भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c) २०००-२०२२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.html , http://www.geocities.com/ggajendra   आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html   (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html   लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha   258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै। इंटरनेटपर मैथिलीक पहिल उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि, जे http://www.videha.co.in/   पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

 

(c)२०००-२०२२. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। सह-सम्पादक: डॉ उमेश मंडल। सहायक सम्पादक: राम वि‍लास साहु, नन्द विलास राय, सन्दीप कुमार साफी आ मुन्नाजी (मनोज कुमार कर्ण)। सम्पादक- नाटक-रंगमंच-चलचित्र- बेचन ठाकुर। सम्पादक- सूचना-सम्पर्क-समाद- पूनम मंडल। सम्पादक -स्त्री कोना- इरा मल्लिक।

रचनाकार अपन मौलिक आ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) editorial.staff.videha@gmail.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकै छथि। एतऽ प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक/संग्रहकर्त्ता लोकनिक लगमे रहतन्हि,'विदेह' प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका मात्र एकर प्रथम प्रकाशनक/ प्रिंट-वेब आर्काइवक/ आर्काइवक अनुवादक आ आर्काइवक ई-प्रकाशन/ प्रिंट-प्रकाशनक अधिकार ऐ ई-पत्रिकाकेँ छै, आ से हानि-लाभ रहित आधारपर छै आ तैँ ऐ लेल कोनो रॊयल्टीक/ पारिश्रमिकक प्रावधान नै छै। तेँ रॉयल्टीक/ पारिश्रमिकक इच्छुक विदेहसँ नै जुड़थि, से आग्रह। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत।  एहि ई पत्रिकाकेँ श्रीमति लक्ष्मी ठाकुर द्वारा मासक ०१ आ १५ तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

स्थायी स्तम्भ जेना मिथिला-रत्न, मिथिलाक खोज, विदेह पेटार आ सूचना-संपर्क-अन्वेषण सभ अंकमे समान अछि, ताहि हेतु ई सभ स्तम्भ सभ अंकमे नइ देल जाइत अछि, ई सभ स्तम्भ देखबा लेल क्लिक करू नीचाँ देल विदेहक 346म आ 347 म अंक, ऐ दुनू अंकमे सम्मिलित रूपेँ ई सभ स्तम्भ देल गेल अछि।

“विदेह” ई-पत्रिका: देवनागरी वर्सन

“विदेह” ई-पत्रिका: मिथिलाक्षर वर्सन

“विदेह” ई-पत्रिका: मैथिली-IPA वर्सन

“विदेह” ई-पत्रिका: मैथिली-ब्रेल वर्सन

 VIDEHA_346

 VIDEHA_346_Tirhuta

 VIDEHA_346_IPA

 VIDEHA_346_Braille

 VIDEHA_347

 VIDEHA_347_Tirhuta

 VIDEHA_347_IPA

 VIDEHA_347_Braille

 

Wednesday, July 8, 2009

शब्द विचार

मैथिलीक मानक लेखन-शैली

१.मैथिली अकादमी, पटना आऽ २.नेपालक मैथिली भाषा वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैली।

१.मैथिली अकादमी, पटना द्वारा निर्धारित मैथिली लेखन-शैली

1. जे शब्द मैथिली-साहित्यक प्राचीन कालसँ आइ धरि जाहि वर्त्तनीमे प्रचलित अछि, से सामान्यतः ताहि वर्त्तनीमे लिखल जाय- उदाहरणार्थ-

ग्राह्य

एखन
ठाम
जकर,तकर
तनिकर
अछि

अग्राह्य
अखन,अखनि,एखेन,अखनी
ठिमा,ठिना,ठमा
जेकर, तेकर
तिनकर।(वैकल्पिक रूपेँ ग्राह्य)
ऐछ, अहि, ए।

2. निम्नलिखित तीन प्रकारक रूप वैक्लपिकतया अपनाओल जाय:भ गेल, भय गेल वा भए गेल। जा रहल अछि, जाय रहल अछि, जाए रहल अछि। कर’ गेलाह, वा करय गेलाह वा करए गेलाह।

3. प्राचीन मैथिलीक ‘न्ह’ ध्वनिक स्थानमे ‘न’ लिखल जाय सकैत अछि यथा कहलनि वा कहलन्हि।

4. ‘ऐ’ तथा ‘औ’ ततय लिखल जाय जत’ स्पष्टतः ‘अइ’ तथा ‘अउ’ सदृश उच्चारण इष्ट हो। यथा- देखैत, छलैक, बौआ, छौक इत्यादि।

5. मैथिलीक निम्नलिखित शब्द एहि रूपे प्रयुक्त होयत:जैह,सैह,इएह,ओऐह,लैह तथा दैह।

6. ह्र्स्व इकारांत शब्दमे ‘इ’ के लुप्त करब सामान्यतः अग्राह्य थिक। यथा- ग्राह्य देखि आबह, मालिनि गेलि (मनुष्य मात्रमे)।

7. स्वतंत्र ह्रस्व ‘ए’ वा ‘य’ प्राचीन मैथिलीक उद्धरण आदिमे तँ यथावत राखल जाय, किंतु आधुनिक प्रयोगमे वैकल्पिक रूपेँ ‘ए’ वा ‘य’ लिखल जाय। यथा:- कयल वा कएल, अयलाह वा अएलाह, जाय वा जाए इत्यादि।

8. उच्चारणमे दू स्वरक बीच जे ‘य’ ध्वनि स्वतः आबि जाइत अछि तकरा लेखमे स्थान वैकल्पिक रूपेँ देल जाय। यथा- धीआ, अढ़ैआ, विआह, वा धीया, अढ़ैया, बियाह।

9. सानुनासिक स्वतंत्र स्वरक स्थान यथासंभव ‘ञ’ लिखल जाय वा सानुनासिक स्वर। यथा:- मैञा, कनिञा, किरतनिञा वा मैआँ, कनिआँ, किरतनिआँ।

10. कारकक विभक्त्तिक निम्नलिखित रूप ग्राह्य:-हाथकेँ, हाथसँ, हाथेँ, हाथक, हाथमे। ’मे’ मे अनुस्वार सर्वथा त्याज्य थिक। ‘क’ क वैकल्पिक रूप ‘केर’ राखल जा सकैत अछि।

11. पूर्वकालिक क्रियापदक बाद ‘कय’ वा ‘कए’ अव्यय वैकल्पिक रूपेँ लगाओल जा सकैत अछि। यथा:- देखि कय वा देखि कए।

12. माँग, भाँग आदिक स्थानमे माङ, भाङ इत्यादि लिखल जाय।

13. अर्द्ध ‘न’ ओ अर्द्ध ‘म’ क बदला अनुसार नहि लिखल जाय, किंतु छापाक सुविधार्थ अर्द्ध ‘ङ’ , ‘ञ’, तथा ‘ण’ क बदला अनुस्वारो लिखल जा सकैत अछि। यथा:- अङ्क, वा अंक, अञ्चल वा अंचल, कण्ठ वा कंठ।

14. हलंत चिह्न नियमतः लगाओल जाय, किंतु विभक्तिक संग अकारांत प्रयोग कएल जाय। यथा:- श्रीमान्, किंतु श्रीमानक।

15. सभ एकल कारक चिह्न शब्दमे सटा क’ लिखल जाय, हटा क’ नहि, संयुक्त विभक्तिक हेतु फराक लिखल जाय, यथा घर परक।

16. अनुनासिककेँ चन्द्रबिन्दु द्वारा व्यक्त कयल जाय। परंतु मुद्रणक सुविधार्थ हि समान जटिल मात्रा पर अनुस्वारक प्रयोग चन्द्रबिन्दुक बदला कयल जा सकैत अछि। यथा- हिँ केर बदला हिं।

17. पूर्ण विराम पासीसँ ( । ) सूचित कयल जाय।

18. समस्त पद सटा क’ लिखल जाय, वा हाइफेनसँ जोड़ि क’ , हटा क’ नहि।

19. लिअ तथा दिअ शब्दमे बिकारी (ऽ) नहि लगाओल जाय।

20. अंक देवनागरी रूपमे राखल जाय।

21.किछु ध्वनिक लेल नवीन चिन्ह बनबाओल जाय। जा' ई नहि बनल अछि ताबत एहि दुनू ध्वनिक बदला पूर्ववत् अय/ आय/ अए/ आए/ आओ/ अओ लिखल जाय। आकि ऎ वा ऒ सँ व्यक्त कएल जाय।

ह./- गोविन्द झा ११/८/७६ श्रीकान्त ठाकुर ११/८/७६ सुरेन्द्र झा "सुमन" ११/०८/७६

२.नेपालक मैथिली भाषा वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैली

मैथिलीमे उच्चारण तथा लेखन

१.पञ्चमाक्षर आ अनुस्वार: पञ्चमाक्षरान्तर्गत ङ, ञ, ण, न एवं म अबैत अछि। संस्कृत भाषाक अनुसार शब्दक अन्तमे जाहि वर्गक अक्षर रहैत अछि ओही वर्गक पञ्चमाक्षर अबैत अछि। जेना-
अङ्क (क वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ङ् आएल अछि।)
पञ्च (च वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ञ् आएल अछि।)
खण्ड (ट वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ण् आएल अछि।)
सन्धि (त वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे न् आएल अछि।)
खम्भ (प वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे म् आएल अछि।)
उपर्युक्त बात मैथिलीमे कम देखल जाइत अछि। पञ्चमाक्षरक बदलामे अधिकांश जगहपर अनुस्वारक प्रयोग देखल जाइछ। जेना- अंक, पंच, खंड, संधि, खंभ आदि। व्याकरणविद पण्डित गोविन्द झाक कहब छनि जे कवर्ग, चवर्ग आ टवर्गसँ पूर्व अनुस्वार लिखल जाए तथा तवर्ग आ पवर्गसँ पूर्व पञ्चमाक्षरे लिखल जाए। जेना- अंक, चंचल, अंडा, अन्त तथा कम्पन। मुदा हिन्दीक निकट रहल आधुनिक लेखक एहि बातकेँ नहि मानैत छथि। ओलोकनि अन्त आ कम्पनक जगहपर सेहो अंत आ कंपन लिखैत देखल जाइत छथि।
नवीन पद्धति किछु सुविधाजनक अवश्य छैक। किएक तँ एहिमे समय आ स्थानक बचत होइत छैक। मुदा कतोकबेर हस्तलेखन वा मुद्रणमे अनुस्वारक छोटसन बिन्दु स्पष्ट नहि भेलासँ अर्थक अनर्थ होइत सेहो देखल जाइत अछि। अनुस्वारक प्रयोगमे उच्चारण-दोषक सम्भावना सेहो ततबए देखल जाइत अछि। एतदर्थ कसँ लऽकऽ पवर्गधरि पञ्चमाक्षरेक प्रयोग करब उचित अछि। यसँ लऽकऽ ज्ञधरिक अक्षरक सङ्ग अनुस्वारक प्रयोग करबामे कतहु कोनो विवाद नहि देखल जाइछ।

२.ढ आ ढ़ : ढ़क उच्चारण “र् ह”जकाँ होइत अछि। अतः जतऽ “र् ह”क उच्चारण हो ओतऽ मात्र ढ़ लिखल जाए। आनठाम खालि ढ लिखल जएबाक चाही। जेना-
ढ = ढाकी, ढेकी, ढीठ, ढेउआ, ढङ्ग, ढेरी, ढाकनि, ढाठ आदि।
ढ़ = पढ़ाइ, बढ़ब, गढ़ब, मढ़ब, बुढ़बा, साँढ़, गाढ़, रीढ़, चाँढ़, सीढ़ी, पीढ़ी आदि।
उपर्युक्त शब्दसभकेँ देखलासँ ई स्पष्ट होइत अछि जे साधारणतया शब्दक शुरूमे ढ आ मध्य तथा अन्तमे ढ़ अबैत अछि। इएह नियम ड आ ड़क सन्दर्भ सेहो लागू होइत अछि।

३.व आ ब : मैथिलीमे “व”क उच्चारण ब कएल जाइत अछि, मुदा ओकरा ब रूपमे नहि लिखल जएबाक चाही। जेना- उच्चारण : बैद्यनाथ, बिद्या, नब, देबता, बिष्णु, बंश, बन्दना आदि। एहिसभक स्थानपर क्रमशः वैद्यनाथ, विद्या, नव, देवता, विष्णु, वंश, वन्दना लिखबाक चाही। सामान्यतया व उच्चारणक लेल ओ प्रयोग कएल जाइत अछि। जेना- ओकील, ओजह आदि।

४.य आ ज : कतहु-कतहु “य”क उच्चारण “ज”जकाँ करैत देखल जाइत अछि, मुदा ओकरा ज नहि लिखबाक चाही। उच्चारणमे यज्ञ, जदि, जमुना, जुग, जाबत, जोगी, जदु, जम आदि कहल जाएवला शब्दसभकेँ क्रमशः यज्ञ, यदि, यमुना, युग, याबत, योगी, यदु, यम लिखबाक चाही।

५.ए आ य : मैथिलीक वर्तनीमे ए आ य दुनू लिखल जाइत अछि।
प्राचीन वर्तनी- कएल, जाए, होएत, माए, भाए, गाए आदि।
नवीन वर्तनी- कयल, जाय, होयत, माय, भाय, गाय आदि।
सामान्यतया शब्दक शुरूमे ए मात्र अबैत अछि। जेना एहि, एना, एकर, एहन आदि। एहि शब्दसभक स्थानपर यहि, यना, यकर, यहन आदिक प्रयोग नहि करबाक चाही। यद्यपि मैथिलीभाषी थारूसहित किछु जातिमे शब्दक आरम्भोमे “ए”केँ य कहि उच्चारण कएल जाइत अछि।
ए आ “य”क प्रयोगक प्रयोगक सन्दर्भमे प्राचीने पद्धतिक अनुसरण करब उपयुक्त मानि एहि पुस्तकमे ओकरे प्रयोग कएल गेल अछि। किएक तँ दुनूक लेखनमे कोनो सहजता आ दुरूहताक बात नहि अछि। आ मैथिलीक सर्वसाधारणक उच्चारण-शैली यक अपेक्षा एसँ बेसी निकट छैक। खास कऽ कएल, हएब आदि कतिपय शब्दकेँ कैल, हैब आदि रूपमे कतहु-कतहु लिखल जाएब सेहो “ए”क प्रयोगकेँ बेसी समीचीन प्रमाणित करैत अछि।

६.हि, हु तथा एकार, ओकार : मैथिलीक प्राचीन लेखन-परम्परामे कोनो बातपर बल दैत काल शब्दक पाछाँ हि, हु लगाओल जाइत छैक। जेना- हुनकहि, अपनहु, ओकरहु, तत्कालहि, चोट्टहि, आनहु आदि। मुदा आधुनिक लेखनमे हिक स्थानपर एकार एवं हुक स्थानपर ओकारक प्रयोग करैत देखल जाइत अछि। जेना- हुनके, अपनो, तत्काले, चोट्टे, आनो आदि।

७.ष तथा ख : मैथिली भाषामे अधिकांशतः षक उच्चारण ख होइत अछि। जेना- षड्यन्त्र (खड़यन्त्र), षोडशी (खोड़शी), षट्कोण (खटकोण), वृषेश (वृखेश), सन्तोष (सन्तोख) आदि।

८.ध्वनि-लोप : निम्नलिखित अवस्थामे शब्दसँ ध्वनि-लोप भऽ जाइत अछि:
(क)क्रियान्वयी प्रत्यय अयमे य वा ए लुप्त भऽ जाइत अछि। ओहिमेसँ पहिने अक उच्चारण दीर्घ भऽ जाइत अछि। ओकर आगाँ लोप-सूचक चिह्न वा विकारी (’ / ऽ) लगाओल जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : पढ़ए (पढ़य) गेलाह, कए (कय) लेल, उठए (उठय) पड़तौक।
अपूर्ण रूप : पढ़’ गेलाह, क’ लेल, उठ’ पड़तौक।
पढ़ऽ गेलाह, कऽ लेल, उठऽ पड़तौक।
(ख)पूर्वकालिक कृत आय (आए) प्रत्ययमे य (ए) लुप्त भऽ जाइछ, मुदा लोप-सूचक विकारी नहि लगाओल जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : खाए (य) गेल, पठाय (ए) देब, नहाए (य) अएलाह।
अपूर्ण रूप : खा गेल, पठा देब, नहा अएलाह।
(ग)स्त्री प्रत्यय इक उच्चारण क्रियापद, संज्ञा, ओ विशेषण तीनूमे लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप : दोसरि मालिनि चलि गेलि।
अपूर्ण रूप : दोसर मालिन चलि गेल।
(घ)वर्तमान कृदन्तक अन्तिम त लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप : पढ़ैत अछि, बजैत अछि, गबैत अछि।
अपूर्ण रूप : पढ़ै अछि, बजै अछि, गबै अछि।
(ङ)क्रियापदक अवसान इक, उक, ऐक तथा हीकमे लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप: छियौक, छियैक, छहीक, छौक, छैक, अबितैक, होइक।
अपूर्ण रूप : छियौ, छियै, छही, छौ, छै, अबितै, होइ।
(च)क्रियापदीय प्रत्यय न्ह, हु तथा हकारक लोप भऽ जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : छन्हि, कहलन्हि, कहलहुँ, गेलह, नहि।
अपूर्ण रूप : छनि, कहलनि, कहलौँ, गेलऽ, नइ, नञि, नै।

९.ध्वनि स्थानान्तरण : कोनो-कोनो स्वर-ध्वनि अपना जगहसँ हटिकऽ दोसरठाम चलि जाइत अछि। खास कऽ ह्रस्व इ आ उक सम्बन्धमे ई बात लागू होइत अछि। मैथिलीकरण भऽ गेल शब्दक मध्य वा अन्तमे जँ ह्रस्व इ वा उ आबए तँ ओकर ध्वनि स्थानान्तरित भऽ एक अक्षर आगाँ आबि जाइत अछि। जेना- शनि (शइन), पानि (पाइन), दालि ( दाइल), माटि (माइट), काछु (काउछ), मासु(माउस) आदि। मुदा तत्सम शब्दसभमे ई नियम लागू नहि होइत अछि। जेना- रश्मिकेँ रइश्म आ सुधांशुकेँ सुधाउंस नहि कहल जा सकैत अछि।

१०.हलन्त(्)क प्रयोग : मैथिली भाषामे सामान्यतया हलन्त (्)क आवश्यकता नहि होइत अछि। कारण जे शब्दक अन्तमे अ उच्चारण नहि होइत अछि। मुदा संस्कृत भाषासँ जहिनाक तहिना मैथिलीमे आएल (तत्सम) शब्दसभमे हलन्त प्रयोग कएल जाइत अछि। एहि पोथीमे सामान्यतया सम्पूर्ण शब्दकेँ मैथिली भाषासम्बन्धी नियमअनुसार हलन्तविहीन राखल गेल अछि। मुदा व्याकरणसम्बन्धी प्रयोजनक लेल अत्यावश्यक स्थानपर कतहु-कतहु हलन्त देल गेल अछि। प्रस्तुत पोथीमे मथिली लेखनक प्राचीन आ नवीन दुनू शैलीक सरल आ समीचीन पक्षसभकेँ समेटिकऽ वर्ण-विन्यास कएल गेल अछि। स्थान आ समयमे बचतक सङ्गहि हस्त-लेखन तथा तकनिकी दृष्टिसँ सेहो सरल होबऽवला हिसाबसँ वर्ण-विन्यास मिलाओल गेल अछि। वर्तमान समयमे मैथिली मातृभाषीपर्यन्तकेँ आन भाषाक माध्यमसँ मैथिलीक ज्ञान लेबऽ पड़िरहल परिप्रेक्ष्यमे लेखनमे सहजता तथा एकरूपतापर ध्यान देल गेल अछि। तखन मैथिली भाषाक मूल विशेषतासभ कुण्ठित नहि होइक, ताहूदिस लेखक-मण्डल सचेत अछि। प्रसिद्ध भाषाशास्त्री डा. रामावतार यादवक कहब छनि जे सरलताक अनुसन्धानमे एहन अवस्था किन्नहु ने आबऽ देबाक चाही जे भाषाक विशेषता छाँहमे पडि जाए। हमसभ हुनक धारणाकेँ पूर्ण रूपसँ सङ्ग लऽ चलबाक प्रयास कएलहुँ अछि।
पोथीक वर्णविन्यास कक्षा ९ क पोथीसँ किछु मात्रामे भिन्न अछि। निरन्तर अध्ययन, अनुसन्धान आ विश्लेषणक कारणे ई सुधारात्मक भिन्नता आएल अछि। भविष्यमे आनहु पोथीकेँ परिमार्जित करैत मैथिली पाठ्यपुस्तकक वर्णविन्यासमे पूर्णरूपेण एकरूपता अनबाक हमरासभक प्रयत्न रहत।

कक्षा १० मैथिली लेखन तथा परिमार्जन महेन्द्र मलंगिया/ धीरेन्द्र प्रेमर्षि संयोजन- गणेशप्रसाद भट्टराई
प्रकाशक शिक्षा तथा खेलकूद मन्त्रालय, पाठ्यक्रम विकास केन्द्र,सानोठिमी, भक्तपुर
सर्वाधिकार पाठ्यक्रम विकास केन्द्र एवं जनक शिक्षा सामग्री केन्द्र, सानोठिमी, भक्तपुर।
पहिल संस्करण २०५८ बैशाख (२००२ ई.)
योगदान: शिवप्रसाद सत्याल, जगन्नाथ अवा, गोरखबहादुर सिंह, गणेशप्रसाद भट्टराई, डा. रामावतार यादव, डा. राजेन्द्र विमल, डा. रामदयाल राकेश, धर्मेन्द्र विह्वल, रूपा धीरू, नीरज कर्ण, रमेश रञ्जन
भाषा सम्पादन- नीरज कर्ण, रूपा झा

आब १.मैथिली अकादमी, पटना आऽ २.नेपालक मैथिली भाषा वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैलीक अध्ययनक उपरान्त निम्न बिन्दु सभपर मनन कए निर्णय करू।
ग्राह्य/अग्राह्य
1.होयबला/ होबयबला/ होमयबला/ हेब’बला, हेम’बला/ होयबाक/ होएबाक
2. आ’/आऽ आ
3. क’ लेने/कऽ लेने/कए लेने/कय लेने/ल’/लऽ/लय/लए
4. भ’ गेल/भऽ गेल/भय गेल/भए गेल
5. कर’ गेलाह/करऽ गेलह/करए गेलाह/करय गेलाह
6. लिअ/दिअ लिय’,दिय’,लिअ’,दिय’
7. कर’ बला/करऽ बला/ करय बला करै बला/क’र’ बला
8. बला वला
9. आङ्ल आंग्ल
10. प्रायः प्रायह
11. दुःख दुख
12. चलि गेल चल गेल/चैल गेल
13. देलखिन्ह देलकिन्ह, देलखिन
14. देखलन्हि देखलनि/ देखलैन्ह
15. छथिन्ह/ छलन्हि छथिन/ छलैन/ छलनि
16. चलैत/दैत चलति/दैति
17. एखनो अखनो
18. बढ़न्हि बढन्हि
19. ओ’/ओऽ(सर्वनाम) ओ
20. ओ (संयोजक) ओ’/ओऽ
21. फाँगि/फाङ्गि फाइंग/फाइङ
22. जे जे’/जेऽ
23. ना-नुकुर ना-नुकर
24. केलन्हि/कएलन्हि/कयलन्हि
25. तखन तँ तखनतँ
26. जा’ रहल/जाय रहल/जाए रहल
27. निकलय/निकलए लागल बहराय/बहराए लागल निकल’/बहरै लागल
28. ओतय/जतय जत’/ओत’/जतए/ओतए
29. की फूड़ल जे कि फूड़ल जे
30. जे जे’/जेऽ
31. कूदि/यादि(मोन पारब) कूइद/याइद/कूद/याद
32. इहो/ओहो
33. हँसए/हँसय हँस’
34. नौ आकि दस/नौ किंवा दस/नौ वा दस
35. सासु-ससुर सास-ससुर
36. छह/सात छ/छः/सात
37. की की’/कीऽ(दीर्घीकारान्तमे वर्जित)
38. जबाब जवाब
39. करएताह/करयताह करेताह
40. दलान दिशि दलान दिश
41. गेलाह गएलाह/गयलाह
42. किछु आर किछु और
43. जाइत छल जाति छल/जैत छल
44. पहुँचि/भेटि जाइत छल पहुँच/भेट जाइत छल
45. जबान(युवा)/जवान(फौजी)
46. लय/लए क’/कऽ
47. ल’/लऽ कय/कए
48. एखन/अखने अखन/एखने
49. अहींकेँ अहीँकेँ
50. गहींर गहीँर
51. धार पार केनाइ धार पार केनाय/केनाए
52. जेकाँ जेँकाँ/जकाँ
53. तहिना तेहिना
54. एकर अकर
55. बहिनउ बहनोइ
56. बहिन बहिनि
57. बहिनि-बहिनोइ बहिन-बहनउ
58. नहि/नै
59. करबा’/करबाय/करबाए
60. त’/त ऽ तय/तए 61. भाय भै
62. भाँय
63. यावत जावत
64. माय मै
65. देन्हि/दएन्हि/दयन्हि दन्हि/दैन्हि
66. द’/द ऽ/दए
67. ओ (संयोजक) ओऽ (सर्वनाम)
68. तका’ कए तकाय तकाए
69. पैरे (on foot) पएरे
70. ताहुमे ताहूमे


71. पुत्रीक
72. बजा कय/ कए
73. बननाय
74. कोला
75. दिनुका दिनका
76. ततहिसँ
77. गरबओलन्हि गरबेलन्हि
78. बालु बालू
79. चेन्ह चिन्ह(अशुद्ध)
80. जे जे’
81. से/ के से’/के’
82. एखुनका अखनुका
83. भुमिहार भूमिहार
84. सुगर सूगर
85. झठहाक झटहाक
86. छूबि
87. करइयो/ओ करैयो
88. पुबारि पुबाइ
89. झगड़ा-झाँटी झगड़ा-झाँटि
90. पएरे-पएरे पैरे-पैरे
91. खेलएबाक खेलेबाक
92. खेलाएबाक
93. लगा’
94. होए- हो
95. बुझल बूझल
96. बूझल (संबोधन अर्थमे)
97. यैह यएह
98. तातिल
99. अयनाय- अयनाइ
100. निन्न- निन्द
101. बिनु बिन
102. जाए जाइ
103. जाइ(in different sense)-last word of sentence
104. छत पर आबि जाइ
105. ने
106. खेलाए (play) –खेलाइ
107. शिकाइत- शिकायत
108. ढप- ढ़प
109. पढ़- पढ
110. कनिए/ कनिये कनिञे
111. राकस- राकश
112. होए/ होय होइ
113. अउरदा- औरदा
114. बुझेलन्हि (different meaning- got understand)
115. बुझएलन्हि/ बुझयलन्हि (understood himself)
116. चलि- चल
117. खधाइ- खधाय
118. मोन पाड़लखिन्ह मोन पारलखिन्ह
119. कैक- कएक- कइएक
120. लग ल’ग
121. जरेनाइ
122. जरओनाइ- जरएनाइ/जरयनाइ
123. होइत
124. गड़बेलन्हि/ गड़बओलन्हि
125. चिखैत- (to test)चिखइत
126. करइयो(willing to do) करैयो
127. जेकरा- जकरा
128. तकरा- तेकरा
129. बिदेसर स्थानेमे/ बिदेसरे स्थानमे
130. करबयलहुँ/ करबएलहुँ/करबेलहुँ
131. हारिक (उच्चारण हाइरक)
132. ओजन वजन
133. आधे भाग/ आध-भागे
134. पिचा’/ पिचाय/पिचाए
135. नञ/ ने
136. बच्चा नञ (ने) पिचा जाय
137. तखन ने (नञ) कहैत अछि।
138. कतेक गोटे/ कताक गोटे
139. कमाइ- धमाइ कमाई- धमाई
140. लग ल’ग
141. खेलाइ (for playing)
142. छथिन्ह छथिन
143. होइत होइ
144. क्यो कियो
145. केश (hair)
146. केस (court-case)
147. बननाइ/ बननाय/ बननाए
148. जरेनाइ
149. कुरसी कुर्सी
150. चरचा चर्चा
151. कर्म करम
152. डुबाबय/ डुमाबय
153. एखुनका/ अखुनका
154. लय (वाक्यक अतिम शब्द)- ल’
155. कएलक केलक
156. गरमी गर्मी
157. बरदी वर्दी
158. सुना गेलाह सुना’/सुनाऽ
159. एनाइ-गेनाइ
160. तेनाने घेरलन्हि
161. नञ
162. डरो ड’रो
163. कतहु- कहीं
164. उमरिगर- उमरगर
165. भरिगर
166. धोल/धोअल धोएल
167. गप/गप्प
168. के के’
169. दरबज्जा/ दरबजा
170. ठाम
171. धरि तक
172. घूरि लौटि
173. थोरबेक
174. बड्ड
175. तोँ/ तूँ
176. तोँहि( पद्यमे ग्राह्य)
177. तोँही/तोँहि
178. करबाइए करबाइये
179. एकेटा
180. करितथि करतथि

181. पहुँचि पहुँच
182. राखलन्हि रखलन्हि
183. लगलन्हि लागलन्हि
184. सुनि (उच्चारण सुइन)
185. अछि (उच्चारण अइछ)
186. एलथि गेलथि
187. बितओने बितेने
188. करबओलन्हि/ करेलखिन्ह
189. करएलन्हि
190. आकि कि
191. पहुँचि पहुँच
192. जराय/ जराए जरा’ (आगि लगा)
193. से से’
194. हाँ मे हाँ (हाँमे हाँ विभक्त्तिमे हटा कए)
195. फेल फैल
196. फइल(spacious) फैल
197. होयतन्हि/ होएतन्हि हेतन्हि
198. हाथ मटिआयब/ हाथ मटियाबय
199. फेका फेंका
200. देखाए देखा’
201. देखाय देखा’
202. सत्तरि सत्तर
203. साहेब साहब
204.गेलैन्ह/ गेलन्हि
205.हेबाक/ होएबाक
206.केलो/ कएलो
207. किछु न किछु/ किछु ने किछु
208.घुमेलहुँ/ घुमओलहुँ
209. एलाक/ अएलाक
210. अः/ अह
211.लय/ लए (अर्थ-परिवर्त्तन)
212.कनीक/ कनेक
213.सबहक/ सभक
214.मिलाऽ/ मिला
215.कऽ/ क
216.जाऽ/जा
217.आऽ/ आ
218.भऽ/भ’ (’ फॉन्टक कमीक द्योतक)219.निअम/ नियम
220.हेक्टेअर/ हेक्टेयर
221.पहिल अक्षर ढ/ बादक/बीचक ढ़
222.तहिं/तहिँ/ तञि/ तैं
223.कहिं/कहीं
224.तँइ/ तइँ
225.नँइ/नइँ/ नञि
226.है/ हइ
227.छञि/ छै/ छैक/छइ
228.दृष्टिएँ/ दृष्टियेँ
229.आ (come)/ आऽ(conjunction)
230. आ (conjunction)/ आऽ(come)
231.कुनो/ कोनो
२३२.गेलैन्ह-गेलन्हि
२३३.हेबाक- होएबाक
२३४.केलौँ- कएलौँ- कएलहुँ
२३५.किछु न किछ- किछु ने किछु
२३६.केहेन- केहन
२३७.आऽ (come)-आ (conjunction-and)
२३८. हएत-हैत
२३९.घुमेलहुँ-घुमएलहुँ
२४०.एलाक- अएलाक
२४१.होनि- होइन
२४२.ओ-राम ओ श्यामक बीच(conjunction), ओऽ कहलक (he said)
२४३.की हए/ कोसी अएली हए/ की है। की हइ
२४४.दृष्टिएँ/ दृष्टियेँ
२४५.शामिल/ सामेल
२४६.तैँ / तँए/ तञि/ तहिं
२४७.जौँ/ ज्योँ
२४८.सभ/ सब
२४९.सभक/ सबहक
२५०.कहिं/ कहीं
२५१.कुनो/ कोनो
२५२.फारकती भऽ गेल/ भए गेल/ भय गेल
२५३.कुनो/ कोनो
२५४.अः/ अह
२५५.जनै/ जनञ
२५६.गेलन्हि/ गेलाह (अर्थ परिवर्तन)
२५७.केलन्हि/ कएलन्हि
२५८.लय/ लए(अर्थ परिवर्तन)
२५९.कनीक/ कनेक
२६०.पठेलन्हि/ पठओलन्हि
२६१.निअम/ नियम
२६२.हेक्टेअर/ हेक्टेयर
२६३.पहिल अक्षर रहने ढ/ बीचमे रहने ढ़
२६४.आकारान्तमे बिकारीक प्रयोग उचित नहि/ अपोस्ट्रोफीक प्रयोग फान्टक न्यूनताक परिचायक ओकर बदला अवग्रह(बिकारी)क प्रयोग उचित
२६५.केर/-क/ कऽ/ के
२६६.छैन्हि- छन्हि


मैथिली भाषापाक (1)- गजेन्द्र ठाकुर

मूल्यांकन
अत्युत्तम- 14-15
उत्तम- 12-13
बड़-बढ़िया- 09-11

1.अरिया-दुर्भिक्ष: क. दाही ख. रौदी. ग. आरिक एक दिशि अकाल एक दिशि नहि घ. एहिमे सँ कोनो नहि।
2. कोलपति: क. चोकटल ख. फूलल ग. मसुआयल. घ. बसिया।
3. दकचब: क. यत्र-तत्र काटब ख. तोड़ब ग.फोड़ब घ. घँसब।
4. थकुचब: क. आघात पहुँचायब. ख.फेकब, ग. लोकब. घ. खसब।
5. निहुछल: क. फेकल. ख. राखल. ग. देवताकेँ पूजब. घ. देवताक प्रदानार्थ अलगसँ राखब।
6. ओड़हा: क. बदाम भूजल(घूरमे) ख. सुखायल दाना. ग. तरल दाना. घ. भीजल दाना।
7.खखड़ी: क. दानाविहीन धान ख.दाना सहित धान. ग. उसनल धान घ. भुस्सा।
8. गोजू: क. डंटाकेँ पानिमे भेसू. ख. डंटाकेँ जमीनमे भेसू. ग. डंटाकेँ हवामे भेसू. घ. डंटाकेँ आगिमे भेसू।
9. बर्जब: क. त्यागब. ख. आनब. ग. सहब. घ. हँसब।
10. सिटब: क. फेँकब ख. आनि कए राखब. ग. आनि कए फेंकब. घ. विन्यासयुक्त्त करब।
11. खुटब: क. लटकायब. ख. सुखायब. ग. खुट्टा गाड़ि नापब. घ.एहिमे सँ कोनो नहि।
12. गेँटब: क. एम्हर-ओम्हर एकत्र करब ख. तराउपड़ी एकत्र करब.ग. एक पंत्तिमे राखब. घ. एहिमे सँ कोनो नहि।
13. डपटब: क. हँसब. ख. कानब. ग. तमसायब घ. दुलार करब।
14. खटब: क. आलस्य करब. ख. फुर्ती करब. ग. अनवरत कार्य करब. घ. एहिमे सँ कोनो नहि।
15. हँटब: क. भागब. ख. दूर जायब. ग. दबाड़ब. घ. हँसायब।
उत्तर
मैथिली भाषापाक (1) केर उत्तर:
1. ग. (खेतक आरिक एक दिशि नीक खेती एक दिशि नहि)।
2. क. चोकटल आम।
3. क. यत्र-तत्र काटब।
4. क. आघात पहुँचायब.
5. घ. देवताक प्रदानार्थ अलगसँ राखब।
6. क. बदाम भूजल(घूरमे)-खेतमे।
7. क. दानाविहीन धान(दुद्धा धान बाढ़िक पानिमे पूराडूबि गेलाक परिणाम)।
8. क. डंटाकेँ पानिमे भेसू।
9. क. त्यागब।
10. घ. विन्यासयुक्त्त करब।
11. ग. खुट्टा गाड़ि नापब।
12. ख. तराउपड़ी एकत्र करब।
13. ग. तमसायब।
14. ग. अनवरत कार्य करब।
15. ग. दबाड़ब।
अत्युत्तम- 14-15
उत्तम- 12-13
बड़-बढ़िया- 09-11

1.गतानब: क. खाट तानब ख. खाट खोलब. ग. खाट तोड़ब घ. एहिमे सँ कोनो नहि।
2. पलानिकेँ: क. कुमनसँ ख. यत्नपूर्बक ग. सोचि कए. घ. एहिमे सँ कोनो नहि।
3. टोनब: क. गाछ रोपब ख. गाछ जरायब ग.गाछ रोपब घ. डारि खण्ड करब।
4. अकानब: क. कान काटब. ख.कान लग बाजब. ग. ध्यान नहि देब. घ. कान पाथब ।
5. गुदानब: क. देखब. ख. ध्यान राखब. ग. उपेक्षा करब. घ. मोजर देब।
6. उसनब: क. पानिमे आगिसँ सिद्ध करब ख. भुजब. ग. सुखायब. घ. एहिमे सँ कोनो नहि।।
7.बिधुनब: क. सरियायब ख.फेंकब. ग. उनटब-पुनटब घ. गेंटब।
8. पटब: क. लड़ब. ख. झगड़ा होएब. ग. मिलान नहि होयब. घ. मिलान होयब।
9. बिनब: क. नुआ बीनब-बनाएब. ख. नुआ सुखायब. ग. नुआ जराएब. घ. नुआ धोब।
10. खुनब: क. कोड़ब ख. चास देब. ग. पटाएब. घ. जोतब।
11. तुनब: क. कपड़ा बीनब. ख. कपड़ा सीब. ग. तूर तुनब. घ.भाड़ घोंटब।
12. बुनब: क. बीआ बाउग करब ख. बीआ उखाड़ब.ग. बीआ दहाएब. घ. एहिमे सँ कोनो नहि।
13. लुबधब: क. अरबधब. ख. सोहड़ि जाएब. ग. विहीन होएब घ. दुलार करब।
14. अरबधब: क. अवश्य करब. ख. फुर्ती करब. ग. अनवरत कार्य करब. घ. एहिमे सँ कोनो नहि।
15. छपब: क. तिरोधान होएब. ख. दूर जायब. ग. दबाड़ब. घ. हँसायब।
उत्तर
मैथिली भाषापाक (२) केर उत्तर:
1. क. खाट तानब ।
2. ख. यत्नपूर्बक ।
3. घ. डारि खण्ड करब।
4. घ. कान पाथब ।
5. ग. उपेक्षा करब ।
6. क. पानिमे आगिसँ सिद्ध करब ।
7. ग. उनटब-पुनटब ।
8. घ. मिलान होयब।
9. क. नुआ बीनब-बनाएब ।
10. क. कोड़ब ।
11. ग. तूर तुनब ।
12. क. बीआ बाउग करब ।
13. ख. सोहड़ि जाएब ।
14. क. अवश्य करब ।
15. क. तिरोधान होएब ।

मूल्यांकन
अत्युत्तम- 14-15
उत्तम- 12-13
बड़-बढ़िया- 09-11

1.तग्गर: क. खाट ख. बाट. ग. पेय पदार्थ घ. एहिमे सँ कोनो नहि।
2. दोमब: क. हिलायब ख. यत्नपूर्बक सोचब ग. सोचि कए करब . घ. एहिमे सँ कोनो नहि।
3. ओधि: क. बाँसक जड़ि ख. गाछ जरायब ग.गाछ रोपब घ. डारि खण्ड करब।
4. पेटाढ़: क. कान काटब. ख. गँहीर बासन. ग. ध्यान नहि देब. घ. कान पाथब ।
5. दौरा: क. देखब. ख. ध्यान राखब. ग. उपेक्षा करब. घ. उत्थर् पात्र।
6. मेघडम्बर: क. छाता ख. भुजब. ग. सुखायब. घ. एहिमे सँ कोनो नहि।।
7.बँसबिट्टी: क. सरियायब ख.फेंकब. ग. बाँसक बोन घ. गेंटब।
8. जाबी: क. लड़ब. ख. झगड़ा होएब. ग. जालाकार पात्र. घ. मिलान होयब।
9. कनसुपती: क. नुआ बीनब-बनाएब. ख. नुआ सुखायब. ग. नुआ जराएब. घ. सुखायल बाँसक पात।
10. छिट्टा: क. कोड़ब ख. चास देब. ग. पथिया. घ. जोतब।
11. दाबि: क. कपड़ा बीनब. ख. पैघ कत्ता. ग. तूर तुनब. घ.भाड़ घोंटब।
12. बोनि: क. बीआ बाउग करब ख. बीआ उखाड़ब.ग. बीआ दहाएब. घ. मजदूरी।
13. छोँपब: क. अरबधब. ख. सोहड़ि जाएब. ग. ऊपरसँ काटब घ. दुलार करब।
14.करची: क. अवश्य करब. ख. ऊपरसँ काटब. ग. बाँसक पातर शाखा. घ. एहिमे सँ कोनो नहि।
15. भालरि: क. तिरोधान होएब. ख. केराक पात. ग. दबाड़ब. घ. हँसायब।
उत्तर
मैथिली भाषापाक (२) केर उत्तर:
1. ग. पेय पदार्थ ।
2. क. हिलायब ।
3. क. बाँसक जड़ि ।
4. ख. गँहीर बासन ।
5. उत्थर् पात्र।
6. क. छाता ।
7. ग. बाँसक बोन ।
8. ग. जालाकार पात्र ।
9. घ. सुखायल बाँसक पात।
10. ग. पथिया ।
11. ख. पैघ कत्ता ।
12. घ. मजदूरी ।
13. ग. ऊपरसँ काटब ।
14 . ग. बाँसक पातर शाखा ।
15. ख. केराक पात ।

गोविन्ददास शब्दावली

( ई शब्दावली 'विदेह' http://www.videha.co.in/ अंक १७ मे रचना लेखन स्तंभमे ई-प्रकाशित भेल छल। )
गोविन्ददास (१५७०-१६४०) शब्दावली (साभार-गोविन्ददास-भजनावली, सम्पादक गोविन्द झा)
अंगुलिवलय- औँठी
अंचल- आँचर;कोर
अकरुण- निर्दय
अकाज- विघटन
अगुसरि- आगाँ बढ़ि
अछोरब- त्यागब
अतनु- कामदेव
अतसी- तीसी
अनंग- कामदेव
अनत- अन्यत्र
अनल- आगि
अनुखन- हरदम
अनुगत- सेवक
अनुबन्ध- संगति
अनुसय- पश्चात्ताप
अनुसरब- पाछु चलब
अन्तराय- विघ्न
अपरूप- अपूर्व
अबगाह- पैसब
अवतंस- मनटीका
अवधान- होस
अवनत- झुकल
अवश- विवश, बाध्य
अविरत- लगातार
अविरल- घनगर
अविराम- निरन्तर
अबुध- बकलेल
अभागि- अभाग्य
अभिसार- प्रेमीसँ मिलए जाएब
अमरतरु- कल्पवृक्ष
अमिअ- अमृत
अम्बर- आकाश, वस्त्र
अरविन्द- कमल
अरुणिम- लाल, ललाओन
अरुण-लाल
अलक- लट
तिलक- पसाहिन
अलखित- अलक्षित, अनचोक
अलस- अलसाएल, शिथिल
अलि- भ्रमर
असार- आसार, वर्षा
अहनिस- दिनराति
अहेर- आखेटक, शिकारी
आकुर- ओझराएल; घबराएल
आगर- आकर, भंडार, खजाना
आतप- रौद
आनआन- अन्योन्य, परस्पर
आनन- मुख, चेहरा
आमोद- सौरभ
आरकत- आरत, आलता
आरति- आर्ति, आतुरता
आसोआस- आश्वास
इन्द्रफाँस- एक प्रकारक बन्धन
इन्दु- चन्द्रमा
इषदवलोकन- अझकहि देखब
उजागरि- जागरण
उजोल- प्रकाश
उतपत- उत्तप्त, धीपल
उतरोल- कोलाहल
उर- हृदय, छाती, स्तन
उरु- जाँघ
उरोज- स्तन
उलसित- उल्लसित
ऊजर- उज्जवल
कंज- कमल
कंटक- काँट
कटाख- कटाक्ष, कनखी
कनकाचल- सोनाक पर्वत
कनय- कनक, सोन
कपाट- केबाड़
कबरी- खोपा
कमान- धनुष
कम्बु- शंख
करहाथ- सूढ़, हाथ
करतल- तरहत्थी
करतँह- करैत छथि
करयुग- जोड़ल हाथ
कल- शान्ति; मधुर (ध्वनि)
कलप- कल्प
कलप तरु- पारिजात
कलरव- घोल
कलहंस- एक पक्षी
कलावती- रसिक रमणी
कल्पतरु- पारिजात
कहतहँ- कहैत छथि
कांचन- सोनाक
कातर- दीन
कान- कृष्ण; कार्ण
कानन- वन
काँबलि- साँगि
कामिनि- रमणी
कालिन्दी- यमुना नदी
कालिय- एक नाग जकरा कृष्ण नथलनि
काहिनी- कथा
किंकिर- चाकर, सेवक
किंकिणि- घुघरू
किसलय- नब पात, पल्लव
कुंकुम- सौन्दर्य प्रसाधनक लाल लेप वा चूर्ण
कंटक- काँट
कुंचित- संकुचल
कुंजर- हाथी
कुच- स्तन
कुन्दल- लट
कुन्दल- खराजल, सोधल
कुवलय- नील कमल
कुमुद- श्वेत कमल, भेँट
कुमुदिनि- श्वेत कमलक लता
कुसुम- फूल
कुसुमबान कामदेव
कुसुमसर- कामदेव
कुसुमसायक- कामदेव
कुहू- अमावस्या
कुल- तीर
केलि- काम-विलास
केसरि- सिंह
कोक- एक पक्षी, चकबा
खचित- खोँसल
खर- तेज, तीक्ष्ण
खरतर- तीक्ष्णतर
गंड- गाल; हाथीक मस्तक
गगन- आकाश
गज- हाथी
गजमोति- ओ मोति जे हाथीक मस्तिष्कमे रहैछ
गणक- जोतखी
गरगर- गद् गद, विह्वल
गरब- घमंड
गरल- विष
गरुअ- भारी
गलित- नमड़ल
गहन- नव
गहीन- गँहीर
गात- देह
गाहनी- प्रवेश कएनिहारि
गिम- ग्रीवा, गरदनि
गुनगाम- गुणग्राम, गुणावली
गुनि- बिचारि, सोचि
गुहक- ओझा-गुनी
गेह- घर
गैरिक- गेरु
गोए –छिपाए
गोचर- बाध
ग्रीम-ग्रीवा, गरदनि
धन- प्रबल,तेज ;अविरल, लगलग, लगले लागल
घनरस- जल; गाढ़ रस
घनसार- कर्पूर
घाघर- झाँप
घामकिरन- सूर्य
घुमाएब- सूतब
घूम- निद्रा
घोर- विकट
घोस- गोप
चकोर- एक पक्षी
चतुरानन- ब्रह्मा
चन्द्रक- मयूरक पाँखि
चरमाचल- अस्ताचल
चलतँह- चलैत अछि
चाँचर- चञ्चल
चारु- सुन्दर
चाह- निहारनाइ, अवलोकन
चाहनी- अवलोकन
चाहब- निहारब
चिबुक- दाढ़ी
चिर- दीर्घकाल
चीतपुतरि- चित्रमे लिखल मूर्ति
चूड़- शिखर, जूड़ा
चूड़क- पुरुषक खोपा
चेतन- चैतन्य, होस
चोआ- धूमनक तेल जे सुगन्धित होइत अछि
छन्द- गति, प्रवृत्ति, इच्छा; शोभा
छाँद- शोभा
जघन- जाँघ
जदुपति- कृष्ण
जर- ज्वर, सन्ताप
जलजात- कमल
जसु- जकर
जानु- ठेहुन
जाबक- आरत, आलता
जाम- याम, पहर
जामिनि- राति
जामुन- यमुना
जूथ- दल
जूथि- जूही फूल
जोर- युगल, जोड़ा
जौबति- युवती
झंक- दीन वचन, दुःख
झंझर- झटक, वृष्टि
झपान- खटुली
झष- माछ
झामर- श्यामल, कारी
झिल्ली- एक कीड़ा
झूर- विखिन्न
टलमल- अस्थिर
ठान- स्थान
डमक- डम्फा
डम्बर- आटोप
ढरढर- निरन्तर (प्रवाह)
ढलमल- डगमग
तटिनी- नदी
तड़ितलता- बिजुलोका
तन्त्री- वीणा
तपन- सूर्य
तमाल- एकवृक्ष
तरंगिनी- नदी
तरल- द्रुत
तरुकोर- गाछक स्तंभ
तरुन- टटका; युवा
तरुणी- युवती
ताटंक- तड़का, कानक एक गहना
ताड़- एक गहना
तापनि- यमुना
ताम्बूल- पान
तार- तारा
तिआस- पिपासा
तिमित- स्थिर
तिमित- अन्धकार
तिरिवध- नारीक हत्याक पाप
तिलतिल- छन-छन
तुंग- ऊँच
तमुल- तेज (ध्वनि)
तुषदह- भूसाक आगि
तुहिनकर- चन्द्रमा
तूण- तरकस
तोरित- तुरन्त, शीघ्र
त्रिवलि- नारीक पेटपरक सिकुड़न
त्रिभंग- नाचक एक मुद्रा
दन्ती- हाथी
दन्द- द्वन्द, भिड़न्त; झगड़ा; चिन्ता
दरस- दर्शन
दलितांजन- एक प्रकारक अंजन
दसन- दाँत
दसबान- दस बेर गलाए शुद्ध कएल सोन
दहन- आगि
दादुर- बेङ
दाम- डोरी
दामिनि- बिजुली
दारिद- दरिद्र
दारुन- भयानक
दिगम्बर- नाङट; शिव
दिठि- दृष्टि, नजरि
दिनमणि- सूर्य
दीगभरम- दिग् भ्रम
दीघ- दीर्घ, पैघ
दुरगह- दुर्धारणा, भ्रान्ति
दुरदिन- अधलाह दिन; वर्षाबाला दिन।
दुलह- दुर्लभ
दैव- जोतखी
दोषाकर- चन्द्रमा; अनेक दोषबाला (व्यक्ति)
द्विजराज- चन्द्रमा
धनि- धन्य; सजनी, नारीक शिष्ट सम्बोधन
छन्द- चिन्ता
धबल- उज्जर
धवलिम- उज्जर
धरनि- धरणी, पृथ्वी
धराधर- पर्वत
धाब- दौड़नाइ
धूसर- भुल रंग
नखपद- नखसँ स्तनपर कएल चिन्ह
नखर- नह
नखरंजनि- नहरनी
नखरेख- नखच्छद
नन्दन- पुत्र
नवल- नूतन
नबेलि- नवीना
नभ- आकाश
नयान- नयन, आँखि
नलिनी- कमल-लता
नागदमन- कालियनागकेँ नथनिहार (कृष्ण)
नागर- रसिक (पुरुष)
नाह- नाथ, पति
निअ- निज, अपन
निअर- निकट
निकर- समूह, बहुत्वसूचक
निकरुन- निष्करुण, निर्दय
निकुंज- लतावृक्षसँ घैरल स्थान
निकेतन- घर
निगमन- निमग्न, डूबल
निचोर- चोली
निछोरि- छीन (लेब)
निज- अपन
नितम्बिनि- पुष्ट नितम्ब वाली सुन्दरी
निदान- दुरवस्था, दुखद स्थिति
निधुवन- रति, सम्भोग
निनाद- ध्वनि
निविड़- घनगर, गहन
निभृत- छिपल
निमिष- छन
निरखब- निहारब
निरुपम- अनुपम, अपूर्व
निसान- ध्वनि
निसित- पिजाओल, तेज
नीति- नित्य
नीप- कदम्ब
नीवी- जारबन्द
नीलिम- नील रंगक
नीर- पानि
नीरद- मेघ
नीलमणि- नीलम
पउरब- हेलिकेँ पार करब
पखान- पाषाण, पाथर
पखावज- एक बाजा
पतनि- चादर
पद- पाएर
पदतल- तरबा
पदुमनि- कमललता; उत्कृष्ट,नायिका
पन- पण, पारिश्रमिक
पवार- प्रवाल, मूँगा
पय- पाएर
पयान- प्रयाण, प्रस्थान
पयोधर- मेघ;स्तन
परजंक- पर्यंक, पलंग
परतेक- प्रत्यक्ष
परबोधब- बौँसब
परमाद- प्रमाद, चूक
परमान- प्रमाण; साक्षी
परस- स्पर्श
परसंग- चर्चा
परिबादसि- आरोपह
परिमल- सौरभ
परिरम्भ- आलिंगन
परिहार- त्याग
पहु- प्रभू, स्वामी
पात- जयपत्र, डिक्री
पादुक- खड़ाओँ
पानि- हाथ
पिक- कोइली
पीछ- मयूरक पाँखि
पीन- पुष्ट
पुनफल- पुण्य़क सुपरिणाम
पुलक- रोमांच
पुलकायित- रोमांचित
पुलकित- रोमांचित
फटिक- स्फटिक, एक प्रकारक पाथर
फनिमनि- ओ मणि जे नागक फेँच मे उत्पन्न कहल जाइछ।
फागु- अबीर
फुलधनु- कामदेव
फुलसर- कामदेव
फूर- सत्य; मन मे आएब
फोइ- खोलिकेँ
बंजुल- एक लता
बकुल- एक फूल, भालसरी
बजर- वज्र
बदरिकोर- बैरक गाछक जड़ि
बदि- बूझिकेँ
बन्धुक- मधुरी
वयन- वचन, बोल
वलय- कगना, माठा, औँठी
बलाकिनी- बकक पाँती
वलित- वेष्टित
वल्लरि- लता
वसन- वस्त्र, परिधान
बहुवल्लभ- बहुत नारीसँ प्रेम कएनिहार
बाए- वायु
बात- हवा
वाद- झगड़ा
बादर- मेघ
बानि- वाणी
वारि- जल
वासित- सुरभित
विकच- विकसित, फुलाएल
विगलित- खसल, नमड़ल
बिछेद- वियोग
बिजन- बीअनि, पंखा
वितान- चनबा
बिथार- विस्तार
बिदग्ध- रसिक
विधु- चन्द्रमा
विधुन्तुद- राहु
विपथ- कुमार्ग
विपाक- कुफल
विपिन- वन
विलुलित- लटकल, डोलैत
विलोकन- नजरि
विशिख- बाण
विषम- विकट, दुखद
विहंग- पक्षी
बिहि- विधाता
बीजन- बीअनि, पंखा
बीजुरि- बिजलोका
बेणि- जूटी
बेल- तट
बेलि- बेर
बेश- सिङार, प्रसाधन
भंग- भंगिमा
भनतँह- कहैत छथि
भव- संसार
भमइ- भ्रमण करैछ
भाबिनि- कामिनी, भद्र महिलाक सम्बोधन
भाल- ललाट
भास- शोभा पाएब
भीतपुतरि- भित्तिमे बनाओल मूर्ति
भुज- बाँहि
भुजंग- साप
भुजमास- पाँज
भूरि- बहुत
भूषित- अलंकृत
भोर- भ्रान्ति; सुधिहीन
मंजुल- सुन्दर
मगन- मग्न, डूबल
मणि- बीचमे छेदबाला रत्न
मणिमन्त्र- जड़ी-बूटी आ झाड़फूक
मत- मत्त, आकुल
मधु- वसन्त
मधुकर- भ्रमर
मधुप- भ्रमर
मधुपुर- मथुरा
मधुरिपु- कृष्ण, मधूसूदन
मधुरिम- मधुर, मनोरम
मनमथ- कामदेव; मनकेँ मथनिहार
मनसिज- कामदेव
मनोभव- कामदेव
मन्थर- मन्द
मन्दिर- घर, निवासगृह
मरकत- एक रत्न
मरजाद- सीमा
मरम- हृदय, अन्तर्मन
मराल- हंस
मलयज- चन्दन
मल्लि- बेली फूल
मसृण- चिक्कन, कोमल
महि- पृथ्वी
महितल- धरती
महिपंक- कादो
मही- धरती
माधवि- एक फूल
मान- नारीक स्वाभिमान
मानि- मान्य
मानिनि- मानवती
मारग- मार्ग, बाट
मालति- एक फूल
मिछहि- फुसिए
मिहिरजा- यमुना
मीन- माछ
मुकुटमणि- श्रेष्ठ
मुकुर- दर्पण
मुकुलित- कोँढिआएल, संकुचित
मुखर- अधिक बजनिहार
मुदिर- मेघ
मुगुधि- मोहित, अल्पमति
मुन्दरी- मुद्रिका, औँठी
मृगयति- जोहब
मृदु- कोमल
मेह- मेघ
मोतिम- मोतिक बनल
मौलि- शिखर, सिर
रंग- केलिविलास
रंगिनि- विलासिनी
रजनीकर- चन्द्रमा
रणित- झमझम ध्वनि
रत- प्रेमासक्त
रति- सम्भोग; कामदेवक स्त्री
रव- शब्द
रबाब- एक बाजा
रभस- हठकेलि
रसना- जीह; मेखला
रसनारोचन- उत्कृष्ट रसक कारणेँ रुचिकर
रसबति- रसिक (रमणी)
रसायन- रसक भंडार; सुखद प्रभावबाला
रसाल- रसयुक्त, रसिक
राइ- राधिका
राग- आसक्ति, प्रेम
रातुल- लाल
राव- ध्वनि
राही- राधिका
रितुपति- वसन्त
रुचि- अनुराग
रुचिर- प्रिय, आनन्ददायक
रेणु- धूरा, गरदा
रेह- रेखा
रोचन- रुचिकर, प्रिय
रोमाबलि- नारीक नाभिलगक रोइआँ
रोष- तामस
ललित- सुन्दर
लाज- लाबा; लज्जा, संकोच
लाबनि- लावण्य
लालस- लालच लोभ
लोचन- आँखि
लोल- चंचल
संकेत- इशारा, इंगित
संघात- ढेर
संघाति- मेल
संवरु- समेटक
सचकित- विस्मित
सजल- नोराएल, भीजल
सति- सत्य
सन्धान- निशाना
सफरी- पोठी माछ
समागम- संगम
समाधि- ध्यान लगाएब
समीर- वायु
सयान- सज्ञान- बुधिआर
सरबस- सर्वस्व
सरम- श्रान्ति
सरसिज- कमल
सरूप- सत्य
सरोरुह- कमल
ससधर- चन्द्रमा
साखि- साक्षी, प्रत्यक्षद्रष्टा
साति- शास्ति, सजाए, कुपरिणाम
साद- शब्द, साध, मनोरथ
साध- मनोरथ, कामन
सामर- शामल, श्यामवर्ण
सारि- मएना
सारी- मएना
शिखंड- मयूरक पाँखि
शिखंडक- मयूरक पाँखि
शिखिचचन्द्रक- मयूरक पाँखि
सिरिस- सिरीष वृक्ष
सिसिर- शिशिर ऋतु
सुधाकर- चन्द्रमा
सुधीर- स्थिर, गम्भीर
सुरतरु- पारिजात वृक्ष
सुरपति- इन्द्र
सीकर- फुहार, जलकण
शेखर- शीर्ष स्थान
सेल- शल्य, आन्तरिक वेदना
सोहन- शोभन, सुरूप
सोहागि- सौभाग्य
स्रवन- कान
श्रमजल- धाम
श्रील- श्रीयुत
श्रुति- कान
हरि- सिंह, कृष्ण
हाम- हम
हिअ- हृदय, उर
हिमकर- चन्द्रमा
हुतास- अग्नि
हेम- सोन
हेमन्त- पाँचम ऋतु, अगहन-पूस

No comments:

Post a Comment

https://store.pothi.com/book/गजेन्द्र-ठाकुर-नित-नवल-सुभाष-चन्द्र-यादव/

 https://store.pothi.com/book/गजेन्द्र-ठाकुर-नित-नवल-सुभाष-चन्द्र-यादव/