भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति
भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति
(c) २०००-२०२२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि। भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.html , http://www.geocities.com/ggajendra आदि लिंकपर आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha 258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/ भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै। इंटरनेटपर मैथिलीक पहिल उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि, जे http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA
(c)२०००-२०२२. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। सह-सम्पादक: डॉ उमेश मंडल। सहायक सम्पादक: राम विलास साहु, नन्द विलास राय, सन्दीप कुमार साफी आ मुन्नाजी (मनोज कुमार कर्ण)। सम्पादक- नाटक-रंगमंच-चलचित्र- बेचन ठाकुर। सम्पादक- सूचना-सम्पर्क-समाद- पूनम मंडल। सम्पादक -स्त्री कोना- इरा मल्लिक।
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स्थायी स्तम्भ जेना मिथिला-रत्न, मिथिलाक खोज, विदेह पेटार आ सूचना-संपर्क-अन्वेषण सभ अंकमे समान अछि, ताहि हेतु ई सभ स्तम्भ सभ अंकमे नइ देल जाइत अछि, ई सभ स्तम्भ देखबा लेल क्लिक करू नीचाँ देल विदेहक 346म आ 347 म अंक, ऐ दुनू अंकमे सम्मिलित रूपेँ ई सभ स्तम्भ देल गेल अछि।
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Thursday, October 1, 2009
उपन्यास draft
डोमासी
ॐ सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात् .
स भूमिं विश्वतो वृत्वा अत्यतिष्ठद् दशाङ्गुलम् ..
(सहस्रशीर्षा पुरुष: सहस्राक्ष:सहस्रपात्। सभूमिग्वंसर्वतस्पृत्वात्यतिष्ठद्दशांगुलम्॥...)
पद्भ्यांशूद्रो अजायत...
पद्भ्यां भूमिर्दिशः...
The Purusha sukta is an integral part of Rg Veda samhita (10.7.90.1-16),though said to be a later addition. It also appears in the Taittiriya Aranyakas(3.12.13)(of Yajur Veda), the Vajasaneyi Samhita (31.1-6), the Samaveda Samhita(6.4) and also, the Atharvana Veda (19.6) Apart from this, an explanation of some parts of this hymn is also found in the Satapatha Brahmana,the Taittiriya Brahmana and the Svetasvatara Upanishad. The Mudgalopaisad gives a commendable summary of the hymn. The contents largely are reflected in the Bhagavata (2.5.35 to 2.6.1-29) and in the Mahabharata(Moksadharma parva 351 and 352).
सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात |
सभूमिं विश्वतो वर्त्वात्यतिष्ठद दशाङगुलम ||
पुरुष एवेदं सर्वं यद भूतं यच्च भव्यम |
उताम्र्तत्वस्येशानो यदन्नेनातिरोहति ||
एतावानस्य महिमातो जयायांश्च पूरुषः |
पादो.अस्यविश्वा भूतानि तरिपादस्याम्र्तं दिवि ||
तरिपादूर्ध्व उदैत पुरुषः पादो.अस्येहाभवत पुनः |
ततो विष्वं वयक्रामत साशनानशने अभि ||
तस्माद विराळ अजायत विराजो अधि पूरुषः |
स जातोत्यरिच्यत पश्चाद भूमिमथो पुरः ||
यत पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतन्वत |
वसन्तोस्यासीदाज्यं गरीष्म इध्मः शरद धविः ||
तं यज्ञं बर्हिषि परौक्षन पुरुषं जातमग्रतः |
तेन देवा अयजन्त साध्या रषयश्च ये ||
तस्माद यज्ञात सर्वहुतः सम्भ्र्तं पर्षदाज्यम |
पशून्तांश्चक्रे वायव्यानारण्यान गराम्याश्च ये ||
तस्माद यज्ञात सर्वहुत रचः सामानि जज्ञिरे |
छन्दांसिजज्ञिरे तस्माद यजुस्तस्मादजायत ||
तस्मादश्वा अजायन्त ये के चोभयादतः |
गावो हजज्ञिरे तस्मात तस्माज्जाता अजावयः ||
यत पुरुषं वयदधुः कतिधा वयकल्पयन |
मुखं किमस्य कौ बाहू का ऊरू पादा उच्येते ||
बराह्मणो.अस्य मुखमासीद बाहू राजन्यः कर्तः |
ऊरूतदस्य यद वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायत ||
चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत |
मुखादिन्द्रश्चाग्निश्च पराणाद वायुरजायत ||
नाभ्या आसीदन्तरिक्षं शीर्ष्णो दयौः समवर्तत |
पद्भ्यां भूमिर्दिशः शरोत्रात तथा लोकानकल्पयन ||
सप्तास्यासन परिधयस्त्रिः सप्त समिधः कर्ताः |
देवायद यज्ञं तन्वाना अबध्नन पुरुषं पशुम ||
यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि परथमान्यासन |
ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याःसन्ति देवाः ||
प्रेम-घृणा, आशा-निराशा ।
मुदा एत्तऽ, ओत्तऽ ई द्वन्द नै ।
खाली घृणा आ निराशा रहै डोमासीमे। दरभंगा नगरक कात करोटमे स्थित। आब तँ बीच शहर भऽ गेल छै। स्टेशनक कातमे। मुदा सड़क आ घर-द्वार तेहने सन। जेना ग्रीकक दासक होइत हेतै। सड़क छैहे कहाँ, नबका प्रबासी सभ मूह बन्द कऽ देने छै, बड्ड झगड़ा बजरलै। तकर बाद आब डोमासीसँ बाहर निकलै लेल एकटा एकपेरिया सन रस्ता दऽ दै गेलैए। हमहूँ तँ छोड़िये ने देलियै, मोन ओकाइत अछि ओत्तऽ जाइमे। लोक सभ कहै छै जे, जे सभ पढ़ि लिखि लैये से ओत्तऽ घुरियो कऽ नै जाइये। हँ बाबू , अपने नीक मोहल्लमे रहै जाऊ आ हमरा सभकेँ डोमा डिगरी उठएबा लेल कहू ! डोमासी छी डोमौ , जेना बीनी , हकरा पथिया आ पेटार छै ! मुदा से आब गेल जमाना ।
इन्जीनिअर साहेबक घर बगले मे रहनि । बड्ड नीक लोक, पूरा परिवारे सज्जन । मुदा हुनका सन आर दोसर कोनो परिवार नहि रहै । सभ नमरी बदमाश सभ । जखन लैटरीन जाम होइ छै तखन जे घोंघियेनाइ देखब ! मुदा काज निकललापर तँ , हाँ-हाँ ओत्तहि रहू ..एना कहै जएत । ओ इन्जीनिअर साहेबकेँ मुदा ओहो सभ बतहा इन्जीनिअर कहै छलै। कमाइ-खटाइ नहि छलै तेँ । कमाइ-खटाइ माने बाइली आमदनी । एक बेर १९८७ क भूकम्पमे हमही तँ इन्जीनिअर साहेबकेँ हॉस्पीटल लऽ गेल रहियै। मुदा सत्ते जिद्दी रहए ओ । अललपट्टीमे एकटा प्राइवेट डॉक्टरक ओहिठाम डोमासीक एकटा छौड़ा काज करै छल। ओत्तहि पहिने लऽ गेलियै । मुदा ओतबो मोन खरापमे प्राइवेट हॉस्पीटलमे भरती हेबासँ ओ मना कऽ देने छल। ओहि समयमे हमरा ओत्ते अकिल नै ने रहए। तामसो उठल रहए। फेर ओहि भदबरियामे लहेरियासराय लऽ गेलहुँ। सरकारी हॉस्पीटल देखि कऽ इन्जीनिअरक मोन निश्चिन्त भऽ गेल रहै। तीन घण्टा इमरजेन्सी वार्डक बाहरमे ठाढ़ भेल हमर मोन लोहछि गेल रहए। मुदा हॉस्पीटल सभमे डोमासीक छौड़ा सभक शान देखलियै। वार्ड बॉय कहै सभ, दपदप उज्जर ड्रेस पहिरि वार्ड सभकेँ बहारैत रहए। बच्चा वार्डमे नर्स सभक शान देखलियै , चमैन कहि कऽ कियो देखए जे हिम्मत होइ ! मुदा नर्समे बेशी बाहरक, केरलक आ लोहरदग्गा दिसका ।
“ई कॉल सेन्टर सभ नै अछि ? गुड़गाँवमे मारते रास एहन ऑफिस सभ छै । चौबीसो घण्टा खुजल रहै छै । ओत्तहि ई ड्राइवर रहए । अपने सभ दिसका अछि । नीक गाड़ी चलबैत अछि”। तखने इनरदेव झा आएल आ एके साँसमे एतेक गप कहि गेल । एकटा ड्राइवरक लेल कहने रहियै, काल्हिये तँ । हमर घरक गैरेज-पार्किंग बड्ड संकुचित । मुदा नोएडामे ड्रॉ मे ई प्लॉट भेटल रहए अथॉरिटीसँ । से मँगनी बड़दक के दाँत गानए । ड्राइवर नीक अछि आकि नै तकर परीक्षा लेबाक लेल ड्राइवरकेँ गेटक बाहर लागल गाड़ी गैरेजमे लगबै लेल कहलिऐ। ड्राइवर बैक गीयर लऽ कऽ एक्के बेरमे गाड़ी गैरेजमे लऽ कऽ चलि गेल ।
“ड्राइवर तँ ट्रेन्ड अछि । एतेक शिकस्त
सिलावक खाजा बड्ड नामी। पटनाक म्यूजियमक सोझाँ जे प्रसिद्ध सिलाव खाजा बला दोकान सभ अछि, से नहि। ई बिहारशरीफ लग जे सिलाव जगह अछि, ततुक्का असली सिलाव खाजा अछि, शुद्ध घीमे बनल। तूर सन हल्लुक, मुँहमे देबैक तँ हवासन हल्लुक लागत। अपूर्व स्वादक आनन्द दैत गलि जाएत। पोस्टिंगक क्रममे जतेक पनिश्मेन्ट पोस्टिंग हमरा भेटल अछि ताहिमे बिहारशरीफक एहि नक्सली एरियाक पोस्टिंग मात्र पहिल नहि अछि। मुंगेरक पोस्टिंगमे जे सीताकुण्ड, योगाश्रम आ किलाक दर्शन कएलहुँ, तकर वर्णन सुनि ऑफिसक लोककेँ लगलन्हि जे ई तँ पोस्टिंग एन्ज्वॉय कऽ रहल छथि। से एतए पटकि देल गेल छी। मुदा आदतिसँ लाचार छी। मनुक्खक आदति। थेथर, जिदियाहबला आदति सभ। माए-बाप मरए, युवा पुत्री विधवा भऽ जाए, किछु भऽ जाए। दू-चारि दिन मुँह लटकेने रहत, निन्न पड़ि उठत तँ अदहा-चिन्ता-फिकिर खतम। फेर किछु दिन मुँहक भावकेँ कृत्रिम प्रयाससँ दुखी राखत, जे लोक दुखी बुझैत रहए। थेथर, जिदियाह होइत अछि मनुक्ख, तकरा गाँधीजीक सत्याग्रह सेहो बुझि सकैत छियैक। ओना कोशकार तीनूकेँ पर्यायवाची किन्नहु नहि मानताह।
मुदा ओदन्तपुरी आ नालन्दा विश्वविद्यालय घुमबासँ पहिने सिलाव अएलहुँ। कारण ओ सभ तँ किताबमे नामी छैक ने सर, खाइ-पीबय बला किछु नञि भेटत नालन्दामे। ओदन्तपुरी तँ बिहारशरीफक एकटा मोहल्लाक नाम अछि। खण्डहर य्तँ मुदा नालन्दाक देखबा योग्य अछि। मुदा किछु नहि भेटत खाय-पिअब योग्य। मुदा एतए सिलावमे- ओह खजबी छी ई , खाजा नहि। हौ एक टोकरी सर लेल बान्हि दहुन्ह। ई जे छौड़ा अछि बाबूसाहेब छी, एकर खिस्सा बादमे कहब ।
-दुलारू अछि ई की? घरक बाबू साहेब अछि।
-नञि सर। एम्हर राजपूतकेँ बाबू साहेब कहैत छै। एकरा सभकेँ बाबू साहेब कहबै तँ खूब खुशी रहत। जे काज नहियो होअयबला सेहो कऽ देत। खिस्सा बादमे कहब।
आगाँ-आगाँ शैलेन्द्र आ पाछाँ-पाछाँ हम। पहाड़पर गिट्टी तोड़बाक मशीन पहाड़केँ काटिकऽ खसा रहल अछि। स्त्री-पुरुष अपन काजमे लागल छथि। अपन कार्यक प्रति गौरवसँ भरल हँसी-खुशी। हमरा जेकाँ मुँह लटकेने नहि। पहिल दिन छी। रातिक निन्नक बाद हमहुँ नॉर्मल भइये ने जाएब।
२
कैक टा गामक समूह। आपसी मतभेद, वोट-पॉलिटिक्स। मुदा सभ सहमेलू सभ। गोटी फेकत। चित्त तँ बी.जे.पी. पट तँ कांग्रेस। आब सौँसे गौँआ ओही पार्टीकेँ वोट देत। हँ उमराव बिगहाक दू टा घर कम्यूनिस्ट पार्टीक अछि। भोरे-भोर ओकरा सभकेँ वोट खसाबय लेल कहि देल जाइत छै, बाबू जकरा देबाज्क अछि दऽ दिअ वोट। के फसाद करत से ओ सभ अपन वोट खसा कऽ चलि जाइत छथि।
“कत्तऽ घर अछि?”
“बिहार”।
“बिहारमे कत्तऽ?”
“घनश्यामपुर थाना, दरभंगा”।
“एहि चाह बला अहिठाम कत्तेक दिनसँ छी?”
“पहिल मास अछि”।
“कत्तेक पाइ दैत अछि?”
“छत्तीस सए टाका”।
“कतए रहैत छी?”।
“मधु विहार, द्वारका लग”।
“कतेक किराया लगैत अछि?”
“आठ सए टाका तीन गोटे मिलि कऽ दैत छियैक”।
“खाइत कतए छी?”
“दिनुका तँ यैह दैत अछि, रातिमे घरे लग एकटा मेस अछि। ओ भरि महिनामे पाँच सए टाका लैत अछि, रतुका खेनाइक- तीनू गोटेक”।
“एतेक सस्ता”।
“काजो कऽ दैत छियैक। जत्तेक मोन तत्तेक खाऊ। पनीरक तरकारी सभ आ सभ चीज”।
“आबए-जाइमे सेहो खर्च होइत होएत?”
“चाह दोकानबला बीस टाका रोज दैत अछि”।
“दरमाहासँ फराक दैत अछि आकि दरमाहासँ काटैत अछि?”
“...मासक आखिरीमे पता चलत जे काटैत अछि आकि नहि”।
“दिल्लीमे दिक्कतो होइए?”
“नहि। पहिने होइत छलए लोक सभकेँ। आब नहि। आब तँ अपना दिसका बड्ड लोक भऽ गेल। आब तँ बस सभमे जे कियो बिहारी कहैत छैक, तकरा सोझे हम सभ पटापट मारनाइ शुरू कऽ दैत छियैक?”
अनिल सभ दिन भोरमे चाह लऽ कऽ अबैत रहए। एक दिन हम ओहिना ई सभ पूछि देलियैक। आब ओ सभ दिन आबए आ कोनो ने कोनो घाना सुनाबए लगैत छल।
ऊँटनीसँ खेत जोतल जाइ छैक हरियाणामे। आरिपर जालक गाछ सेहो रोपल जाइत छैक। एहि जालक गाछमे लू बहलापर पीअर फर सेहो लगैत अछि।
एहने वातवरणमे एक गोट किसान ऊँटनीसँ हर जोइत रहल छल। हर जोतैत-जोतैत ऊँटनी अपन नमगर गरदनि नमराय जालक गाछसँ पात खा लेलक। मुदा संजोग जे पात गोलठिया कऽ ओकर गरदनिमे अँटकि गेलैक।
तखने एक गोटे जे ओहि खेतक आरि देने कतहु जा रहल छल आएल आ पुछलक जे की भेल।
किसान कहलक जे ओकर ऊँटक गरदनिमे किछु अँटकि गेल छैक आ हर जोतब छोड़ि बेचैन अछि।
ओ व्यक्ति पुछलक जे ई हर जोतैत-जोतैत दहिना कात गेल छल की?
-नञि।
-उत्तर।
-नञि।
-दक्षिण।
-नञि।
-वाम।
-हँ।
-फेर ओ जालक पातपर मुँह मारने रहए की?
-हँ।
-कोनो गप नहि।
ई बाजि ओ व्यक्ति ऊँटक गरदनिपर एक हाथ मारलक। नुरिआएल जालक पात ऊँटक गरदनिसँ बाहर आबि गेल आ ओ निचेन भऽ गेल।
किसान पुछलक जे अहाँ ई करएमे कोना सक्षम भेलहुँ।
ओ व्यक्ति कहलक जे हम डॉक्टर छी। तेँ।
किसान कहलक- अच्छा। तखन तँ हमहुँ डॉक्टरी कऽ सकैत छी।
ओ गाम गेल। ओतए एकटा बुढ़िया सूतल रहए। ओकर मोन खराप रहए।
ई चिकरैत घूमि रहल छल जे हम डॉक्टर छी। ककरो जे इलाज करेबाक होअए तँ हमरा लग आऊ आ इलाज कराऊ।
बुढ़ियाक परिवारजन एहि डॉक्टरकेँ बजा कऽ अनलक।
डॉक्टर पूछब शुरू कएलक।
- बुढ़ी दहिना कात गेल छलीह की?
-नञि।
-उत्तर।
-नञि।
-दक्षिण।
-नञि।
-वाम।
-नञि।
- एक बेर हँ कहि कऽ तँ देखू।
ओकर परिवार बला सभ हँ कहि देलक।
फेर जालक पात खेलन्हि की? एहि प्रश्नक उत्तरमे सेहो परिवार बला सभ आश्चर्य व्यक्त कएलक जे मनुक्ख जालक पात किएक खाएत?
मुदा एहि डॉक्टरक कहलापर ओ सभ हँ कहि देलक।
आब डॉक्टर बुढ़ीक गरदनिपर मारलक। ओ तँ लटकले छलीह। से हुनकर प्राण निकलि गेलन्हि।
आब घरमे मात्र तीन गोटे रहथि से बूढ़ीकेँ कन्हा देबाक लेल डॉक्टरोकेँ जाए पड़लैक, लहाश उघि कऽ डॉक्टर बेसुध भऽ गेल। बूढ़ीक अन्तिम क्रिया भेल आ तखन जे डॉक्टर फीस मँगलक तँ ओ सभ ओहि डॉक्टरपर मारि-मारि कए छुटल।
डॉक्टर ओतएसँ भागि दोसर गाम पहुँचल आ फेर इलाज कराऊ, इलाज कराऊ, ई कहि चिकरय लागल।
एक गोटे अएलाह।
-चलू। हमर बाबूजीक मोन खराप छन्हि। इलाज कए दियन्हु।
-इलाज तँ हम कए देबन्हि। मुदा लहासकेँ कान्ह हम नहि देब।
............................................
“ई नालन्दाक राजप्रसाद नहि, नालन्दाक बौध विश्वविद्यालय अछि। कुमारिल भट्ट केँ एतएसँ सातम महलासँ नीचाँ फेकि देल गेल छलन्हि। बौध धर्मक सहिष्णुताक पाठ पछाति जा कए भूमिहार मठाधीश लोकनि बिसरि गेल छलाह, जेना सभ धर्म-संस्थाक संग होइत अछि।
“खाजा तौलल भऽ गेल बाऊ”। पाइ दऽ कऽ हमरा सभ आगाँ बढ़लहुँ।
.........................
बड्ड बदमस्ती करैत छल ई। राजपूतक गाम। मोन बहसल।
..........................................................................
फाइलक गेँट, गरदासँ सनल। ओहिमे सँ एक-एकटा कागत निकालि मुँहपर रुमाल राखि झारि रहल छी। ओहिमे सँ किछु काजक वस्तु निकलैत अछि, किछु बेकाजक। विधवा सोहागोक केस-मुकदमाक फाइल। मान-अपमानक खाता-खेसरा। आरोप-प्रत्यारोपक प्रकरणक क्रम। बूढ़ महिलाक युवावस्थाक खिस्सा, किछु सत्य, किछु मिथ्यारोप। पति आ पुत्रक जीवन। बेनग्न होइत हमर सभक सभ्यताक छाप। किएक चानन घसने रहैत अछि ई बूढ़ी। भगवान पर एतेक भरोस? एहि उमरिमे बेटाक स्मारक बनेबाक जिद्द? हारि आ जीतक तारतम्यक बीच, एखन फेर एकटा पेटीशन? जितबाक कोन अद्भुत लगन लागल छैक ओकरा। हारिते रहल अछि भरि जिनगी, तैयो!
पहिने तँ कुमोनसँ मंडल सरक कहलापर ई काज हाथमे लेने रही। मुदा आब हमरो इच्छा भऽ गेल अछि, इच्छा ओकर पेटीशनकेँ यथाशीघ्र दाखिल करबाक। इच्छा ओकरा जितेबाक। ई फाइलक गरदा, गरदासँ सानल कागत-पत्तर सभ। डस्टसँ एलर्जी अछैत हम एहिमे घोसिया गेल छी। एहि बुढ़ियाक हारिक नमगर फेहरिस्ट, तकर सोझाँ हमर अपन हारि सभक कोनो लेखा नहि। एकरा जितयबाक जिद्दक आगाँ अपन अप्रत्यक्ष विजय लखैत अछि। सोझाँ-सोझी विजय नहि तँ एहि बुढ़ियाक माध्यमसँ सम्भावित विजयक पेटीशन। हारत तँ ई बुढ़िया आ जे ई बुढ़िया जीतत तँ जीतब हम। ई बुढ़िया धरि अछि अगरजित। ऑफिसमे सभसँ झगड़ा केने अछि। कार्यालयक क्यो गोटे एकर पेटीशन आगाँ बढ़ेबाक लेल तैयार नहि। मंडल सर मुदा एकर सभटा नखड़ा बरदास्त करैत छथि। एकर बेटा हुनकर बैचमेट छलन्हि। नीक लोक छथि, सज्जन। कार्यालयक कनीय सदस्य सभसँ हमरा कहियो कोनो प्रतियोगिता नहि होइत अछि। मुदा उच्च पदाधिकारी सभसँ फाइलोपर आ ओहिनो किछु ने किछु होपिते रहैत अछि। बदमाश अधिकारीकेँ तँ हम तकने फिरैत छी। मुदा मंडल सर नीक लोक। सज्जन। आ एहि पेटीशनकेँ देबाक भार ओ हमरेपर छोड़ने छथि। बुझल छन्हि जे दोसर अधिकारी ओहि पेटीशनमे नेङरी मारत आ तखन आन सभ बीचेमे पेटीशन छोड़ि भागि जएत। मुदा हम तँ बदमाशकेँ तकने फिरैत छी। बदमाश अधिकारीकेँ तँ आरो। से पेटीशन दाखिल भऽ सकत हमरे बुते। ई विश्वास छन्हि मंडल सरकेँ।
“अहाँपर सँ हमर विश्वास उठि गेल अछि । एक महिनासँ झुट्ठे घुमा रहल छी। एखन धरि पेटीशन नहि भेल दाखिल कएल”। बुढ़िया आइ लगा कऽ तेसर बेर ई सभ गप सुनेलक अछि आ चलि गेल अछि। पहिल बेर तँ हम मंडल सरकेँ कहबो केलियन्हि जे कोन फेरमे हमरा सभ पड़ल छी। एहि बुढ़िया लेल जान-प्राण लगेने छी। मुदा देखू, दस टा गप सुना कऽ चलि गेल। मुदा मंडल सर कहलन्हि जे नञि यौ। समएक मारल अछि ई । जेहन लोक सभसँ आइ धरि एकरा भेँट छै तेहने ने बुझत ईअ सभकेँ। ई गरदा सानल फाइल सभकेँ मुदा आब घोंटि गेल छी हम, बुझू सोंखि गेल छी। आइ फेर बुढ़िया ई सभ गप कहि बहार भऽ गेल। हम आ मंडल सर एक दोसराकेँ देखि रहल छी। बिनु हँसने। पराजयक छाह दुनू गोटेक मुँहपर अछि।
शुभाषीष।
हम एतय कुशल छी। अहाँ सबहक कुशलक हेतु सतत् भगवानसँ प्रार्थी रहैत छी। आगाँ समाचार ई जे अहाँ सभ हमर खोज खबरि लेनाइ बिल्कुले बिसरि गेल छी। फोनो तँ छोड़ू, चिट्ठीयो सँ गप्प केना महिनो बीति जाइत अछि। कमसँ कम सप्ताहमे नहि तँ महिनोमे एको बेर तँ मायक लेल गप्प करबाक समय निकालू। एतेक मोटका-मोटका किताब अहाँ लिखैत छी किन्तु मायसँ गप्प करबाक फुर्सत नहि अछि। अहाँक किताबक खिस्सा आ कविता सभ दीदी सुनेलक अछि। बहुत मार्मिक लगैत अछि। परन्तु अपन माँक प्रति कोनो जिज्ञासा नहि होइत अछि, जे कतय रहैत अछि आ कोना अछि। भाएसँ अहाँ अपने समय-समयपर गप्प करू जे हम कतऽ कतेक दिन रहब। गाममे आब हमरा नहि रहल होएत कारण एतए कोनो व्यवस्था नहि अछि आ कियो पुरुख नहि रहैत छथिन्ह। अहाँ सभ भाए-बहिनमे छोट छी किन्तु घरमे अहींकेँ घरक व्यवस्था आ इन्तजामक भार शुरुहेसँ अछि। किन्तु एम्हर अहाँ ध्यान नहि दैत छियैक। फोनपर अहाँसँ गप्प करबाक बड्ड मोन होइत रहैत अछि। बच्चा सभसँ सेहो गप करबाक मोन होइत रहैत अछि। बच्चा सभकेँ दू-तीन दिनपर बासँ गप करबा लेल कहबए। जमाएकेँ देखैत रहै छियन्हि हे सभ दू-तीन दिनपर अपन माँसँ गप करैत रहैत छथिन्ह, से हमरो सौख लगैत रहैत अछि जे हमर बेटा सभ केहन अछि जे कहियो माँसँ गप्प करबाक मोन नहि होइत छैक। सभ कहैत अछि जे अहाँकेँ कोन चीजक कमी अछि, से हमरो चीजक कमी तँ नहि अछि मुदा धिया- पुताक हम प्रेमक भूखल छी। पुतोहु अहाँकेँ एखन घरक सभटा काज करए पड़ैत होएत। बड्ड मेहनति होइय होएत, मुदा तैयो हमरोपर ध्यान राखब। हम बड्ड घबराएल रहै छी तेँ जे फुराएल से हम चिट्ठीमे लिखा देलहुँ। अहाँ सभक प्रेमक भूखल- अहींक माँ।
दोसर चिट्ठी गौँआक-
बेटा,
महीस दूध दऽ रहल अछि, मुदा टोलबैय्या सभ जड़ि रहल अछि।
अएँ यै , अहाँक दूध होइये तँ टोलबैय्या सभ किएक जड़त? आ अहाँ से बुझै कोना छियैक? से कहलियन्हि। तँ कहलन्हि जे मोने-मोने जड़ैए, से हम सभटा बुझै छिऐ।
मुदा बेटाकेँ देखू- अएँ यौ- हमरा दूध होइये तँ लोक सभ किएक जड़ैए?
माएपर कतेक विश्वास छै?
भोजमे- हे जतेक खेबाक अछि से एक्के बेर पातपर लऽ लिअ। भात आनै ले जाइ छी तँ डलना सठि जाइए, डलना आनै लेल जाइ छी तँ दालि सठि जाइए!
-हौ बाबू- पातपर जतेक अँटत ततबे ने लेब।
-कोनो बात नहि।
दुर्गा पूजा, शारदानगर ढोढ़ाँइ दस टाका तहे-तहे दिलसँ दै छथि- रुखसाना बनारसक नर्तकी बजै छथि।
धुर, मुजफ्फरपुरसँ लऽ अनै छै आ झुट्ठो बनारसक..।
-हौ मुदा ई शारदानगर कोन गाम छै।
-बुझलही नहि। पट्टी टोलक जे पाइबला सभ रहै से सड़कक ओहिपार टोल बना लेलकै आ लक्ष्मीपुर नाम राखि लेलकै- जे पट्टी टोलक हम सभ नहि छी। लक्ष्मी आ सरस्वतीक झगड़ा बुझल नहि छौह, से भगवानक झगड़ाकेँ सोझाँ अनने अछि। सभटा अछि महिसबार सभ मुदा गामक गरिबहा सभ पट्टी टोलक नाम शारदानगर राखि लेलक अछि। चल नर्तकीकेँ तँ अही बहन्ने पाइ दै जाइ छै।
“भऽ गेल अछि सर। एहि शुक्र धरि पेटीशन दाखिल भऽ जएत”।
“मुदा अहाँक स्थानान्तरण भऽ गेल अछि, शुक्र दिन धरि अहाँकेँ जएबाक अछि”।
“कहलहुँ ने हम। भऽ जएत शुक्र दिन धरि। जएबासँ पहिने दाखिल कइये कऽ जएब। परिणाम तँ बादमे पता लागिये जएत”।
बिनु हँसने, बिनु तमसाएल मुखाकृति लेने बहराइत छी। कऽ दैत छियैक दाखिल एकर पेटीशन। हारत तँ ई हारत। जीतत जे ई तँ जीतब हम।
.....
सोहागो। गढ़ बलिराजपुरक बसिन्दा एकर परिवार। खेती-बाड़ी नीक, तरकारी बेचि नीक जमीन-जत्था बनेने। छह भाँएपर भेल छलीह सोहागो।
पिताक दुलारि। माताक दुलारि। सभ भाएँक दुलारि। मुदा मात्र दस बरख। फेर विवाह भऽ गेलन्हि। पतिसँ प्रेम छलन्हि वा नहि छलन्हि – ई गप गरदा लागल कोर्ट फाइलमे नहि लिखल अछि।
हुनकर नैहरक चर्च मात्र एक पैराग्राफमे खतम अछि। मात्र ई विवरण अछि जे पतिक मृत्यु भऽ गेलन्हि जखन हिनकर उमरि अठारह बरखक छलन्हि।
मुदा एकटा बेटा भगवानक कुपासँ मृत्युक पूर्व पति हुनका दऽ गेल छलखिन्ह। अठारह बरखक उमरि। एकटा बच्चा।
मुदा गरदाबला फाइलमे नहिये सासुरक कोनो लोकक आ नहिये नैहरक कोनो भाए-बन्धुक कोनो गबाही वा किछुओ भेटल। ताहिसँ ई लागल जे भाए सभ अपन-अपन परिवारमे व्यस्त भऽ गेल जाइ होएताह। तखन सोहागोक ई बयान जे ओ नैहरक दुलारि छलीह! माए-बापक आ छह भाँएक। माए-बाप तँ चलू बूढ़ भऽ
मरि गेल होएताह मुदा भाए सभ?
कष्ट काटि अफेलकेँ पढ़ेलन्हि-लिखेलन्हि सोहागो। बीस बरखक बेटा भेलन्हि तँ ओहो मृत्युकेँ प्राप्त कएलक। नीक सरकारी नोकरी भेटले छलैक। घटक सभ घुरियाइये रहल छलैक। आठ बरखक वैवाहिक जीवनक बाद बीस बर्खक वैधव्य। आब पुतोहु अबितैक आ नैत-नातिन संगे ओ खेलाइतय। मुदा तखने ई वज्रपात। मुदा हमर तँ तहिया जन्मो नहि भेल छल। नञि , सत्ते। बुझू जाहि बरख एहि बुढ़ियाक बेटाक मृत्यु भेल छलै, ताहि बरख हमर जन्म भेल रहए। आ तकरो बाइस बरख बीति गेल। बूढ़ी आब हमरा समक्ष अछि। ओकर बेटाक बैचमेट हमर मंडल सर। आ हम ओही पदपर छी जाहि पदपर ओकर बेटा आइसँ बाइस बर्ख पहिने नोकरी शुरूह कएने रहए। छह मास मात्र नोकरी कएने रहए आकि...। शुक्र दिन धरि समय बाँचल अछि हमरा लग। की करू? ई बुढ़िया हहायल-फुफुआएल अबैत अछि। सरकारी कॉलोनीक गेटपर अपन बेटाक मूर्ति लगेबाक आग्रह लोक सभसँ करैए, कएक बरखसँ। मुदा एकर झनकाहि बला स्वभावसँ, व्यवहारसँ लोक एकरापर तमसा उठैत अछि। एकरा अर्द्ध-बताह घोषित कऽ देल गेल अछि। मुदा एहि बेर तँ एकर काज किछु दोसरे तरहक छैक। अही सप्ताह किछु करए पड़त। देखै छी।
.......
“अफेलकेँ मरबाक रहितए तँ अहाँक रिवाल्वरसँ अपन माथपर किऐ मारितए। ओकरा लग तँ अपन सर्विस रिवाल्वर रहए”।
“श्रीमान्। हमर बेटाक हत्या कएने अछि जटाशंकर। हमर जीवन नर्क बना देलक। बीस सालक हमर तपस्या समाप्त कऽ देलक। एकरा सजा देल जाए”।
“मुदा जज साहेब। जटाशंकर आ अफेलक अलाबे ओहि घरमे क्यो नहि छल। हमर कानून कहैए जे दस दोषी बहरा जाए मुदा एकटा निर्दोषकेँ सजा नहि भेटए। के गबाही देत जखन तेसर क्यो रहबे नहि करए”?
“मुदा जज साहेब अपने कहि रहल छथि जे अफेल दोसराक रिवाल्वरसँ अपनापर गोली किएक चलायत। आ अपनापर गोली चलेबाक अर्थ भेल आत्महत्या। हमर बेटा हमरा असगर छोड़ि आत्महत्या कऽ लेत? किएक करत ओ आत्महत्या”?
“जटाशंकरकेँ हिरासतमे लेल जाए...अगिला सुनवाई....”।
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“अहाँक चेलाक तँ ट्रांसफर भऽ गेल मंडल सर! सभ एक्के रंगक छी। हमर बेटाक मूर्ति कॉलोनीक गेटपर लागि जाइत तँ कोन अनर्थ भऽ जइतैक। मुदा सभ अपन-अपन घर परिवारमे लागल अछि! जे गेल से गेल। अनका की कहू, हमर भाइये सभकेँ देखू। कहै लेल तँ छह टा....”। हनहन-पटपट करैत ओ बहार भऽ गेलि। मंडल सर ओकरा-“सुनू। हिनकर ट्रांसफर भेल छन्हि मुदा एखन शुक्र दिन धरि रहताह”- ई सभ कहिये रहल छलाह मुदा ओ भङ्गतराहि नहि सुनलक। किएक सुनत?
“की भेल? जाए दियौक। शुक्र दिन पेटीशन फाइल भऽ जएतैक तँ ओकर गोस्सा अपने ठंढ़ा भऽ जएतैक।
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ओकर पिता वैश्या लग जाइ छलैक, माएकेँ कष्ट दैत छलैक। गोली मारि देलक आ अनुकम्पापर अही विभागमे अछि। ओ लड़की, विवाहक राति पति फाँसी लगा लेलक, कोनो दोसर लड़कीसँ फँसल छल- एकरा अनुकम्पापर नोकरी भेटलैक..लोक सभ कतेक उड़न्ती उड़बैत छल..भऽ गेलै विवाह..बहिनक दिअरसँ..सभ उड़न्ती खतम..
पितियैन संगे अवैध सम्बन्ध..आँखिक देखल अछि यौ...ई छौड़ासँ घृणा भऽ गेल..आ ओ मौगीकेँ ने देखू..केहन अछि..
सभ केस खतम भऽ गेलै...मासक अंतिम दिन देखबै-पेंशन दिन- बड़का उजरा दाढ़ी बढ़ेने देखबै-बैंकोमे जा सकै छै पाइ-मुदा अरबधिकऽ एहि बुढ़ियाकेँ जड़बै लेल ऑफिस आबिकऽ पेंशन लऽ जाइए।
आर्म्स ट्रेनिंग..लामा पिस्टल आ वेबले-स्कॉट रिवाल्वर। तकर बाद कहियो खाली रिवाल्वरो बिना जमीन दिस नली रखने नहि उठेने रही..बिना ट्रेनिंग बला सभ तँ कहियो तरहत्थीमे मारि लै जाइए तँ कहियो नली साफ करए काल अपना वा अनका दिस नली राखि गलतीसँ चला दै जाइए।
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“कहू जटाशंकर। हमरा तँ अफेलक आत्महत्याक कोनो कारण नहि बुझना जाइत अछि। ई सत्य जे ओहि मृत्युक गबाह नहि अछि। मुदा ओहि कोठलीमे मात्र दू गोटे रहथि। अफेल आ जटाशंकर। आ जटास्धंकरक रिवाल्वरक गोली अफेलक माथमे गेलैक”।
“मुदा जज साहेब। हमरा किछु सूचना भेटल अछि जाहिसँ हमर दिमाग घूमि गेल अछि। ओना हम ई सूचना सार्वजनिक करबाक पक्षमे नहि छलहुँ कारण एहिसँ एकटा भूचाल आओत। मुदा जखन हमर क्लाइन्टपर फाँसीक सजाक खतरा घुरमि रहल अछि हमरा लग एकरा सार्वजनिक करबाक अतिरिक्त आर कोनो उपाय नहि अछि”।
“ई कारी कोट पहिरि फेर कोनो बहन्ना अनने अछि। हम गरीब लोक छी सरकार। हमरा कोर्टक तारीखपर आबएमे ढेर खरचा उठबए पड़ैत अछि। एकरा सजा देनेसँ हमर बेटा घुरि कऽ तँ नहि आओत मुदा ई फेर एहन काज नहि करए से टा हम चाहए छी”।
“मुदा सोहागो देवीजी। ई केस कतेक माससँ चलि रहल अछि मुदा नहिये अहाँक परिवारक आ नहिये अहाँक सासुरक क्यो गोटे अएल।
........ अहाँकेँ विश्वास नहि अछि- हे देखू अखबारमे लिखल अछि.. आइ एतए...
ओ समए छल जखन हम अखबारमे निकलल गपकें सत्य आ मात्र सत्य बुझैत रही। हम की सभ बुझैत रहथि। कोनो मतभिन्नता भेलापर हमर भाए अखबारक पन्ना उनटए लगैत छल आ आंगुर राखि पढ़ए लगैत छल..देखू एतए लिखल अछि...
दू तीन बेर तँ ठीक मुदा एक दिन ओ समाचार हमहूँ पढ़ने रही से हम कहलियन्हि जे देखाऊ- आ ओ जतए आंगुर रखने रहथि ओतए हम देखए चाहलहुँ तँ ओ हरबड़ा गेलाह। मुदा आब अखबारक जतेक पसार आ वृद्धि भेल हौक मुदा ओकर विश्वसनीयतामे ततबा न्यूनता आएल छैक। पहिने समाजसँ कटल रहबाक कारणसँ हमर बाहरक दुनियाँसँ सम्पर्क अखबारक माध्यमटा सँ सीमित छल। सेहो एकर कारण भए सकैत अछि।
.......................
-मालिक किछु पाइक काज रहए, अछि संगमे।
-अबै छियौ, पुतोहु आबि गेलौ।
-बड्ड मोन खराब छै, अखन अएब तँ चाहोसँ स्वागत केनिहार क्यो नहि अछि।
-रौ, हम चाहे पीबए लेल अबै छी। मोन खराब छै तँ जिगेसा करए ले नहि आबए देमे?
-किछु पाइ ले कहने रही।
-साँझमे अबै छियौ, ओतहि गप हएत।
गामक छोट-छीन ठिकेदारी केनिहार। ओ बूढ़ अपन इज्जतकेँ दाँवपर लगएबा लेल तैयार। साँझकेँ ई पाइबला सभ गरीबक झोपड़िमे किएक जाइत अछि। मोन खराप छैक पुतोहुक तँ ओकर जिगेसा रातिमे किएक आ जखन पाइक काज छैक बूढ़ाकेँ तखन?
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रातिक राजा छल दुसाध, दिनमे ने मालिक मालिक। चोरक रूप थोड़े होइ छै आब, आब तँ चोरियो सभ करै लागल अछि। पहिने ओकर प्रशिक्षण होइत रहए, खेतक आरिपर। सिंह कोना काटल जाय से आरिकेँ काटि कए देखाओल जाइत रहए। भोर भेने जे लोक सभ खेत जाइत छल तँ देखैत छल। भरि गाम हल्ला..। रौ, सतर्क रहै जाइ जो। कोनो पैघ चोरिक ताकि मे अछि ई सभ। मुदा फेर वैह सभ दिनमे सामान्य मनुक्ख।..... दू दिनसँ फुटहा खा कऽ गुजर कऽ रहल छी। आइ चोरि लेल जाए पड़त। बच्चा सभक लेल। देहमे तेल लगा कऽ, मुँहमे भसम लगा कऽ। क्यो पकड़ए चाहत तँ छछलि कऽ भागि जएब। हे क्यो चोरकेँ रातिमे चीन्हि लेलहुँ तँ बरनी रहए देबैक। नाम नहि बकि देबैक। नहि तँ मारि देत...कारण दिनमे तँ अहाँ मालिक भऽ जएबैक। से डर छैक रातुक राजा एहि दुसाधकेँ।
...............
रिजवान, दरजीक दोकानमे काज करैत रहए,कहियो आबए कहियो नहि। तरकारी किनबा लेल हाटपर जाइत रही। रस्तेमे ओकर दोकान। नहि टोकियैक जे ओकर मालिक गपमे बरदेलासँ काजमे भाङठ भेला उत्तर ओकरापर बिगड़ि नहि जाए।मुदा ओ देखिते दौगि कऽ अबैत छल। भरि पोख गप करैत छल। चाह पीबाक आग्रह कएने छल। आश्चर्य लागल रहए। कारण घरमे तँ नव्मा-दसमाक विद्यार्थीकेँ बच्चा बुझल जाइत अछि।चाहक आग्रह ओहि वयसक विद्यार्थीकेँ के करतैक? मुदा ओ तँ चौक चौराहाक लोक भऽ गेल छल। उमरिसँ पहिनहिये पैघ भऽ गेल छल। से दोकानमे चाह बैसि कऽ पीने रही। तकितो रही जे क्यो चिन्हार लोक ने देखा जाए।
एकटा बंगाली छौड़ा रहए। बंगालीक बाप रिटायर भऽ गेल रहै, अठमेमे तँ रही- आब तँ देरीसँ बियाह भेने अपनो सभमे ई होएत। तहिया आश्चर्य लागल रहए। आश्चर्यसँ बेशी ओकरापर दया लागल रहए!
जाति तँ गामेमे ने अछि।
शहरमे तँ कमार आ हजामक पुश्तौनी ईलम ओकरा लेल रोजगार गढ़ैत छै, से मौज छै। हमरा सभकेँ कोनो ईलम नहि रहने भनसिया आ सेक्युरिटी गार्ड, आ स्कूलक मालीक रोजगार भेटैए।
आ गाममे संग-संग तारी-दारू पीलापर कुटीचालि होइये।–हौ देखहक मुँह कोना कोचिया-कोचिया कऽ बजैए। मुदा एत्तऽ तँ नहि पीने लोक कहैए- जीबि कऽ की करब, तखन कमाइ किएक छी?
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-नव कागतपर लिखल अछि। पुरान तिथि आवेदनपर देने की होएत। अफसर लोक, बुझि जएत जे आइये आवेदन देने अछि।
-कोना बुझि जएत। ओ सोझाँमे कागज मचोड़ि-सचोड़ि दैत अछि।
-हे की कऽ रहल छी। ओ मोचड़ल कागजकेँ सोझ करैत अछि।
-लिअ पुरान भऽ गेल।
-सत्ते।
...................
बान्हक कातक ओ मन्दिर
बान्हक कातमे।
अनमना दीदी।
गामक मोटामोटी सभ अँगनामे एकटा विधवाक घर रहैत अछि। घर नहि झोपड़ी कहू। मुदा जखने परिवार पैघ होइत अछि तँ क्यो अपन घर मुँह घुमा लैत अछि तँ क्यो बेढ़ बना दैत अछि।कखनो ओहि राँड़-मसोमातक घरक स्थान परिवर्तन भऽ जाइत अछि।
अनमना दीदीक घर बान्हक कात छन्हि। सोझाँक मजकोठिया टोलक छथि, मुदा घुसकि कऽ हमर घर लग आबि गेल छथि। सभ लोक सभ समङगर। आस-पड़ोसक धी-बेटी दिनमे, दुपहरियामे जाइत छथि। ढील-लीख बिछबाक लेल। ककर ओ लगक छथि से मरलाक बाद पता चलितए। श्राद्धक समय..जे लगक अछि से आगि देत आ तकरा घरारी भेटितैक। मुदा सेहो सम्भावना आब नहि। झंझारपुरमे सासुर छलन्हि अनमना दीदीक। ओतए अपन बहिनिक बेटाकेँ अपन बेटा बना राखि लेने छथि। मुदा नैहरक मोह नहि छूटल छन्हि।
खोपड़ीमे अबैत छथि। मासमे एक बेर तँ अवश्ये। अपनेसँ खेनाइ-पिनाइ, भानस-भात। मुदा झंझारपुरमे बेस पैघ घर, आँगन। बेटा-पुतोहुकेँ कहियो मुदा एतए नहि आनलन्हि।
सौँसे गाम विधवाकेँ दीदी कहैत अछि जे ओ नैहरमे रहैत छथि। आ फलना गाम बाली काकी जे ओ सासुरमे रहैत छथि।
से सौँसे गाम हुनका अनमना दीदी कहैत छलन्हि।
खोपड़ीक कातमे मुदा एकटा भगवानक मन्दिर बनेने छथि। महावीर बजरंगबलीक। शुरुहेसँ ई कोठाक रहै से नहि, मुदा बना देलन्हि ओकरा कोठाक। अन्न-पानि बेचि कऽ। पहिने तँ खोपड़िये रहै। जहिया अनमना दीदी झंझारपुर जाइत रहथि, अपन खोपड़ीक फड़की भिरका कऽ जाइत रहथि। बादमे ताला आ सिक्कड़िसँ बन्न सेहो करए लागल रहथि। मुदा बजरंगबलीक मन्दिर ओहिना खुजल रहैत छल। लोक सभक लेल..चौपहर। धी-बेटी गामक, साफ-सफाई, झाड़ू-बहारू करैत रहथि। पक्काक मुदा बादमे भेल। छात ढलाइ आर बादमे।पिटुआ रहए पहिने। जमीनक प्लास्टर करबए चाहैत रहथि, मुदा एस्टीमेट बेशी भऽ गेलन्हि। भगवानक घर चुबैत रहत? मुदा ढलाई आ प्लास्टर लेल पाइ कतएसँ आओत?
आइ हमरा लगैए जे हम सभ खूब मेहनति करैत छी। ककरोसँ सरोकार नहि अछि। ओह समैए नहि भेटैत अछि। मुदा अनमाना दीदीक दिनचर्या, भोरसँ साँझ भगवान लेल समर्पित। मुदा पोसपुत्र लेल सेहो समए निकालैत छथि। बीच-बीचमे झंझारपुर बजार लग स्थित अपन गाम जाइत छथि। ओतुक्को ब्योँत लगबैत छथि। फेर गाम अबैत छथि..नैहर।
देखू..गीता पढ़ि स्थितप्रज्ञ बनबाक अहाँक प्रयास।
मुदा अनमना दीदी।
गोर लगै छी दीदी। निकेना रहू। नहिये खुशी, नहिये कोनो दुखे। ने कोनो आवभगतक लालसा आ ने कोनो तरहक सहयोग प्राप्तिक आकांक्षा।
जोन ताकै लेल जाइत छथि धनुकटोली, दुसधटोली। ओतुक्का लोक इज्जतियो दै छन्हि, कोन हुनकर घरारी लेबाक छैक एकरा सभकेँ। ओतए हँसितो देखै छियन्हि। अपन टोलक लोकसँ हट्ठे कोनो काज लेल कहितो नहि छथि।एकटा काज करत आ कनियाँकेँ जा कऽ कहत। आ फेर दस साल धरि ओ सुनबैत रहत।
-दीदी, हनुमान जीक काज छै, सड़कक कातमे छथि। हमहूँ सभ तँ जाइत-अबैत माथ झुका कऽ पुजबे करबन्हि। से बिनु बोनि लेने हम ई काज करब।
- नै यौ तीर्थ-बर्त आ भगवानक काज मँगनीमे नहि करबाक-करेबाक चाही। हम कोनो रानी-महरानी छी जे बेगारी खटा कऽ मन्दिर बनबाएब आ पोखरि खुनाएब।
मुदा ढलैय्या आ प्लास्टर!
सड़कक कातक भगवानक एहि मन्दिरक सटल एक बीघा खेत, सभटा अनमना दीदीक। ढलैय्या भऽ गेलाक बाद भगवानक नामसँ लिखि देतीह। जे अन्न-पानि होएतैक ओहिसँ भगवानक घरक चून-पोचारा आ सफाई होइत रहत।
कतेक दिनसँ पड़ोसी पछोड़ धेने छन्हि।
-दीदी। तोहर सभसँ लगक भातिज हमहीं छियौ। ई जमीन हमर घरसँ सटल अछि। पहिलुका लोक बान्ह-सड़कक कातमे छोट जाति आ मसोमातकेँ घर बना दैत रहै। मुदा आब जमाना बदलि गेल छै।आब तँ सड़कक कातक घर आ जमीनक मोल बढ़ि गेल छै।तूँ आइ ने काल्हि मरि जएमे। तखन ई जमीन हमरा सभ पटीदार लेल झगड़ाक कारण बनत।
तूँ आइ ने काल्हि मरि जएमे- कहि कऽ देखियौक कोनो सधवाकेँ। मुदा मसोमातसँ कहि सकै छियै- भने ओकर पोसपुत्र- पुतोहु- नैत-नातिन होइ। ठीक छै बाबू।
-भगवानक लेल निहुछल अछि ई जमीन। अहीसँ तँ हमर गुजर चलैए। जे किछु पेट काटि कऽ बचबैत छी से कोशिल्या- भगवानक घरक ढलैया आ प्लास्टर लेल। झंझारपुरक जमीन-जालक पाइ सभ बेटा पुतोहुक छन्हि। से हम कोना..
-फेर दीदी। तूँ गप बुझबे नहि कएलेँ। जा जिबै छेँ राख ने। कर ने गुजर। हम तँ कहै छियौ जे तोरा मरलाक बाद जे पटीदार सभ आपसमे लड़त से तोरा नीक लगतौ। आ हम तोहर सभसँ आप्त भातिज।
देखियौ, कहै छै जे।
भातिज बाहरमे नोकरी करै छथि। जे गाममे रहैए से तँ भेँट करएमे संकोच करैए जे किछु देबए नहि पड़ए। ई मुदा जहिया गाममे अबैए आ हम गाममे रहै छी तँ भेँट करबाक लेल अबिते अछि। आ एहि बेर तँ हम झंझारपुरमे रही तँ ओतहु आएल रहए। सैह तँ कहलियै जे ई कोनाकेँ फुरेलै। से आब बुझलियै।
मुदा ई ढलैय्या कोना कऽ होएत। प्लास्टर तँ बादोमे करबा देबै। ततेक चुबैए, एहि साल तँ आरो बेशी चुबए लागल अछि। पिटुआ छत, दुइयो साल नहि चलल। ओकरा ओदारि कऽ ढ़लैय्या करत करीम मियाँ आ लछमी मिस्त्री, तखने ठीक होएत। देखै छी।
भातिजक आबाजाही बढ़ि गेल अछि आइ-काल्हि।
- ठीक छै दीदी, अदहे जमीन दऽ दिअ। दस कट्ठामे अहाँक भातिजक बसोबासक संग भगवानक लेल सेहो जमीन बचि जएत।
-मुदा बान्हपर अहाँक घरारीक लागि तँ नहिए होएत। तखन की फएदा होएत अहाँकेँ।
-छोड़ू ने। एखनो तँ टोल दऽ कऽ अबिते ने छी। चौक-चौबटिया आ बान्हक कातमे घर बनेबाक तँ आब ने चलन भेल अछि। आ आब चौबटिया आ बान्हक कातमे तँ भगवानेक घर ने शोभतन्हि। दस कट्ठाक दस हजार जहिया कहब हम दऽ देब। रजिस्ट्री बादेमे बरु होएत।
-ठीक छै। तखन हम सोचि कऽ कहब। एक बेर बेटा पुतोहुसँ पूछि लैत छी।
कोन उपाय। भगवानक घरक देबाल सभमे कजरी लागि गेल अछि। देबाल छोड़ू, बजरंगबलीक मूर्तिमे सेहो कजरी लागि गेल अछि। अनमना दीदी सोचिते रहि गेलथि। आ सोचिते-सोचिते भोर भऽ गेल।
दऽ दै छियै जमीन। आर उपाय की। नञि।
बेटा-पुतोहु कहलखिन्ह जे माए। ओतुक्का जमीन तँ भगवानक छन्हि। आ हम सभ से शुरुहे सँ बुझै छी। मुदा देखब। ओ कोनो चालि तँ नहि चलि रहल अछि।
-कोन चालि। पाइ तँ किछु बेशीए दऽ रहल अछि।
भगवानक मन्दिरक लेल, दस कट्ठा कम थोड़बेक होइ छै। पाइ जुटबैत-जुटबैत मरि गेलहुँ तँ ई अधखरु मन्दिर ओहिने रहि जएत। गप करै छी लछमी मिस्त्री आ करीम मिआँ सँ।
दस हजारमे ढलैय्या, प्लास्टरक संग चहरदिवारी सेहो बनि जएत। एस्टीमेट बनि गेल। रजिस्ट्रीक अगिले दिनसँ काज आरम्भ। आ भादवक पहिने समापन।
चलू रजिस्ट्री भऽ गेल। दासजी कागज-पत्तरमे बड्ड माहिर लोक। पुछबाक काज छै! - धुर। पकिया कागज बनल हएत।
भगवानक लेल कागज बनेबाक पहिल अवसर भेटल अछि दीदी- दासजीक गपसँ अनमना दीदी दासोदास भऽ गेलीह।
लोक कहै छै झुट्ठे जे लोकक श्रद्धा भगवानपर सँ कम भेल जाइ छै। ई दासजी। कहियो ने भेँट आ ने जान पहिचान। दू टा रजिस्ट्रीक कागत- एकटा दसकठिया भातिजक नाम आ दोसर भगवानक नामक मुदा एक्के फीसमे बना रहल छथि। साफे कहि देलखिन्ह- दीदी भगवानक जमीनक रजिस्ट्रीक मुदा पाइ हम एकदम्मे नहि लेब।
जे बेर-बखतपर काज आबए सैह ने अप्पन लोक। ठीके बूढ़-पुरान कहि गेल छथि। यैह सभ देखि कऽ ने कहने छथि।
अनमना दीदी बाइमे छथि। पएरे गाम अएलीह।सोहमे किछु नहि फुराइत छन्हि। मन्दिरकेँ अजबारू, काल्हिसँ काजक आरम्भ अछि। लछमी मिस्त्री अपन तेगारी, डोरी, करणी सभ राखि गेल अछि। डब्बुक सभ पानि भरबाक लेल अनमना दीदी जोगा कऽ राखनहिये छथि। पोखरि बगलेमे अछि। लीढ़सँ भरल, मुदा कातमे महीस सभकेँ पानि पिएबाक लेल लोक सभ कनेक साफ कइए देने अछि।
मुदा भोरेमे घोल-फुचुक्का। करीम मिआँकेँ काज करबासँ रोकि देल गेल।के रोकलक? भातिजकेँ खबरि दियौक। मुदा ओ तँ काल्हि झंझारपुरसँ सोझे नोकरीपर चलि गेलाह। रजिस्ट्रीक कागत ओना तँ अनमाना दीदी लग सेहो छन्हि। भातिजक सार रोकने अछि काज। चहारदिबारी नहि बनबए देत। मुदा काल्हि रजिस्ट्री काल तँ रहए ईहो। तखन? कहैत अछि जे बान्हक कातबला जमीन मेहमानक छियै, ऐँ यौ। तखन तँ ई मन्दिरो ओकरे हिस्सामे भऽ गेलै। कोनो बुझबामे गलती तँ नहि कऽ रहल अछि। भातिज मासक शुरुहेमे जा कऽ तँ अओताह, दरमाहा लैए कऽ ने।
मास भरि अनमाना दीदी गाम आ झंझारपुर करैत रहलीह। बेटा पुतोहु कहन्हि जे ई भातिजेक चालि तँ नहि अछि। नञि, से नहि कहू। दासजी तँ नीक लोक रहए। देखू।
-दीदी। अहाँकेँ कोनो धोखा भऽ रहल अछि।
-तखन तँ ई मन्दिरो अहींक भेल ने।
-नञि दीदी। ई मन्दिर तँ भगवानक छियन्हि। हुनके रहतन्हि। आ पाछूक जमीनक मालिक सेहो भगवाने।
-आ तखन तँ हमर ई खोपड़ी सेहो अहींक भेल ने।
-नञि दीदी। अहाँ जहिया धरि जीब तहिया धरि रहू। के मना करत?
-बौआ बड्ड उपकार अहाँक। आ पाछू दिसका जमीनक लागि तँ नञि बान्ह दिससँ अछि आ नहिये टोल दिससँ।
-दीदी। अहाँ हमरा जमीन बाटे जाऊ ने के मना करत? आ आरिपर बाटे खेतमे सभ जाइते अछि। जकर खेत बान्हक कातमे नहि छै से की अपन खेतपर नहि जा सकैए। अहाँ तँ नबका लोकक भिन्न-भिनाउज बला गप कऽ रहल छी।
-मुदा ई सभ अहाँ पहिने कहाँ कहने रही।
-दीदी, अहाँकेँ सभटा कहने रही। मुदा लगैत अछि जे अहाँकेँ धोखा भऽ रहल अछि।नहि विश्वास होइए तँ दासजीकेँ बजा दैत छी। ओ तँ तेहल्ला अछि।
-अच्छा तँ ओहो मिलल अछि।
-दू रजिस्ट्रीक कागत बना कऽ बेचारा एक रजिस्ट्रीक पाइ लेलक आ अहाँ कहि रहल छी जे मिलल अछि। भातिजक स्वर तीव्र भऽ गेलन्हि। हाँफए लगलाह आ जोर-जोरसँ बजैत बिदा भऽ गेलाह।
अनमाना दीदीक लेल नैहरक ई भोर सासुरक ओहि भोर जेकाँ रहन्हि जाहि दिन ओ विधवा भेल रहथि। आइ गामक धी-बेटी ढ़ील-लीख बिछबा लेल नहि अएलीह। अनमाना दीदीक राति भरिक वार्तालाप- बजरंग बलीक संग। एखने एहि भोरमे खतम भेल अछि। लोक सभ अँगनामे बच्चाकेँ ठोकि कऽ सुता रहल रहए। भोरमे किछु गोटे आबि पंचैती करेबाक सुझाव दए गेलन्हि। मुदा अनमाना दीदीक रोष तँ बजरंगबलीसँ छलन्हि।
-भगवानक जमीन अदहा बेचि कऽ भगवानक घर बनबितहुँ, मुदा मन्दिरक सटल जमीन रजिस्ट्री करा लेलक आ जे जमीन बचल ओहिसँ मन्दिरक लागिये नहि रहल। लागि तँ छोड़ू ओहि पर जएबाक रस्ते बन्न कऽ देलक। आ ई बजरंगबली। महावीर। कोन शक्ति छैक एकरामे? चालीस साल पेट काटि कऽ हिनका खोपड़ीसँ पक्काक घरमे अनलहुँ। ढलैय्या भऽ जइतए, चहरदिवारी बनि जइतए सैह टा मनोरथ रहए, आ सेहो हिनके लेल। हा...
एहि भोरमे भातिजक द्वारिपर ठाढ़ अनमाना दीदी। लोक सभक मोने जे आब आर बाझत झगड़ा। मुदा ई की भऽ रहल छथि। लछमियाँक भाए रिक्शा अनलक अछि। अनमाना दीदी भातिजक संग झंझारपुर जा रहल छथि। के कहलक? हुनकासँ तँ ककरो गपो नहि भेल रहै। हम कहनहियो रहियन्हि पंचैती कराऊ, मुदा मने जेकाँ कऽ देने रहथि। अच्छा लछमीक भाए कहलक। हँ, रिक्शा बजबै लेल जे गेल रहए से कहने हएत जे झंझारपुर जेबाक अछि।
दासजी केँ एकटा आर रजिस्ट्रीक कागत बनबए पड़लन्हि। अनमाना दीदीकेँ देखि ओ सर्द भऽ गेल रहथि जे जानि नहि बूढ़ी की सभ सुनओथिन्ह। मुदा अनमाना दीदी ततेक ने तामसमे छलीह जे किछु नहि बजलीह। तामस पीबि गेलीह। ओहो पाछू बला जमीन भातिजकेँ रजिस्ट्री कऽ देलन्हि। आ झंझारपुर स्टेशनसँ घुरि कऽ झंझारपुर बजार दिस बेटा पुतोहु लग पएरे बिदा भेलीह।
लछमीक भाए घुरि अएल। दू सवारीकेँ लऽ गेल रहए मुदा मात्र एक सवारी लऽ कऽ घुरि अएल। संगमे संदेश लेने गेल। लछमी मिस्त्री आ करीम मिआँ लेल संदेश। काल्हि भोरेसँ काज आरम्भ। फेरसँ?
चहरदेबाली बनल। भगवानक मन्दिर आ अनमाना दीदीक घरकेँ बारि कऽ। कहि देने छियन्हि दीदी केँ। हुनका जिबैत क्यो छूतन्हि नहि हुनकर घर।
घर आकि खोपड़ी, एक साल कनेक टूटल। दोसर भदबरियामे खुट्टा सरि कऽ खसि पड़ल। मुदा अनमाना दीदी नहि अएलीह। समाद देने रहन्हि नैहरक एक गोटे। ढलैया नहिये भेलन्हि बजरंगबलीक।
अनमाना दीदी यैह कहथि- की करबन्हि। कोनो शक्तिये नहि छन्हि बजरंगबलीमे। खसए दियौक खोपड़ी। सोंगर लागल घर कतेक दिन काज देत।
कैक बरख बीतल। कैक बरख नहि पाँचमे साल तँ। भातिज गामपर आएल रहथि। दरमाहा उठा कऽ। पोखरि दिससँ चप्पाकलपर। लोटा लेने बैसलाह आकि छातीमे दर्द उठलन्हि। नहि बचि सकलाह। लोक सभ कहए, देखू अनमाना दीदीक श्राप। बड्ड कानल रहथि ओहो दिन। ओहिसँ पहिने बजरंगबलीक मूर्तिमे ठीके शक्ति नहि रहए। मुदा हृदयसँ देल श्राप लागै छै। ओही दिन जागृत भऽ गेल रहथि बजरंगबली। आ आइ शक्ति देखा देलखिन्ह।
मुदा समदियाकेँ अनमाना दीदी कहलखिन्ह जे पाथरोमे जान होइ छै। हर्ट अटैक भेल होएतैक। परसू एतहि एकटा मारवाड़ीकेँ अटैक भेल रहै। चिन्ता-फिकिरसँ होइत छैक एकर अटैक। एतए डाकडर सभ रहै, मारवाड़ी बाँचि गेल। गाममे देरी भेने जान नहि बचै छै। तेँ ने हमहूँ एहि बुढ़ारीमे बेटे पुतोहु लग रहि रहल छी।
लोको सभ मानलक ई गप्प। ठीके। अनमाना दीदी जे बाँचल दस कट्ठाक रजिस्ट्री कऽ देलखिन्ह सैह ने पैसा देलकै चिन्ता-फिकिर भातिजक छातीमे। नहि सम्हारि सकल अनमाना दीदीक ई आक्रमण ओ। ठीके पाथरमे कोनो शक्ति थोड़बेक होइ छै।
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केस..पैरवी..जी साब..मुदा..
लगैए जे ई सभ पहिनेसँ निर्धारित छल। मुँहगर वकीलक सोझाँ जजक बकार बन्न होइत देखैत रही। बादमे पता लागल जे वकीलेक माध्यमसँ जज सभकेँ रुपैआ भेटैत छैक।
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नया डेराक पता ठीक अछि वा नहि..पोस्टकार्ड लिखि पठेलहुँ.. पहुँचि गेल। कारण चिट्ठी-पत्री बड्ड अबैत छलन्हि।
हुनकर गप। कोनो नब डेरामे जाथि, से जेबे करथि, मास-दू मासपर डेरा बदलबाक सख छलन्हि, तँ नबका पता लोककेँ लिखेबासँ पहिने एकटा पोस्टकार्ड कीनथि।ओहिपर नबका घरक पता लिखथि आ झुट्ठे कोनो संदेश लिखि देथि जे डाकिया ने बुझि जाए जे अपने लिखि कऽ अपन पतापर पठेने छथि। बेशीकाल पत्र आबि जाइन्हि आ जे नहियो आबन्हि तँ डाकखानामे जा कए ततेक ने तगेदा करथि जे ओकरा सभकेँ बुझबामे आबि जाइत रहए जे फलनाक मकानमे नब भाड़ेदार आएल अछि।
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ऊँट कहैए बरखा भऽ रहल अछि..कनेक टेंटमे पैसए दिअ। आ जखन ओकरा सभ पैसए देलकै आ बरखा खतम भेलाक बाद बाहर हेबा लेल कहलकै तँ ओ कहलक जे हम ठाढ़ हएब तँ ई टेंट फाटि जएत से अहीं सभ बहरा जाऊ।
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मुँह बिचकेलहुँ तँ लोक सभ बुझलक जे प्रसन्न छी, भौंहपर जोर देने बुझलक जे चिन्तनशील छी। मुदा हृदय रहैए सदिखन कनैत।
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अल्मुनियम फैक्टरीक ओ बुढ़बा..भरि दिन भरिगर हथौड़ासँ अल्मुनियमकेँ पटकैत। भरि दिन..। फेर मोन खराप भेलै..खाटपर खोखीं करैत। आब फेर ओ घुरि कऽ नोकरीपर आओत। मोन ठीक भेलापर अएत, मुदा गरीबक मोन ठीक कहिया हेतै, मरि गेल बुढ़बा।
पटनासँ दरभंगा बाबूजीक ट्रांसफर भेल छलन्हि। डेरा तँ ठीके-ठाक छल मुदा ओकर एक पक्खामे अलमुनियम फैक्टरी रहए आ दोसर पक्खामे पसीखाना। धरि पसीखानासँ निकलैत लोकक आध्यात्मिक गप सभ सुनबामे खूब रुचिगर लगैत रहए..समएकेँ हाथसँ नहि निकलए दियौक। समएकेँ गुलाम बना कए राखू नहि तँ समए अहाँकेँ गुलाम बना लेत।....पहिने बेटा बापकेँ गोर लगैत छल आ आब बाप बेटाकेँ गोर लगैत अछि...मुदा एहि सभसँ हटि कऽ दोसर कात ओहि अल्मुनियम फैक्ट्रीमे पैघ हथौड़ासँ पटकि-पटकि कऽ अलमुनियम नमराबैत लोक सभ। जेना पासीखानामे सालोभरि बिना नागाक भीड़ तहिना मात्र होलीक छुट्टी छोड़ि आर सभ दिन एहि अल्मुनियम फैक्ट्रीमे ठक-ठाकक अबाज, चाहे दुर्गापूजा होअए आकि दीयाबाती। ओतहि ओ बूढ़ा अनवरत अपन हाथसँ
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कमरटोलीक माइनजनक नखरा..सभ थरथर कँपैत- हे यौ बेसी तंग नहि करियौ बिहारीकेँ..ब्राह्मणक गाम छी।
-एना नहि बाजू, नहि तँ हमर सभक बियाहो-दान ई नहि होमए देत।
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डोम सभ अपना सभकेँ गामक-गाम बेचि दै ये।..हिस्सामे पड़ै छै, बेटा नहि छै तँ जमाएकेँ दऽ दैअ।इलाका मे
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उपनयनक पहिने कमारक घरमे खेनाइ खाइ छी। चर्मकार सभक भगवती गीत- पंचदेवोपासना नहि- सभ भिन्न।
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मलहटोलीक मखान..पोखरिक कातक कुश्ती..कारी-कारी काँच मखानक खपलोइय्या अस्थायी अखड़हाक चारू कात।
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हजामक डायरी..ककर कतेक कमाइल बचल अछि। बम्मै धऽ लेलक तँ की? जहिया अओत तँ दस सालक एक्के ठाम देमए पड़तैक।..गेल छलहुँ बहादुरगंज। भाए सभ रहैए हमर- बेमात्रे। हरकम्प मचि गेलैक। सक्कदम। भेलै जे हम हिस्सा लेमए आएल छियैक। हमहुँ एक दू दिन सोच मे पड़ल रहए देलियैक। फेर कहि देलियैक जे चिन्ता नहि करै जाऊ- हम ओहिना घुमए आएल छी। कैक सालसँ नहि
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चमरटोलीक पिपही..बाह उपनयनक..बँसकट्टी लेल जाइत बरुआ सभ..संगमे पिपही आ ढोल।
मुदा फेर झंझारपुरक बैंड बाजा आयल। आब पिपही कंजूस लोक बाजा आ बंड बाजा पाइ बलाक बाजा बनि गेल।
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चारि गामपर एकटा साँढ़-पारा..
बैसकी भेल आ तखन आएल ई साँढ़ आ ई..पारा तँ मारि देलक। ककरो धान खा लेलकै। फेर बैसकी भेल। ओइ पारक पारा एम्हर नहि अबैए सेहो नहि। आ तखन अबोध जन्तुक संग ई व्यवहार। किछु गोटे थोम्ह-ताम्हक पक्षमे रहथि। मुदा बेशी गोटे खूनक बदला खूनक लेल कृत संकल्प।
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महादेव झाँ पाँजि छी हमरा सभ, मधुबनीसँ एतए अररिया आबि हमर पुरखा बड्ड गलती केलन्हि..कैक गेनेरेशन एतए पाछाँ छै लोक सभ..महादेव झा पाँजि..
-अच्छा, महादेव झा बिकौआ रे..
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भिखमंगा सभक गाम छै उजियारपुर लग। तिनमहला कोठा सभ छै। किछु काज नहि करै जाइए। मुदा डिल्लीमे अपन दिसुका कियो भीख नहि माँगैए। फैक्टरीमे मजदूरी करत से नीक, मुदा...ओही चौक पर स्थानीय लोक सभ भीख मँगैए मुदा अपना आरक लोक सभ बैलून बेचत, खिलौना बेचत, मुदा भीख नहि माँगत।
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नबी बकस कनियाँ केँ गड़ाँससँ काटि जेल जाइए। फँसल रहै कहाँदन। यैह अहीं टोलबैय्याक किरदानी छी। मुदा ओकरा कोर्टसँ बेल दियाबैमे बड्ड भागा-भागी कएने रहए ओ। से किएक?
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कन्या-शिशु हत्याक केश करबए पड़तह- दू बच्चाक मृत्यु..लिंग परीक्षण।
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भिखना-पहाड़ीक मकान मालिक, पाइबला, भरि दिन कनियाँ-बच्चाकेँ गारि दैत। कोटाक दोकान..
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लेप्रोसी कालोनी, रिफ्यूजी कालोनी- सिन्धी रिफ्यूजी कालोनी सभसँ पाइबला, पंजाबी रिफ्यूजी कालोनी ओहिसँ कम आ बंगाली रिफ्यूजी कालोनी सभसँ गरीब।
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विधवा भेलाक दू बरख बाद बच्चा..पहलमान स्वाइत ओहि बच्चाक पक्ष लैत रहैए- ओकरे बच्चा छै। पहलमान-रसिक..डंड-बैसकी, ककरोसँ झगड़ा भेलै ओकर पएरमे झठहा मारलक, आइ धरि ओ नेंगड़ाइत अछि..नेंगड़ा पहलमानक बच्चा सभकेँ सोझ नजरिये नहि देखै-ए..पहलमानक अन्तिम काल बड्ड खराप..ब्लड प्रेसर सँ बान्हपर खसैत..लोक कहैए प्रेत पटकि दै छै।
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ईँटा गानयमे लगा देलक..बालूक बदला कारण ओहिमे लम्बाइ नापी लै छल कम-बेशी केने आमदनी होइ छलै-ईंटा गेटल रहैए से तकर गुंजाइश नहि।
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पुलिस स्टेशनमे गेल तँ पुलिस सटका निकाललक..रुकू सरकार कुर्ता उतारए दिअ। चाम तँ फेरसँ आबि जएत मुदा ई कुर्ता फाटत तँ कतएसँ अएत।
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कोरैल..गाम छोड़ि नहि जएब..फुदो..मुम्बैमे तरकारी आम्ची मुम्बै, आबिके छिट्टा पटकि दैए..हरि भाइ शिवशंकर मिष्टान्न भंडार..शिवसेना दुआरे।
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तीन महिनामे छह हजार कमेलक..रस्तामे पुलिसबा पाँच सए टाका लेलकय।
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नन्द नगरी..होली दिन बलात्कार. मौगिया बड्ड बनि-ठनि कऽ रहितो छल। पुलिसक आबाजाही.. मुदा हिम्मत देखू..मौगी ओही मोहल्लामे रहि केस लड़ि रहल अछि..पुलिसबा सभ जहिया पाइक खगता होइ छै बलात्कारी सभसँ पाइ लऽ जाइए..।
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विधवा आ जाति-प्रथा सभक पछुआर नहि अँगनामे ठाढ़।
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फिरेशानीमे हदसैत हृदय करैए दोस-महीमक खोज।
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पहिने सिगरेट लोक शानसँ पिबैत छल मुदा आब खराप नजरि सँ एकरा देखल जाइ छै।
-सभ सिनेमासँ होइ छै, पहिने सिगरेटक धुँआ हीरो सभ उड़बैत छल। मुदा आब छौड़ा सभ जिम्नाजियम जा कए देह बनबैत अछि।
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मुतालिफक पैघ-पैघ आँखि...जेल जाइत कोर्टक हाजतमे, दौगि कऽ जा रहल छल..ओतए सिपाहीकेँ खेनाइक पैकेट देलियैक, बादमे पता चलल जे ई आवश्यक छल, अरेस्टक रातिक भोजन अरेस्टिंग ऑफिसर दै छै, जेलर अगिला दिनसँ भोजन देतैक।..मुदा तखन ओहिना देने रहियैक। पुलिस खेनाइक पैकेट मुतालिफकेँ! देलकै..चौकल ओ..एहि नगरमे क्यो ओकर नहि..भाषा सेहो नहि ओ बुझए ने ओकर क्यो आन। पलटि केँ हमरा दिस तकलक जेना पुछि रहल हुअए जे अहाँ देने छी ई..हम कहलियै हाथसँ इशारामे..राखि लिअ..दुनू हाथ जोड़ि कऽ प्रणाम कएलक..मुख्य अपराधी हबीबुल्लाह..दोसर पेशीमे ओकर वकील आएल रहए..भीतरे-भीतर खुशी भेल, दू महिनामे छुटि जएत..जेलमे सड़त नहि।
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ओ अपन दिअर संगे फँसल रहए।वरक लहासकेँ बोरामे कसि कऽ ट्रेनसँ गाम आनि लेलक।
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बेटीकेँ कहियौक सायनाइड लैबोरेटरीसँ आनि कऽ दऽ देत।
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चोरुक्का विवाह.. टालपर पुआरक बीचमे घोसियाएल मास्टर सैहेब..पहिने मास्टर सैहेब मने बड्ड दीब अर्थ..बादमे कहलक सभ..धुर नोकरी नहि भेल होएतैक तेँ ने मास्टरी केलक!
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रवि डेली वेजर..किएक एतेक जाति-पाति! कियो गरीबक लेल नहि, लेबर मिनिस्टर..एकटा कम्युनिस्ट लेबर मिनिस्टर पी.पी.एफ.रेट बढ़ेलक..आर के..
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वेश्यावृत्ति..लीगल..ड्रग लीगल..आर कीकी..मुदा मुँ मोड़ने विधवाक खेरहा आ की की?
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बलि प्रदान के करत..नीक तँ बलि काटएबला किएक नहि भेटैत अछि? किएक हल्ला जे ओकर बच्चा नहि भेलए कारण कतेक गोट बकरीक बच्चा छागरक बलि देलक? आब कुम्हरक बलि दए वैष्णव दुर्गाक मूर्तिक संख्या किएक बेशी अछि?
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नन आ पुरहित सभ गरीब, केशमे तेल नहि लगेलक तँ गरीबक बच्चाकेँ जट्टा भऽ जाइ छै आ से नन आ पुरहित बनैए-भगवानक सेवा करैए..पुष्करमे पूजाक लेल पंडा जुटल..अहाँ भरि दिन तँ पूजा करिते रहै छी तखन भाग्य किएक अछि एहन जे दोसराकेँ पछोड़ धेने जे पूजा करा लिअ जिनगी बीति रहल अछि..एह हम तँ भगवानक सेवा कऽ रहल छी..गरीब संथाल..गिरजाघरमे देल परसादी आदि..
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जादू...सोखता कागज, मैजिक पेपर..अथर्ववेदसँ प्रारम्भ..विज्ञान...
...बलाद दियाएल गबैया बाँझे..बरद बियाएल गाय बाँझे
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घड़ी पाबनि..कैटवाक विद मिथिलाक जोग..फेंच-पागक खेंच..
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सरहपाद-“सिद्धिरत्थु मइ पढ़मे पढ़िअउ
मण्ड पिबन्तोँ बिसरउ एमइउ”। मिथिलामे अक्षरारम्भ सिद्धिरस्तु जकर पूर्वमे आँजी लिखल जाइत अछि। मिथिलामे ई धारणा जे माँड़ पिलासँ स्मरण शक्ति क्षीण होइत अछि।……..
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६९९९/- मे एक टाका जोड़ि कऽ सात हजार टाका बैंकमे जमा कऽ दै छियै। लोक बुझै अछि जे मास्टर अछि, कतएसँ पाइ हेतैक। रौ , बाज ने, बेटी बियाह लेल जे बाजमे से देबौ..
...
खीरकेँ आइ हिस्सक छोड़ा देबै..मीठो बड़ छँह, मुदा तप्पते बड्ड छँह, हट्ठापरसँ अएले रही..
........
अबैत जाइत ताली, क्रिकेटक खेल, आउट भेल तैयो, छक्का मारलक तैयो, रन नहि बनलै तैयो।
...........
बेंगक पैघ दुनिया..एतेक टा-एतेक टा.छाती फाटि जाइत छैक..खुशीसँ
.....
आगू पानीपत पाछाँ बाबर..बाबर आ पानीपतमे लड़ाई भेल..
........
विजयक बाद दम्भी –कारण तत्तेक ने तत्ता सिहर देखबैत छैक जे परिणाम भेलाक बाद सभ किछु रिलेक्स भऽ बिसरि जाइत छैक।
.......
हौ सभटा सरकारे किएक करत..सभ अपना घरक आगाँ मे माटि दऽ रोड ऊँच करत तँ अपने ने भरि गामक सड़क बनि जएत..आ सत्ते सुरजू भाइक बौआचौड़ी सँ आगाँ मोरबला खेत दूरे सँ ऊँचगर बुझि पड़ैये-माथपर छिट्टा लऽ भोरमे सभ दिन दू घण्टा गोबर उघि ओकरा ऊँच केने छथि।
...
१९६७ ई.क भूकम्प..बिसाँढ़ खाइत मुसहर सभ..प्रधानमंत्रीकेँ देखाओल गेल छल
..
सरदारजी कहलक-सभसँ सुन्दर बच्चाकेँ दऽ दियौक..ओ अपन बच्चाकेँ दऽ देलक..ओकरा स्कूलमे सभसँ बेशी सुन्दर अपने बच्चा लगलैक।
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वरक मोन खराप भेलैक..हबड़-दबड़मे डॉक्टरक फोन मोन पाड़ने जा रहल छलीह..रस्तामे बहिनदाइसँ गपमे फोनक नम्बर गड़बड़ा गेलन्हि आ मालक डॉक्टरक फोन लागि गेल..बोखारक दबाइ पुछने बीस टैबलेट एक बाल्टी पानिमे दऽ पियाबै लेल कहलन्हि।
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एतेक दुपहरियाक च्गरमीमे आएल छी-प्रोफेसर बाल्कोनीसँ कहलन्हि।
-अहाँकेँ ऊपरमे एतेक गरमी लगैत अछि तँ नीचाँमे हमरा सभकेँ कतेक गरमी लगैत होएत। एहि गपक खूब चरचा भेल। सभ हमर पीठ ठोकलक। आब सोचैत छी जे ओहि समय क्यो दू थापड़ मारने रहितए तँ आइ ई हाल नहि होइतए।
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हम नहि कहै छी जे ओ घोड़ा नहि बनि सकैत अछि..मुदा एखन अछि ओ गधा..
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हमहूँ लोक लेल जान लगा दैत छियैक से लोको जान लगा दैत अछि..मुदा सभकेँ देखबै कहैत..हम की की ने केलियैक मुदा हमरा लेल क्यो किछु नहि कएलक।
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माता-पिता आ गुरुक अतिरिक्त ककरो पएर छूबैमे असोकर्य होइए।
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नीक ड्राइवरक टेस्ट, हमर शिकस्त गैरेजमे पार्क करत तखन, से ओ केलक, मुदा नीक चलबैत नहि छल। पुछलापर कहलक जे कनाट प्लेसक पार्किंगमे काज करैत छल।
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जाहि दिन भोरमे उठैत छी लगैए जे सभ सुतल लोक, घर आन सदस्य की लोक अछि?
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मुँहमे दऽ घोंटि जाऊ, मुदा अहाँ तँ गपोकेँ बोकरि दै छी।
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फिल्मक पहिल शो, बुढ़बाक पएर जुत्तासँ थकुचा गेलैक तँ कहलक सॉरी। बुढ़बा कहैए- सभटा आँगुर थकुचि देलथि आ कहै छथि सॉरी।
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बॉसकेँ इलाहाबादमे बाँस कहैत छल। से बाँस छथि कहने ओकर तात्पर्य रहए उपेन्दर बॉस, मुदा हमरा सभ मुँह ताकी जे किंसाइत बैडमिन्टन खेलाइ लेल बाँस चाही छै।
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अनऑथोराइज्ड पार्किंगमे देखल कार नहि अछि। सोझाँ पुलिसक चौकीमे पुछलियैक तँ कहलक जे चोर लऽ होए तँ पता नहि, हँ पुलिस लऽ गेल होअए तँ थानामे जा कऽ देखू।
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शेर आओत तँ की करब..गाछपर चढ़ब.ओ ओतहु चढ़त तँ की करब..हौ तोँ शेरक पक्षमे छह आकि हमर..ओकर पक्षमे रहबह तँ हम किछुओ करब तँ नहि बाँचब।
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भगवान, अल्ला आ ईशाक तीन टा दरबार तँ मरलाक बाद नहिये होएत से सभ बुझैए , तैयो..
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के धार्मिक नहि..विपत्ति पड़लापर देखू..के मार्क्सिस्ट नहि..भूक लगलापर..आजीविका विहीन भेलापर देखू..
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नहि सरकारी हॉस्पीटल चलू..दोसरमे देखाबए लेल पाइ नहि अछि..भीड़ छैक मुदा नम्बर अएत से निश्चिन्त रहू..
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ठीक छैक कन्वर्ट कऽ रहल अछि मुदा सेवा क्रिश्चियन सभ तँ कैये रहल अछि..
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एहि गरीबीमे तँ क्रान्तिक आश अछि..कनेक स्थिति नीक कए ओहि आशाकेँ धूमिल कएल जाइत अछि..
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हम सभ अपन अपन डैडीक बहिनकेँ दीदी कहै छैयै, अहाँ जे हमर मम्मी –अहाँक बहीन-केँ कहै छियै से नहि।
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रघुवीर आ मन्टाक कथा.....
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हे ई दिल्ली नहि छी जे दहिना मुड़बाक लेल राइट इन्डीकेटर जरा देलियैक। शीसा खसाऊ आ हाथ दियौक..नोएडा आबि गेल, देखै नहि छियैक लोक सभ मोटर साइकिलक हैंडिलपर दिल्लीसँ पार भेने हेलमेट ताँगि देने अछि।
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लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल जतेक दिन संगीत देलन्हि ततेक दिन ई युगल जोड़ी जीबो करत आकि नहि से नहि जानी। सफलताक लेल उमरिक जरूरति सेहो छैक..
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खरहा आ काछुक नव खिस्सा जाहिमे काछु घमंडी छल आ अहमद टोपीबलाक नातिक कथा..
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जानवरक डॉक्टर लग किएक गेलहुँ?
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दू थापड़ मारि देबैक मुदा अपशब्द ओकरा जेकाँ नहि कहल होएत..
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हमरा अहाँकेँ बुझल अछि, मुदा यैह डॉक्टरकेँ लिखि कऽ दएमे की हर्ज छैक?
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जेना अगस्त्य पानि सोखलन्हि तहिना ई ज्ञान सोखने छथि...
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मानैत छथि डैडी बेशी मुदा रहब मम्मीक लगमे।
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सर-सर कहैत जीह मुड़ि गेल
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पाँच सालमे पंजाबी बाजए लागब आ कनियाँ करवा चौथ करए लगतीह..
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सलाम बॉम्बे फिल्म- कोन क्लासमे टिकट चाही- हमरा मोने बड्ड भीड़ हेतै, से कहलहुँ- कोनो क्लासमे दऽ दिअ, थर्ड क्लासक ओ खिड़की रहए-टिकट भेटि गेल सैह बहुत। पूरा हॉल खाली- बादमे पता लागल जे सभकेँ बुझल रहै जे कला फिल्ममे हॉल खाली रहै छै- मुदा हमरा नहि- व्समाजसँ ई दूरी..
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वोटिंग भेल..ई गाम कांग्रेसक आ ओ बी.जे.पी.क- गोटी उठा कऽ निर्णय भेल- नेता सभक पाछाँ अपना सभमे दुश्मनी किएक करी..
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गणेश झा मरि गेल- रिक्शाक मेट सारक संगे..जमीलक सार की कएने रहै..
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आँखिमे रतोन्ही भेल छौह, देखाइ नहि छौ सोझाँमे छै..
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एक आदमीकेँ नीक ठाम जएबाक होएतैक तँ पहिने अहाँ जएब फेर हम..मुदा कथनी उल्टा..
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एक लाइनमे बतब्ए जे वैह अहाँक दुश्मन अछि जे अहाँक सभसँ बेशी लग अछि..
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बाजि कऽ देखा दे तँ पाँच टाका देबौ..
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तुलसीक गाछ गमलामे..माटिमे बेशी नीक जेकाँ जन्मैत छैक...
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दलित आ महिलाक अमूल्य योगदान.
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अनकर दुखक समाचारसँ ओतेक उद्वेलित कतए होइ छी.. काज चलिते रहै अछि..
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साइबर क्राइमक खिस्सा..
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स्निफर डॉग-माँस फाड़ि निकाललक- भूखल..सरकारी.ओकर खेनाइ खा जाइए लोक सभ
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सरल पानि छै, देहमे कुटकुटा कए लगतैक। …….
चिन्है छलियै, ओकर पति मरि गेलै, नालासँ दू दिनुका बाद मृत शरीर भेटलै। नालाक कातमे कार पड़ल छलै। सोकर कनियाँ हमर दोस्त अछि, बड सोझगर। अपन दरमाहा सेहो वरे केँ दऽ दै छलै, सभ हिसाब-बाड़ी वरे करै छलै। आब कोना की करतै से नहि कहि।
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बीफ फैक्टरी अछि।
-..गाए काटै छी?
-काटए पड़ैए, ..मोन तँ नहि लगैए मुदा की करू? पेट लेल करए पड़ैए..
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ई फिनलैंडमे रहैए। माए मरि गेल छलै, पन्द्रह दिन पहिने , ओहीमे आयल रहए। बापक बरखी सेहो रहै। पचीस सालसँ फिनलैंडमे रहैए, पंजाबी आ फिनिश दुइए भाषा अबै छै, अंग्रेजी हिन्दी नै अबै छै।..बेटा सभकेँ मात्र फिनिश अबै छै.. ई अछि गोल्फ कोर्सक कैडी..गोल्फ कार्ट लऽ अठारहो होल घुमि जाइए..आशा तँ अछिए..देखियौ अशोक कुमारकेँ ..अपन समस्तीपुरक..कैडी रहए..तेरह बर्खक अवस्थामे एयर फोर्स गोल्फ क्लबसँ चोरिक मिथ्यारोप लगा कऽ बाहर कऽ देल गेल। मुदा दस बर्खक भीतर। ओ अही दिल्लीमे रहि एतहिसँ भारतक नम्बर वन गोल्फर बनि गेल..
ककरो तोरि-मरोड़ि देबैक, कलाकेँ, कालकेँ, घटनाकेँ..निराशाकेँ आशामे बदलबाक लेल किछु कल्पना आ चमत्कार मुदा से किएक। जीवनमे बहुत रास घटना एहनो होइत अछि जे चमत्कारसँ कम अछि की ?
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हनुमानजीक धुजा फहरा रहल अछि। साँझक काल। महिसबार सभक आगम भऽ गेल अछि। घूरक धुँआ माल बिठौरीकेँ मालक देहसँ अलग करबाक प्रयासमे अछि। एक गोटेक संग दोसर गोटे अएल छथि, सप्पत खएबाक लेल। हनुमानजीक मन्दिर गौँ सभ प्लास्टर करबा देने छथि। ढलैय्या सेहो भऽ गेल अछि। मन्दिरक बरण्डा छूबि कऽ ऋण पचेनहारक संख्या नगण्य, तैयो एकटा अपवाद तँ अछिये- ओ कहै छथि- सप्पत तँ तोड़बा लेल खएल जाइ छै। हँ भाइ, एक बेर सप्पत खेने जे ऋणसँ विमुक्ति भेटि जाए तँ हर्जे कोन। मुदा एकेटा अपवाद। अनमाना दीदीकेँ आब सभ अनमाना बाबा सेहो कहैत छन्हि। कैक बरख भेल मुइना हुनकर। घुरि कऽ नहिये अएलीह।
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चारू कात गाछ-बृच्छ, पोखरि। गाममे एक..दू..तीन आ एकटा आर, चारि टा पोखरि।
ओना तँ तीन टा आर पोखरि अछि। एकटा उत्तरबरिया पोखरिक उत्तरभर बड़का डकही पोखरि। लोक बजै छथि जे कोनो डकैत एक्के रातिमे खुनने रहए ई पोखरि। मुदा तकर प्रमाण पुछने यैह पता लागत जे आन तँ कोनो प्रमाण नहि मुदा खुनैत-खुनैत भोर भऽ गेल रहए आ ताहि कारणसँ ओ डकैत पोखरिमे जाठि नहि गारि सकल रहए। हड़बड़ीमे ओहि डकैतक, डकैत की राक्षस कहू, एक पएरक पनही सेहो छुटि गेलै पोखरिक कातमे। बड्ड दिन धरि पोखरिक कातेमे रहए मुदा फेर बाढ़िमे ओहो बहि गेल। से जे एकटा प्रमाण रहए सेहो नहि बचल। गामसँ दूर अछि से छठिक पाबनिसँ कोनो सम्बन्ध आइ धरि एहि पोखरिक नहि स्थापित भऽ सकल अछि। हँ उपनयन बिध-बाधमे धरि एकर उपयोग होइतहि अछि। किसिम-किसिमक माँछ रहै छै एहि पोखरिमे। माँछक कोनो कमी नहि। कहियो डकही पोखरिमे जीरा देबाक खगताक अनुभव नहि कएल गेल। सालमे एक बेर मछहरि-पन्द्रह दिनसँ मास दिन धरि मलाह एहिमे महाजाल खसबैत छथि। मलाहक टोल जुमि अबैए। पोखरिक कातमे मास दिन लेल मलाहक गाम बसि जाइत अछि। पहिने तँ मास भरिसँ ऊपर ई सालाना मछहरि चलैत रहए मुदा आब घीच तीर कऽ बीस दिन। फेर मलाहक सरदार घोषणा करैत छथि- जे आब माँछ शेष भऽ गेल। आब जे मारब तँ महाजालमे तँ एको टा बड़का माँछ नहि आओत। भौरी जालसँ मारब तँ सभटा छोटका माँछ मरि जएत आ अगिला साल तखन जीरा देमए पड़त। ओहि पन्द्रह-बीस दिनमे गाममे उत्सवक वातावरण रहैत अछि। अही बहन्ने पोखरिक साफ-सफाई सेहो भऽ जाइत अछि। भोरे चारि बजे सँ दुपहरिया धरि माँछ मारल जाइत अछि आ फेर बेरू पहर धरि सभ टोलक लोककेँ-दछिनबाइ टोलकेँ छोड़ि कऽ- अपन-अपन टोलक हिस्सा दऽ देल जाइत छै। सभ अपन-अपन हिस्सा लऽ गामपर अबैत छथि। ओतए टोलक सभ परिवार अपन-अपन हिस्सा बाँटि लैत छथि। टोलक माँछक कतेक कूड़ी लागत, एहि विषयपर कहियो काल विवाद सेहो भऽ जाइत अछि। जिबैत भने मसोमात काकीसँ टोका-बज्जी नहि होइन्हि। मरबा काल बेटीकेँ हिस्सामे सँ किछु देबाक मसोमातक इच्छाकेँ कंठ मचोड़ि देने होथि। आ बेचारी मसोमातक मुइल शरीरक औँठा स्टाम्प पेपरपर लगबेने होथि। हुनकर स्मरण आन काल भने नहि अबैत होइन्हि मुदा डकही पोखरिक हिस्सा लेबा काल सभकेँ अपन-अपन मसोमात काकी मोन पड़िये जाइत छन्हि। एहिपर विरोध व्यक्त सेहो होइत अछि आ पहलमान जिनका सभ प्रेमसँ खलिफ्फा सेहो कहैत छन्हि, केँ छोड़ि किनको एहि प्रकारक हिस्सा नहि भेटैत छन्हि- भने खलिफ्फाक अँगनाक ओ मसोमात बीस बर्ख पहिनहिये मरि गेल होथि। डकही पोखरिक एकटा आर विशेषता अछि। एहिमे माँछ, काछु सभ स्वयम बढ़ैत अछि। पोखरिक कातमे मलकोका सभ अनेरुआ, मारते रास लीढ़ केचुलीलीक प्रकार। कातमे भेंट-कन्द महिसबार बच्चा सभक भोजन। पोखरिक सटल गड़खै सभ, थलथल करैत दलदली भूमि सेहो। ओहिमे बिसाँढ़ कोरि-कोरि कऽ मुसहर सभ खाइत छथि। १९६७ ई.क अकालमे जखन सभटा पोखरि, गड़खै सुखा गेल ई डकही पोखरि मुदा नहि सुखाएल। प्रधानमंत्री आएल रहथि तँ हुनका देखेने रहन्हि सभ जे कोना एतएसँ बिसाँढ़ कोड़ि कऽ मुसहर सभ खाइत छथि।
दछिनबरिया पोखरिक दक्षिणमे अछि बुचिया पोखरि।
. गामसँ दुरगर अछि मुदा जाठि छै बीचोबीच। काठक एहि जाठिकेँ गारबा काल पीअर बच्चाक, आइक जमीन्दार, अति वृद्ध प्रपितामह एकटा बड्ड पैघ आयोजन कएने छलाह। बस्तीसँ दुरगर आ खेतक बीचमे रहबाक कारणसँ एतहु लोक सभ स्नानक लेल कम्मे-सम अबैत छथि। मछहरि सेहो होइत अछि मुदा से मात्र एहि दछिनबरिया टोलक लेल। एहि पोखरिक एकटा आर विशेषता अछि। जखन दुर्गापूजाक दिनमे दुर्गाजी फेरसँ नैहरसँ सासुर दसम दिन जकरा जतरा सेहो कहल जाइत अछि, बिदा होइत छथि तँ हुनकर मूर्तिक भसान अही पोखरिमे होइत अछि। पुरुखपात्र तँ नहि, हँ महिला लोकनि दुर्गाजीक भसानपर हबोढ़कार भऽ कनैत छथि। दुर्गाजी एहि टोलकेँ के पूछए, एहि गामेमे नहि बनै छथि। ओ बनै छथि पड़ोसक गढ़ टोलीमे। एहि गामक लोक तँ अगत्ती सभ। खष्ठी दिन धरि दुर्गाजीकेँ झाँपि कऽ राखल जाइत अछि, मात्र मूर्तिकार हुनका उघारि कऽ देखि सकैए, कारण ओ नहि देखत तँ फेर दुर्गाजी बनतीह कोना। आन कियो देखत तँ आन्हर भऽ जएत। हँ, खष्ठी दिन बेलनोतीक बाद मूर्तिक अनावरण बाद हुनकर दर्शन लोक कऽ सकैए। आ ओही दिनसँ मेला सेहो लगैत अछि। एहि गाममे दुर्गा बनतीह तँ कतेक लोक खष्ठीक पहिनहिये आन्हर भऽ जएत। आ पड़ोसक गाम कम अगत्ती अछि। मुदा पूजाक नामपर देखू सभ सञ्च-मञ्च भऽ जाइत अछि। नाममे टोल लागल छैक- गढ़ टोल मुदा अछि गाम। अही गाम जेकाँ महीसबार ब्राह्मणक गाम। अगतपनामे हम आगू आकि हम- एकर तँ बुझु प्रतियोगिता होइत रहैत छैक दुनू गामक मध्य। गढ़ टोलाक गाम दऽ कऽ जाऊ तँ ओहि गामक बान्हक क्लातक दलानपर बैसल छौड़ा सभ किछु ने किछु सुनेबे टा करत। मुदा एहि गामक फसादी प्रकृतिक छौड़ा सभ अरबधि कऽ ओहि गाम बाटे जएबे टा करत। हँ, सध-बध सभ अही बुचिया पोखरिक बाटे गेनाइ श्रेयस्कर बुझैत अछि, भने कनी हटि कऽ रस्ता छै। तेँ की।
गाममे एकटा आर पोखरि होइत छल। मुदा गामक पूबमे कमला आ बलान एहि दुनू धारकेँ नियन्त्रित करबा लेल दू टा बान्ह बान्हल गेल। गामसँ सटल पूब दिस उत्तर-दक्षिण दिशामे एकटा छहर, फेर छथि कमला महरानी, फेर कमला महारानीक भाइ बलान धार आ तखन जा कऽ फेर ओहिसँ पूब उत्तर-दक्षिण दिशामे दोसर छहर। अही दुनू बान्हक बीचमे दोसर छहर अछि बल्ली पोखरि। एहि विशाल पोखरिक सटले रहए एकटा फुटबॉल क्रीडाक्षेत्र- विशाल रमना। किछु तँ बालू जमा भेने आ किछु जमीन्दारक करतब सँ ई पोखरि आ रमना पीअर बाबूक चकबन्दी बला खेतमे चलि गेल। सरकार सेहो ओहि बीचमे नहि जानि कोन कारणसँ चकबन्दीपर जोर देने रहए। सुरुजू भाइक गोबरसँ सीटल खेत सेहो चकबन्दीमे पीअर बच्चाक खेतमे मिलि गेल छल। दुनू छहरक बीच महिसबार सभक मालक लेल बौआचौड़ी अछि। महिसबार एतए अबैत छथि, खेलाइत छथि आ कमलामे हेलैत छथि। कखनो अपना-अपनीकेँ कमलाक धारमे बिना प्रतिरोधक ओ सभ बहए दैत छथि तँ कखनो धारक प्रवाहक उनटा हेलैत छथि। दुनू बान्हक बीच गुअरटोली। पहिने ई गामक टोल छल मुदा आब एतुक्का मतदाता सूची झंझारपुर बजारमे चलि गेल छै। गामक स्कूलपर वोटक बूथ रहने पहिने, बहुत पहिने, एकरा सभकेँ वोट नहि देमए दैत रहए। आब तकर उल्टा छै।
बौआ चौरीक ई स्नातक सभ- आब कियो दिल्ली-बम्मै मे तँ कियो सउदियामे छथि। कियो सेक्युरिटी गार्ड छथि तँ कियो सेक्युरिटी गार्डक कम्पनी खोलि लेने छथि।
गामक आमक गाछी सभ, कैक टा। बड़का कलम। खढ़ोरिक नवगछली। भोरहा कातक कलम। पोखरिक महार सभपर गाछी। खढ़ोरिमे खेत रहए। मुदा एक गोटे जे नवगछली लगेलन्हि से छाह भेने दोसर खेतमे धानक खेती दबि गेल। से ओहो कने चौक-चौराहापर अनट-बनट बजैत आमक गाछी लगा देलन्हि।
एक टा जमबोनी सेहो अछि। नमगर-नमगर गाछ सभ। पीपरक गाछ सभ डिहबारक स्थानसँ लऽ कऽ स्कूलक प्रांगण धरि एत्तऽ ओत्तऽ पसरल अछि। पीपर गाछक जड़ि एत्तऽ आ शिरा सभ दहोदिस।
बान्ह सभक कातमे बोनसुपारीक गाछ, साहर दातमनिक झोँझ, बँसबिट्टी आ मारिते रास फूल आ काँट सभ। लजबिज्जी तँ सभ कलममे। चाकर आमक गाछपर रखबार सभ ओछैन कऽ सुति रहैत छथि। वरक गाछ मुदा एक्केटा, पीचक कातमे मीआँटोली लग।
खेत पथार सेहो कैक तरहक। दुनू बान्हक बीचक खेतकेँ आब सभ ओइ पार बला खेत कहए जाइत छथि। बलुआही खेत। परोर, तारबूज, फुइट, अल्हुआक खेती, सभसँ सस्त खेत जे किनबाक हुअए तँ एतए आऊ। मुदा बाढ़िक बाद खेतक आरिक मूह-कान बदलल भेटत। कोनो साल बाढ़िक बाद खेतक रकबा घटि जाए तँ अराड़ि नहि ठाढ़ कऽ लेब। अगिला बाढ़िमे भऽ सकैए कमला महारानी ओकर रखबा बढ़ा सकै छथि। खेती ओना तँ धानोक होइत छै। मुदा से सुतारपर छै। कोनो बर्ख तीन बेर रोपलोपर बेर-बेर बाढ़िमे दहा जएत तँ कोनो साल कमला महारानी खेतमे ततेक पाँक भरि देतीह जे जतेक मोनक कट्ठा मोनमे सोचब ताहिसँ बेशी उपजत।
कनेक महग खेत किनबाक हुअए तँ मोड़ बला आ गम्हारिक गाछ लग बला खेत कीनू। एतए लोक खेतीसँ बेशी बसोबास लेल जमीन कीनि रहल छथि।
डकही पोखरि बला खेतकेँ बढ़मोतर कहल जाइत अछि। पहिने ब्रह्मोत्तर रूपमे किनको मँगनीमे राजा द्वारा भेटल होएतन्हि। पहिने सुनैए छियै नीक खेती रहए मुदा आइ काल्हि पानि भरल रहै छै। इलाकामे जे छिटुआ धानक खेती होइत अछि से अही बाधमे।
बड़का कोला, धूरपर, भोरहा आ पुर्णाहा बाधक अतिरिक्त आइ काल्हि किछु गोटे छहरक ढलानपर सेहो खेती-बारी शुरु कऽ देने छथि, सीढ़ी बना कऽ खेती केनिहारक संख्या भूगोलक पोथीमे भने पहाड़पर मात्र देखौने होथि। महीसक मरलापर कन्नारोहटक स्वर आ जादूटोना, ककरो दरबज्जापर पूजल फूल रातिमे फेकब। आब लोको मुदा बूझि गेल अछि जे ई कोनो छौड़ाक किरदानी अछि।
गाम अछि महिसबार ब्राह्मणक गाम। कृष्णाष्टमीक लगाति हूड़ा-हूड़ीक खेल जे एहि महिसबाड़ ब्राह्मण सभक देखब तँ पोलोक खेलमे कोनो रुचि नहि रहत। समियाक डोमसँ कीनल सुग्गरकेँ भाँग पीबि मातल महीस द्वारा हूड़ा लेब। चरबाह जे महीसक पहुलाठ पकड़ि कलाकारीसँ बैसल रहैत छथि सेहो अद्भुते। गाममे आनो जाति अछि। दुनू बन्हक बीचमे उचका भीरपर गुअरटोली तँ अछिये। बाढ़ियो मे ओ टोल नहि डुमैत अछि। नाहसँ आबाजाही होइए। कमलाक नाह खेबाह मलाह नहि राउतजी छथि। गामक लोकसँ तकर बदलामे अन्न लैत छथि। अनगौँआसँ हँ धार पार करेबाक बदला पाइ लैत छथि।
पीचपरक मिआँटोली बगलक गामक वोटर लिस्टमे अपन नाम अंकित करा लेने अछि। ओतहि डोमक चारिटा घर सेहो अछि। बगलक गामक वोटर लिस्टमे नाम अंकित करा लेबाक कारण कारण वैह जाहि कारणसँ गुअरटोली आब एहि गामक वोटरलिस्टमे नहि अछि। मुदा वोटरलिस्ट सँ गाम थोड़बेक बनै छै। ईहो दुनू टोल अही गामक सीमानमे अबैत अछि। डोमक काज पाबनि-तिहारमे तँ होइते अछि। पेटार बनेबासँ सूप, बीअनि सभ किछु बनेबामे डोमक काज आ पाहुन परख लेल आ बरियाती लेल जे खस्सी काटल जएत ताहि लेल मिआँटोलीक काज। खस्सीक मूड़ा दुर्गापूजाक बलिमे कमिटी लऽ लैत अछि। मिआँ जे खस्सी काटैत अछि से हलाल कऽ कऽ। गरदनि अदहा लटकले रहैत छै, मुदा बना सोना कऽ गरदनि लऽ जाइये आ खलरा सेहो। तखन महिसबार ब्राह्मणमे सँ जे हनुमानजी मन्दिरपर भजन आ अष्टजाम करैत छथि से ओही खलरासँ बनल ढोलक किनैत छथि।
फेर धनुख टोली। पहिने यैह लोकनि भार उघैत रहथि मुदा पछाति दुसधटोलीक लोक सेहो भार उघए लागल छथि। खेती करब धनुकटोली आ दुसधटोलीक पुरान पेशा अछि। हँ पहिने ई सभ मात्र बोनिपर काज करैत रहथि आब बटाइपर करैत छथि। कोनो झगड़ा-झाँटी भेलापर महिसबार ब्राह्मणक चानि कारी खापड़िसँ तोड़ैत एहि दुनु टोलक महिलाकेँ अहाँ सालक कोनो एहन मास नहि अछि जाहिमे नहि देखि सकै छी। बकरी पोसब आ दुर्गापूजामे छागर बलिक लेल बेचब एहि दुनू टोलक पशुपालनमे अहाँ गानि सकै छी। एक-एकटा बरद सेहो कियो राखए लागल छथि आ पार लगा कऽ तकर उपयोग जोड़ा बरदसँ खेती करबामे करैत छथि।
तीन टा घरक रहलोपर धोबियाटोली एकटा टोल बनि गेल अछि। झंझारपुर धरिक मारवाड़ीक कपड़ा एतए साफ कएल जाइत अछि। महिसबार ब्राह्मण सभ जे बरियातीमे बेलबटम झाड़ि कऽ सीटि-साटिकऽ निकलैत छथि से कोनो अपन कपड़ा पहिरि कऽ। वैह मँगनिया कपड़ा, महगौआ मारवाड़ी सभक। मारवाड़ी सभक ई कपड़ा रजक भाइ दू दिन लेल भाड़ापर हिनका सभकेँ दैत छथिन्ह।
नौआटोली सेहो तीन घरक। बड़ बजन्ता सभ। कमाइलक लिस्ट लऽ कऽ तगेदा करैत छथि। दुर्गापूजामे जे बाहरी लोक अबैत छथि से कमाइल बिना देने घुरि नहि पबैत छथि। पहिने हप्तामे एक बेर दलाने-दलाने केश कटबा लऽ जाइत रहथि मुदा आब जिनका केश कटेबाक छन्हि से आबथु हमर दुअरा। हँ बर-बरियाती जएबाक होएत तँ से सालमे अकाध बेर टोल सभक दलानपर चलि जेताह। मुदा सेहो एके ठाम। जिनका कटेबाक हेतन्हि पंक्तिबद्ध भऽ बैसथु। ई नहि जे क्यो अखन आबि रहल छी तँ क्यो तखन आबि रहल छी। आब सभ घरसँ एक-एक गोटे झंझारपुरमे सेहो सैलून खोलि लेने छथि। सैलून कोन एकटा प्लास्टिक पटरी कातमे ठाढ़ कऽ देने जाइ छै? नहरनीक प्रयोग तँ बन्ने भऽ गेल अछि। नह अपना-अपनीकऽ काटै जाऊ। छुतकामे बौआसीनक आँगुर कनियाँ आबि कऽ काटि देत, बस। आ पिजेलहा अस्तूरासँ दाढ़ी काटब। खून खसि रहल अछि से कोनो हम छह मारि देने छी। फोँसरी रहए। नञि बाबू, टोपाजबला अस्तूरा झंझारपुरक सैलून लेल छै।
फेर एकटा आर टोल अछि। पहिने गामसँ बाहर रहए, बसबिट्टीक बाद। मुदा आब तँ सभ बाँस काटि कऽ खतम कऽ देने अछि आ लोकक बसोबास बढ़ैत-बढ़ैत एहि चर्मकारक टोल धरि आबि गेल अछि घरहट आ ईँटा पजेबा सभ अगल-बगलमे खसिते रहैत अछि। ढोलहो देबासँ लऽ कऽ धोल-पिपही बजेबा धरिमे हिनकर सभक सहयोग अपेक्षित। माल मरलाक बाद जाधरि ई सभ उठाकऽ नहि लऽ जाइत छथि लोकक घरमे छुतका लागले रहैत अछि।
कृषि-मत्स्य-पशुपालन आधारित महिसबार ब्राह्मण बहुल एहि गामक चारूकात पढ़ल लिखल (मुदा एकटा चोरक टोल सेहो अछि ओतए), ततेक नहि पढ़ल लिखल आ मुहदुब्बर गाम सभ अछि। पड़ोसक चोर सभक हिम्मत नहि छन्हि जे एहि गाममे कोनो जातिक घरमे चोरि कऽ लेथि। एहि गाममे जे बियाह भऽ गेल तँ सभटा फसादी जमीनक निपटार भऽ जाइत अछि, लोक समंगर भऽ जाइत अछि। एतएसँ हसेरी दूर-दूर धरि जाइत अछि। कुटुमक जमीनक झगड़ाक निपटारासँ लऽ कऽ वोट लुटबा धरि हसेरी बहराइत अछि। जमीन एहि गाममे पचीस हजारक कट्ठा अछि, वैह जमीन पड़ोसक गाममे दस हजार रुपैये कट्ठा। उँचगर जमीन गाममे सस्त कारण बर्खाक पानिसँ पटौनी नहि भऽ सकैए उत्थर जमीनक। मुदा बान्ह बनलाक बाद बनराहा गाम सभक जमीन सभ सेहो महग भऽ गेल अछि। पहिने घटक अबैत रहए तँ एहि गामक लड़कापर जे दस कट्ठा आ बनराहा गमक लड़कापर एक बीघा हिस्सा देखै छल तैयो अही गाममे कुटमैती करैत छल। कारण बनराहा गाममे दसो बीघा खेत हिस्सा रहने गुजर कठिन छलै। मुदा आब ओकर सभक भाग्य खुजि गेल छै। जखन बाढ़ि अबै छै तँ ओकर सभक खेतक पटौनी भऽ जाइ छै। बनराहा.. बुझलहुँ नहि, ओहि गाम सभक गाछीमे बानर सभ भरल छै आ लोको सभ बानरे सन पीअर कपीश। कपीश ! आ मास्टरी पहिने कियो करै नहि से सभटा बनराहा सभ मास्टर भऽ गेलै। आ आब मास्टरक दरमाहा देखू। सभटा बनराहा धोआ धोती पहिरि जे निकलैए तँ देहे जरि जाइ छै एहि गौँआक।
धरि दुर्गापूजा एहि गाममे नहि शुरू भेल। मुहदुबरा गाममे सेहो शुरू भऽ गेल मुदा एत्तऽ। चाहबै तँ किएक नहि होयत। रामलीला एक महिना केलहुँ हम सभ आकि नहि। धू, बान्ह लगहीसँ घिना गेल। भने नहि होइए दुर्गा पूजा। एक तँ धी बेटीकेँ लियाउन करेबाक झमेला रहत आ जे मेलपेँचसँ रहै जाइ छी सेहो पार्टी-पोलिटिक्स खतम कऽ देत।
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किशनगढ़ गाम। दिल्लीक पौश एरिया वसन्तकुँजक बगलमे। पाइबला सभ सेक्टरमे रहै छथि आ गरीब सभ किशनगढ़ आ मसूदपुरमे। सेक्टरमे ओतुक्का लोक सभ कम्युनिटी हॉलमे खैराती हॉस्पीटल खोलने छथि। सेक्टरक पता देलापर फीस देमए पड़ैत अछि। गामक पतापर फीसक नहि देमए च्पड़ैत अछि आ दबाइयो मँगनीमे भेटैत अछि।
बगलमे मॉल अछि। दू तरहक। एकटा सामान्य लोक लेल। आ दोसर डी.एल.एफ.क इम्पोरिया। वसन्तकुँजक नेल्सन मंडेला मार्गपर। असमानताक आ अपार्थेइडक विरुद्ध संघर्ष करएबला नेल्सन मंडेला। मुदा हुनकर नामपर बनल एहि मार्गपर बनल एहि इम्पोरिया मॉलमे लाख रुपैयासँ कममे कोनो समान भेटब असंभव। सभसँ सस्त अछि लाख रुपैयाक लेडीज पर्स। बंगलोरक महात्मा गाँधी मार्गपर शराबक फैक्ट्री आ कस्तूरबा गाँधी मार्गपर बीयर बार सभ। गाइड लोक सभकेँ कहैत अछि- वर शराब बनबैत अछि आ कनिया बेचैत अछि कारण ओहि बीयर बारमे शराबक बिक्री होइत अछि। तेहने सन कथा अछि नेल्सन मंडेला रोडक। मुदा समाजवाद अछि एतए। से पाइ अछि तँ सेक्टरमे रहू आ नहि अछि तँ गाममे। जमीनक दलाल एतुक्का सभसँ पाइबला लोक अछि। अपन बिजनेस कार्ड छपबैए ई सभ- रिअल एस्टेट एजेन्ट कऽ कऽ। बगलमे मेहरौली गाम सेहो अछि। माछ मुदा किशनगढ़ आ मेहरौली दुनू ठाम भेटत। दिल्लीक लोक माँछ कम खाइत अछि। अपने दिसुका लोक एकरा सभकेँ माँछ खेनाइ सिखेने अछि।
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ऋषिकेशक पापरबला। बीस सालसँ पापर बेचै छी। चारिटा बच्चा सभ स्कूलमे पढ़ैए।
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फिनलैंड, इटली, अफ्रीका, स्विटजरलैंड..आदिमे..बिलाइत लोक..नहि घुरैत लोक।
https://store.pothi.com/book/गजेन्द्र-ठाकुर-नित-नवल-सुभाष-चन्द्र-यादव/
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पाँ देवानन्द प्रसिद्ध छोटी झा पँञ्जी सँ मूल क्रमे बीजी पुरूषक नाम ओ पत्रांक गंगोली सँ बीजी गंगाधर १/१ (१-१) खण्डलबला सँ बीजी संकर्षण १/४ (...
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खण्ड-१ प्रबन्ध-निबन्ध-समालोचना प्रबन्ध निबन्ध समालोचना फील्ड-वर्कपर आधारित खिस्सा सीत-बसंत १.३ मायानन्द मिश्रक इतिहास बोध-प्रथमं शैल पुत्री...
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