४०. पथक पथ
४१. मिथिलाक ध्वज गीत
४२. बड़का सड़क छह लेन बला
४३. पता नहि घुरि कए जाएब आकि

खण्ड-४ कथा-गल्प संग्रह
गल्प गुच्छ
१. सर-समाज
२. हम नहि जायब विदेश
३. राग वैदेही भैरवी
४. काल-स्थान विस्थापन
५. बैसाखीपर जिनगी
६. सर्वशिक्षा अभियान
७. जातिवादी मराठी
८. थेथर मनुक्ख
९. बहुपत्नी विवाह आ हिजड़ा
१०. स्त्री-बेटी
११. बिआह आ गोरलगाइ
१२. प्रतिभा
१३. जाति-पाति
१४. अनुकम्पाक नोकरी
१५. नूतन मीडिआ
१६. मिथिलाक उद्योग
१७. मिथिलाक उद्योग-२
१८. बाढ़ि, भूख आ प्रवास
१९. नव-सामन्त
२०. रकटल छलहुँ कोहबर लय
२१. मृत्युदण्ड
२२. बाणवीर
२३. प्रवास
खण्ड-५ नाटक
संकर्षण

खण्ड-६ महाकाव्य
त्वञ्चाहञ्च
असञ्जाति मन

खण्ड-७ बालमंडली / किशोर-जगत
बाल-नाटक
१. अपाला आत्रेयी
२. दानवीर दधीची
बाल-कथा
१. ब्राह्मण आ ठाकुरक कथा
२. राजा अनसारी
३. राजा ढोलन
४. बगियाक गाछ
५. ज्योति पँजियार
६. राजा सलहेस
७. बहुरा गोढ़िन नटुआदयाल
८. महुआ घटवारिन
९. डाकूरौहिणेय
१०. मूर्खाधिराज
११. कौवा आ फुद्दी
१२. नैका बनिजारा
१३. डोकी डोका
१४. रघुनी मरर
१५. जट-जटिन
१६. बत्तू
१७. भाट-भाटिन
१८. गांगोदेवीक भगता
१९. बड़ सुख सार पाओल तुअ तीरे
२०. छेछन
२१. गरीबन बाबा
२२. लालमैन बाबा
२३. गोनू झा आ दस ठोप बाबा
वर्णमाला शिक्षा: अंकिता
बाल-कविता
१. ट्रेनक गाड़ी
२. के छथि
३. राजा श्री अनुरन्वज सिंह
४. सूतल
५. अखण्ड भारत
६. मोनक जड़िमे
७. पुनः स्मृति
८. कलम गाछी
९. हाथीक मुँहमे लागल पाइप
१०. बानर राजा
११. चिड़ियाखाना
१२. जमबोनी
१३. बौआ ठेहुनिया मारि
१४. ट्रिंग-ट्रिंग-ट्रिंग
१५. भोरक बसात
१६. छाहक करतब
१७. सपना
१८. कोइरीक कूकू
१९. शितलपाटी
२०. मकड़ीक जाल
२१. वायुगोलक
३०. हाथीक सूप सन कान
३१. छुट्टी
३२. बौआ गेल सुनि
३३. मिथिला
३४. बादुर सोंस
३५. की? किए? कोना? के?
३६. फेर आएल जाड़
३७. आगाँ
३८. अंध विश्वास
३९. अभ्यास
४०. आँखिक चश्मा
४१. तीने टा अछि ऋतु
४२. दरिद्र
४३. रौह नहि नैन
४४. जूताक आविष्कार
४५. बूढ़ वर
४६. रिपेयर
४७. नोकर
८४. क्लासमे अबाज
४९. एस.एम.एस.
५०. टी.टी.
५१. खगता
५२. क-ख सँ दर्शन
५३. चोरकेँ सिखाबह
५४. नरक निवारण चतुर्दशी
५५. नौकरी
५६. मरकरी डिलाइट
५७. दीयाबाती
५८. फ्रैक्चर
५९. बापकेँ नोशि नहि भेटलन्हि
६०. दहेज
६१. बेचैन नहि निचैन रहू
६२. होइ अछि जे हुम लुक्खी नहि छी
६३. थल-थल
६४. क्रिकेट-फील्डिंग
६५. मैट्रिक प्लक
६६. काँकड़ु
६७. कैप्टन
६८. दूध
६९. अटेंडेंस
७०. शो-फटक्का
७१. भारमे माटि
७२. कंजूस
७३. पाइ
७४. असत्य
७५. समुद्री
७६. गाम
७७. लोली
७८. तकलाहा दिन
७९. बिकौआ
८०. गद्दरिक भात
८१. एकटा आर कोपर
८२. महीस पर वी.आइ.पी.
८३. गप्प-सरक्का
८४. फलनाक बेटा
८५. ट्रांसफर
८६. मजूरी नहि माँगह
८७. दोषी
८८. लंदनक खिस्सा
८९. प्रथम जनवरी
९०. ऑफिसमे भरि राति बन्द
९१. नानीक पत्र
९२. केवाड़ बन्द
९३. जेठांश
९४. सादा आकि रंगीन
९५. जोंकही पोखरिमे भरि राति
९६. गैस सिलिण्डरक चोरि
९७. फैक्स
९८. दीया-बाती
९९. इटालियन सैलून
१००. शव नहि उठत
१०१. अतिचार
१०२. रबड़ खाऊ
१०३. बाजा अहाँ बजाऊ
१०४. पिण्डश्याम
१०५. पाँच पाइक लालछड़ी
१०६. चोरुक्का विवाह
१०७. भ्रातृद्वितीया
१०८. नव-घरारी
१०९. रिक्त
११०. प्रवासी
१११. वेद
११२. चोरि
११३. होली
११४. बुद्ध
११५. कोठिया पछबाइ टोल
११६. बुच्ची-बाउ
११७. आकक दूध
११८. केसर श्वेत हरित त्रिवार्णिक
गजेन्द्र ठाकुर अद्भुत व्यक्ति छथि। प्रखर मेधा आ प्रचण्ड ऊर्जा सँ सम्पन्न।हुनक प्रतिभाक पसार बहुत व्यापक छनि। ओ भाषा, साहित्य आ समाजक उत्थानमे जी-जान सँ लागल छथि। गजेन्द्र ठाकुर बहुभाषाविद् छथि। हुनक ई गुण शब्दकोश-निर्माण, अनेक भाषा मे पारस्परिक अनुवाद आ विभिन्न प्रकारक अनुसंधान मे प्रतिफलित भऽ रहल अछि। ओ मैथिलीक पहिल ई-पत्रिका “विदेह”क जनक छथि। “विदेह” मैथिली केँ वैश्विक मंच प्रदान कयलक अछि। मैथिल संस्कृतिक संरक्षण आ विकासक लेल ओ एकटा विलक्षण आर्काइवक निर्माण कयने छथि जे निरन्तर संवर्धनशील अछि।सात खंड मे प्रकाशित “कुरुक्षेत्रम् अन्तर्मनक” गजेन्द्र ठाकुरक सृजन आ विमर्शक फुलबाड़ी थिक। साहित्यक कोनो विधा गजेन्द्र बाबू सँ छूटल नहि छनि। हुनक साहित्यिक बहुरंगी दुनिया बहुत प्रांजल आ लोकहितकारी अछि।बाल-साहित्य मे तऽ हुनक कलाक उत्कर्ष आ निखार अनुपम अछि।
-– सुभाषचन्द्र यादव
ISBN:978-81-907729-7-6







गजेन्द्र ठाकुर, पिता-स्वर्गीय कृपानन्द ठाकुर, माता-श्रीमती लक्षमी ठाकुर,जन्म-स्थान-भागलपुर ३० मार्च १९७१ ई.,गाम-मेंहथ, भाया-झंझारपुर,जिला-मधुबनी,“विदेह” ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/ क सम्पादक जे आब प्रिंटमे (देवनागरी आ तिरहुतामे) सेहो मैथिली साहित्य आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि।१.छिड़िआयल निबन्ध-प्रबन्ध-समीक्षा, २.उपन्यास (सहस्रबाढ़नि) ,३. पद्य-संग्रह (सहस्राब्दीक चौपड़पर),४.कथा-गल्प (गल्प-गुच्छ),५.नाटक(संकर्षण), ६.महाकाव्य (त्वञ्चाहञ्च आ असञ्जाति मन) आ ७.बाल-किशोर साहित्य (बाल मंडली/ किशोर जगत ) कुरुक्षेत्रम् अंतर्मनक (खण्ड १ सँ ७ ) नामसँ।हिनकर कथा-संग्रह(गल्प-गुच्छ) क अनुवाद संस्कृतमे आ उपन्यास (सहस्रबाढ़नि) क अनुवाद अंग्रेजी ( द कॉमेट नामसँ) आ संस्कृतमे कएल गेल अछि।मैथिली-अंग्रेजी आ अंग्रेजी-मैथिली शब्दकोश आ पञ्जी-प्रबन्धक सम्मिलित रूपेँ लेखन-शोध-सम्पादन आ मिथिलाक्षरसँ देवनागरी लिप्यांतरण। अंतर्जाल लेल तिरहुता यूनीकोडक विकासमे योगदान आ मैथिलीभाषामे अंतर्जाल आ संगणकक शब्दावलीक विकास। मैथिलीसँ अंग्रेजीमे कएकटा कथा-कविताक अनुवाद आ कन्नड़, तेलुगु, गुजराती आ ओड़ियासँ अंग्रेजीक माध्यमसँ कएकटा कथा-कविताक मैथिलीमे अनुवाद। ई-पत्र संकेत- ggajendra@gmail.com मोबाइल नं-९९११३८२०७८

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